एक लाख मरने वालों में से 10 फीसदी लोग ही मरणोपरांत करते हैं आंखें दान- डा. बीके ठाकुर

0
189
Eye Donation Organizations
Eye Donation Organizations

इशिका ठाकुर,करनाल:

माधव नेत्र बैंक की तरह संस्थाएं टीमवर्क से काम करेंगी तो रोशन होगा आंखों का अंधियारा…..

आर्थिक रूप से कमजोर आंखों के मरीज के मुफ़त ऑप्रेशन के बावजूद देश भर में 1100 आई डोनेशन की शाखाओं में से केवल 50 संस्थाएं ही सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। कारण जागरूकता का अभाव, वित्तीय संकट तो हैं ही, लेकिन सबसे अहम और बड़ी बात है टीम वर्क की कमी। आई डोनेशन के लिए हर तरह से समर्पित डा. बीके ठाकुर का उत्तर भारत का पहला करनाल स्थित माधव नेत्र बैंक सक्रिय आईडोनेशन के लिए देशभर में जाना जाता है। कुछ आई डोनेशन की संस्थाएं तो कोविड के समय बंद हुई थी लेकिन कोविड गुजरने के काफी समय बाद भी इन संस्थाओं का अपने पांव पर खड़ा ना हो पाना सभी के लिए गहरी चिंता का सबब है, जिसके कारण बहुत से परिजन मरणोपंरात अपने मृतक की आंखों का दान नहीं कर पाते हैं।

मृतक की आंखों का दान ना होने के कारण नेत्रहीनों को आंखें नहीं मिल पाती और आई सर्कल टूट जाता है। आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ईबीएआई) की कार्यशाला में ये बात निकलकर आई है कि बंद हुई आई डोनेशन संस्थाओं में से 700 संस्थाओं को दोबारा से रजिस्टर्ड कर लिया गया है लेकिन उनके सक्रिय होने के लिए देश के दूर दराज इलाकों में आई डोनेशन संस्था चलाने वाली संस्थाओं के सक्रिय पदाधिकारी, सेवक यदि सेवा भावना से काम करेंगे, उन्हें सरकार व समाज का सहयोग मिलेगा, तो फिर सभी संस्थाएं दोबारा से खड़ी हो सकती हैं और देश से अंधत्व की समस्या का निदान हो सकता है।

इस समय हरियाणा में 15000 और पूरे देश में नेत्रहीनों की संख्या 2 से 3 लाख है। जनसंख्या के साथ नेत्रहीनों का डॉटा भी बढ़ रहा है, देश में एक लाख लोग प्रतिदिन मरते हें लेकिन आंखें दान करने वालों की संख्या आज भी दस प्रतिशत यानी 1000 ही है यानी 90 फीसदी लोगों को आज भी समझाना, जागरूक करना या वहां आईबैंक खोलना बाकी है । डा. बीके ठाकुर की मानें तो हरियाणा में जागरूकता की स्थिति देश के अन्य राज्यों से बेहतर है यदि हरियाणा में हर आंखो के डॉक्टर को प्रति वर्ष 100 से 150 आंखों के अंधत्व निवारण ऑप्रेशन का टॉरगेट दे दिया जाए तो आने वाले चार-पांच साल में हरियाणा ना केवल अंधत्व मुक्त होगा बल्कि पूरे देश व विदेश के लिए मिसाल होगा।

माधव नेत्र बैंक की तर्ज पर काम करें आई डोनेशन संस्थाएं

आई डोनेशन का पुनीत कार्य करने के लिए रजिस्टर्ड हुई 1100 संस्थाओं में से पूर्णतया बंद हुई 900 संस्थाओं को सक्रिय होने के लिए उत्तर भारत के पहले माधव नेत्र बैंक की तर्ज पर सक्रिय रूप से काम करना होगा। डा. बीके ठाकुर ने माना कि राजकुमार, चरणजीत बाली, अनु मदान, राजीव चौधरी, कपिल अत्रेजा, पंकज भारती, एनपी सिंह, आशीष पसरीचा, चंद्र मोहन चावला का टीम वर्क इतना काबिलेतारीफ है कि टीम हर जगह पहुंचती है और मरणोपरांत व्यक्ति के परिजन उसकी आई डोनेट करते हैं जो दो जिंदगियों को रोशन करती है। मरणोपरांत एक व्यक्ति की दो आंखें अलग अलग दो जरूरतमंद लोगो को लगाई जाती हैं। इस समय देश भर में 50 के करीब आईडोनेशन की संस्थाएं जो काम कर रही हैं, उनसे बंद पड़ी संस्थाओं को सबक लेना चाहिए। जैसे सरकार ने कार्निया के ऑप्रेशन मुफ्त कर दिए हैं, उसी तरह से इन संस्थाओं की वित्तीय मदद के लिए भी हाथ बढ़ाने चाहिए।

हरियाणा के हर जिला स्तर पर सरकार दे ट्रेनिंग, डॉक्टर रिजल्ट दें

अंधत्व निवारण हरियाणा में ही नहीं, पूरे देश का बड़ा मुद्दा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल के इन्शेटिव लेने से अब आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कार्निया का ऑप्रेशन बिल्कुल मुफ्त होता है, इसमें कुल 15000 की राशि खर्च होती है जिसे केंद्र व प्रदेश सरकार आधा- आधा यानी 7500-7500 मिलकर वहन करते हैं। हरियाणा सरकार ने नेत्र ज्योति सॉफटवेयर के माध्यम से नेत्रहीनों के जीवन में नई नेत्र ज्योति जगाने के लिए ये पहल शुरू की है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल के इन्शेटिव लेने और प्रदेश के स्वास्थ्य व गृह मंत्री अनिल विज के गंभीर प्रयासों से ये सब नवंबर 2022 से शुरू हो पाया है। नेत्र ज्योति सॉफ्टवेयर में हम पात्र व्यक्ति का आधार कार्ड लेकर उसमें रजिस्टर्ड कर देते हैं और थोड़े दिनों में सरकारी योजना के तहत पात्र का मुफ्त ऑप्रेशन हो जाता है। डा. बीके ठाकुर ने कहा कि लोग हरियाणा के अलावा यूपी से भी पात्र लोग आ रहे हैं और उनका हम अंधत्व निवारण का ऑप्रेशन कर रहे हैं।

जरूरत 2 लाख आंखों की ऑप्ररेट होती हैं केवल 25000

डा. बीके ठाकुर की मानें तो देश में दो लाख नेत्रहीन लोगों की जगह 50000 ही आंखें मिलती हैं, उनमे से केवल 20 से 25 हजार लोगों की आंखें आप्रेशन हो पा रहे हैं, कारण सभी आंखें ठीक नहीं हैं, सभी आंखों के डॉक्टर्स ट्रेंड नहीं हैं, कुछ ऑप्रेशन करते ही नहीं, लोगों में जागरूकता का आज भी अभाव है, सरकार की स्कीमों का उन्हें पता ही नहीं, अशिक्षा भी बड़ा कारण् है। उत्तर भारत के पहले नेत्र बैंक बन चुके माधव नेत्र बैंक की सेवाभावी टीम तो पांच छह जिले कवर करती है। माधव नेत्र बैंक की तरह आईबैंक की संस्थाएं खुलें, ऐसे प्रयास हमारे भी हैं, ऐसे नेक कामों में समाज के नेक और संपन्न लोगों को आगे आकर पुण्य कमाना चाहिए।

ये भी पढ़ें :पाले से बर्बाद हुई फसल की गिरदावरी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त

ये भी पढ़ें : बच्चों के लिए शाम के नाश्ते में बनाएं चटपटी पापड़ी चाट

ये भी पढ़ें : खेतीहर मजदूरों को आर्थिक सहायता के लिए मुख्यमंत्री को भेजा मांग पत्र

Connect With Us: Twitter Facebook

SHARE