Utterkatha-Fake Teacher and Bad Basic Studies! नकली टीचर और बदहाल बुनियादी पढ़ाई !

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दुनिया के तमाम मुल्कों से भी बड़ा सूबा, देश को कई प्रधानमंत्री देने वाला सूबा, सर्वश्रेष्ठ नौकरशाह और राजनयिक देने वाला सूबा और पिछले कुछ दशक से सरकारों की नाकामी के चलते बुनियादी पढ़ाई को रसातल की ओर ले जाता सूबा, मतलब उत्तर प्रदेश! उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा की बदहाली कम होने के आसार लगातार कम हो रहे हैं। नकल टीपकर इम्तहान पास किया और नकल टीपकर टीचर बन गए तो समझ लीजिए क्या पढ़ाएंगे और भारत का भविष्य क्या पढ़ेगा…, कैसे आगे बढ़ेगा। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसे नौजवान पुलिस की गिरफ्त में आए हैं जो अध्यापक बनने के लिए हुए इम्तहान में टॉपर थे , सरकारी मास्टरी के लिए सेलेक्ट हो चुके थे, तैनाती की तैयारी थी लेकिन पूछताछ हुई तो उन्हें भारत के राष्ट्रपति का नाम तक नहीं पता था । बहरहाल अदालती आदेश से नियुक्तियां रूक गई है लेकिन सोचिए कि लाखों रुपये की घूस देकर इन नकलची अध्यापकों के हाथों में हमारी नई नस्ल का भविष्य किस तरह से चढ़ा जाता ।
शायद यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी मंत्री, अफसर या नेता के बच्चे प्रायमरी स्कूलों में पढ़ाई नहीं करते हैं जबकि इन सभी श्रेणियों के हजारों लोग एक जमाने में इन्ही विद्यालयों की प्राथमिक पढ़ाई के बाद इस मुकाम पर पहुंचे हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश में अरसे से अटकी बेसिक शिक्षा विभाग के 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर घोटालों का ग्रहण लग गया है और सिस्टम में सुधार की ईमानदार कोशिश में लगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार नई फजीहतों का सामना कर रही है। इस मामले में पहले गलत आंसर की के आधार पर कुछ परीक्षार्थी अदालत गए जहां से इस भर्ती पर रोक लगी। इसके बाद आरक्षित वर्ग की सूची में घालमेल का आरोप सामने आया और अब पैसे लेकर भर्ती कराने वाला गिरोह प्रयागराज में पकड़े जाने के बाद तो पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बुधवार को  बेसिक शिक्षा महकमे के मंत्री और अपर मुख्य सचिव को राजभवन बुलाकर  इस पूरे मामले की विस्तृत पोर्ट ली है।  कुछ दिन पहले शिक्षक भर्ती घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ जब परीक्षा का टॉपर भी अरेस्ट किया गया। पुलिस ने प्रयागराज के सोरावं थाना क्षेत्र से शिक्षक भर्ती परीक्षा के टॉपर की गिरफ्तारी की और अभी 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों की तलाश है। पता चला है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में 8 से 10 लाख रुपए देकर अभ्यर्थी पास हुए जिसके बाद अब दर्जनों सेंटर पर परीक्षा रद्द हो सकती है। इस मामले पर चौतरफा हमलों में घिरी यूपी सरकार की ओर से सफाई देने के लिए  बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चन्द्र द्विवेदी सामने आए।  उन्होंने कहा कि 69000 नौजवानो को शिक्षकों बनाने की भर्ती प्रक्रिया  चल रही ती और नियुक्ति पत्र दिए जाने थे। इस बीच पहले हाईकोर्ट की रोक की वजह से भर्ती प्रक्रिया रोकी गई जिसके खिलाफ सरकार डबल बेंच में गयी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष भर्ती प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहा है। राजनीतिक मंशा से आरोप लगाये गए हैं। ज्यादातर पब्लिक डोमेन में आरोप आये हैं। उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में प्रयागराज के एक केंद्र के प्रबन्धक का गिरोह था। इस सिलसिले में मई में शिकायत दर्ज कराई गई कि पैसे लेकर नौकरी देने का वादा किया गया। शिकायत मई 2020 में की गयी जब तक परीक्षा हो चुकी थी। सरकार ने शिकायत को गंभीरता से लिया है और इस मामले में घोटालेबाज के एल पटेल व संतोष बिंद समेत 11 को गिरफ़्तार किया गया है। पूरे मामले की जांच एसटीएफ को दे दी गई है।
दरअसल भय व भ्रष्टाचार मुक्त यूपी के नारे के साथ सत्ता में आयी भाजपा सरकार के सामने शिक्षक भर्ती घोटाले के दाग से बरी होकर पाक साफ आने की बड़ी चुनौती है। प्रदेश में बहुचर्चित हो चुके इस शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच प्रदेश सरकार ने स्पेशल टास्क फोर्स को सौंप दी है जिसने विभिन्न स्थानों पर छापेमारी शुरू कर दी है। यूपी में सभी विपक्षी दल इस भर्ती के खिलाफ मैदान में आ गए हैं। प्रियंका गांधी ने भर्ती में धांधली को लेकर योगी सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए इसे व्यापम घोटाले जैसा करार दिया है। समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने कहा है कि भर्ती में घोटाले के खिलाफ सपाई सड़क पर उतरेंगे। तमाम सवालों में उलझ चुकी इस भर्ती की उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर अब अभ्यार्थियों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाने की तैयारी कर ली है। मामले में सबसे पहले प्रयागराज पुलिस ने रविवार को एक गिरोह को दबोचा जो परीक्षाओं में सेटिंग कर पर्चा आउट कराता था और पैसा लेकर लोगों की भर्ती करवाता था। इस गिरोह में जिन लोगों को पैसा देकर भर्ती होने के आरोप में पकड़ा गया है उनमें से कुछ तो एसे हैं जिन्होंने लिखित परीक्षा में 150 में 141 नंबर तक पाए हैं। हैरत की बात तो यह है कि इन परीक्षार्थियों के इंटर व स्नातक की परीक्षाओं में नंबर काफी कम हैं। इस गिरोह के पकड़े जाने का खुलासा होने के बाद पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। जगह जगह पर अभ्यार्थियों ने आरोप लगाते हुए पूरी भर्ती को रद्द करने व उच्च स्तरीय जांच की मांग करनी शुरू कर दी है। यूपी पुलिस का कहना है कि 95 फीसदी अंक के साथ यूपी शिक्षक भर्ती परीक्षा टॉप करने वाले धर्मेंद्र को ये तक नहीं पता कि भारत के राष्ट्रपति कौन हैं।
वास्तव में प्रयागराज पुलिस ने बीते दिनों धर्मेंद्र पटेल को 9 अन्य लोगों को साथ उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा महकमे के 69 हजार सहायक शिक्षकों की चल रही  नौकरी दिलाने का नाम पर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार होने वालों में इस भर्ती परीक्षा में सफल होने वाले तीन अन्य उम्मीदवार भी शामिल हैं।
पुलिस के अनुसार ‘पूछताछ में हमने सामान्य ज्ञान के कुछ सवाल भी पूछे। लेकिन ये लोग इन सवालों का जवाब नहीं दे पाए। इसी दौरान धर्मेंद्र से भारत के राष्ट्रपति का नाम भी पूछा गया। लेकिन उसे इसका जवाब भी पता नहीं। इससे इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता साफ झलकती है।’ प्रयागराज के रहने वाले धर्मेंद्र पटेल से हुई पूछताछ के निष्कर्षों ने ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रयागराज के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज के मुताबिक शिक्षक भर्ती में पैसे लेकर नौकरी दिलाने के मामले में पड़ताल के बाद सामने आए मुख्य आरोपी का नाम केएल पटेल है जो जिला पंचायत का सदस्य रह चुका है। उसके पास से 22 लाख से ज्यादा रकम बरामद की गई है।’ इस भर्ती प्रक्रिया पर बीते मंगलवार ही सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगाई थी। इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यूपी 69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई गई थी। लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में एसटीएफ द्वारा जांच किए जाने का आदेश दिया था। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर तमाम आरोप सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं। रिजल्ट आने के बाद ही कई अभ्यार्थियों की डिटेल सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी जिनकी परफार्मेंस एकैडेमिक परीक्षाओं में खाफी खराब थी पर उन्होंने लिखित परीक्षा में खासे अंक पा लिए थे। अर्चना तिवारी नामक की छात्रा को अन्य पिछड़ा वर्ग में चयनित होने व एक अन्य सामान्य जाति के अभ्यर्थी के अनुसूचित जनजाति के कोटे में चयनित होने की भर्ती शीट भी वायरल हुयी। कुछ एसे सफल लोगों के नाम वायरल हुए जिन्होंने एक ही सेंटर पर परीक्षा दी और एक ही परिवार के थे व उन सबको सफलता मिल गयी। पुलिस के खुलासे के बाद अभ्यर्थी बाकी आरोपों की जांच की मांग कर रहे हैं।  कोर्ट में दायर की गयी एक याचिक में शिक्षामित्रों की तरफ से 37339 पदों को होल्ड करने की मांग की गयी थी। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती कट आॅफ मामले में 37339 पद रोक कर भर्ती की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई 2020 को होगी। गौरतलब है कि भर्ती पर 3 जून को लखनऊ हाईकोर्ट ने पहले ही स्टे लगा रखा है। बुधवार को इस मामले में हाईकोर्ट डबल बेंच से फैसला नही आया। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगर डबल बेंच भर्ती से स्टे हटा भी लेती है तो 37339 पदों को रोक कर ही भर्ती होगी।
(लेखक उत्तर प्रदेश पे्रस मान्यता समिति के अध्यक्ष हैं।) यह इनके निजी विचार हैं।

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