- हरियाणा में हूल दिवस जनजातीय बलिदान को ऐतिहासिक न्याय है: सुनील देवधर
- संथाल वीरों के बलिदान को मिला सम्मान, गुरुग्राम में गूंजा हूल क्रांति का जयघोष
(Faridabad News) गुरुग्राम। संथाल स्वाधीनता संग्राम के 10,000 वीर बलिदानियों की स्मृति में हरियाणा में पहली बार हूल दिवस का आयोजन किया गया। यह ऐतिहासिक आयोजन माय होम इंडिया और वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में गुरुग्राम स्थित अपैरल हाउस सभागार में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्रीय संघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पवन जिंदल, मेयर राज रानी मल्होत्रा, हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के चेयरमैन रामअवतार गर्ग, वरिष्ठ भाजपा नेता सुनील देवधर की उपस्थिति रही। मुख्य अतिथि पवन जिंदल ने कहा कि देश को स्वतंत्र कराने में जनजातीय समाज का योगदान किसी भी अन्य समाज से कम नहीं है। हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति दी, पर उनका बलिदान इतिहास में कई बार उपेक्षित रह गया। आज का दिन हमें उनकी वीरता, साहस और देशभक्ति को याद करने का अवसर देता है।
मुख्य वक्ता सुनील देवधर ने कहा कि हूल क्रांति के वीरों, सिद्धो, कान्हू, चांद, भैरव, फूलो और झानो के त्याग और संघर्ष को आधुनिक भारत का प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि हरियाणा के इतिहास में पहली बार हूल दिवस का आयोजन केवल एक स्मृति समारोह नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक न्याय है उन वीर जनजातियों के बलिदान को मान्यता देने का, जो अंग्रेजों के शोषण और अत्याचार के खिलाफ पहले क्रांतिकारी थे। यह संघर्ष जंगलों में लड़ा गया था, जहाँ सिदो और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में संथाल जनजाति ने 30 जून 1855 को ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ हूल (विद्रोह) का बिगुल फूंका।
उन्होंने कहा जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने युद्ध को ईश्वर की इच्छा बताया, वैसे ही सिदो और कान्हू ने हूल की घोषणा करते हुए कहा यह ठाकुर का आदेश है। उहोंने बताया यह केवल राजनीतिक विद्रोह नहीं था, यह धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अस्तित्व की रक्षा का युद्ध था
आयोजन इतिहास को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास
कार्यक्रम अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि भारत मां के इतने लाल उपजे हैं, जिनका त्याग और बलिदान इतिहास में दर्ज होना चाहिए था। अफसोस है कि वामपंथी इतिहासकारों ने इन महान क्रांतिकारियों के योगदान को जानबूझकर दबाने और नजरअंदाज करने का कार्य किया।
संयोजक रविंद्र सिंह एवं सह-संयोजक डॉ. नवनीत गोयल ने बताया कि यह आयोजन भारत के उस गौरवशाली लेकिन उपेक्षित इतिहास को जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास है, जिसे लंबे समय तक भुला दिया गया। ेकार्यक्रम में समाजसेवा, शिक्षा, और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने वाले कई व्यक्तियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम ेप्रस्तावना माय होम इंडिया के हरियाणा कोऑर्डिनेटर राजपाल सिंह ने रखी।
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