Direct combat with COVID economic Emergency : कोविड आर्थिक आपातकाल से सीधा मुकाबला

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आर्थिक जगत पर कोविड 19 के विनाशकारी प्रभावों को देखते हुए केंद्र सरकार का जो प्रोत्साहन पैकेज है वह दो मंत्रों पर आधारित है।सबसे पहले किसी भी तरह की जनहानि नहीं हो, खासतौर पर जो वंचित हैं और आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, उनकी जनहानि नहीं हो। इसके साथ ही इस पूरे संकट की घड़ी को एक साहसिक सुधार तंत्र के माध्यम से अवसर में बदला जाए। ढांचागत सुधारों के माध्यम से आर्थिक जगत में उत्पादन क्षमता और आपूर्ति की क्षमता को बढ़ाया जाए। पिछले 5 दिनों में माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज सावधानीपूर्वक तैयार किया गया संतुलित और साहसिक पैकेज है।
आने वाले दिनों में यह अपने दोनों ही उद्देश्यों को पूरा करेगा। ऐसा व्यापक रूप से माना गया है कि 90 के दशक में एशियन फाइनैंशल क्राइसिस हो या वर्ष 2008 -2009 का वैश्विक आर्थिक संकट, जिसने आर्थिक जगत में मांग और आपूर्ति पक्ष पर बुरी तरह से प्रभाव डाला था। आपूर्ति पक्ष पर सरकार की प्रतिक्रिया चार बिंदुओं पर आधारित होगी। सबसे पहले खाद्य सुरक्षा और किसानों की आमदनी का किसी प्रकार का नुकसान न हो इसे सुनिश्चित किया जाएगा। लॉक डाउन की घोषणा के साथ ही सरकार ने कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों को आवश्यक सेवाओं के रूप में तत्काल शामिल कर दिया था। इससे रबी की फसल की कटाई और उसकी खरीद सफलतापूर्वक की जा सकी। इसके साथ ही किसानों के हाथ में करीब 78000 करोड़ रुपए की नई खरीद क्षमता रही। इसके अलावा दूसरी चुनौती थी दिवालियापन और तरलता की कमी। इससे असरकारी तरीके से निपटने के लिए 50,000 करोड़ रुपये की तरलता सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही लघु सूक्ष्म एवं मध्यम इकाइयों के उद्योग जगत के लिए अतिरिक्त ऋण क्षमता जो कि 3 ट्रिलियन थी वह बिना किसी अनुप्रासंगिक शर्त के बढ़ाई गई। इसके अतिरिक्त हॉस्पिटैलिटी, मनोरंजन और रिटेल क्षेत्र में भी सेवाओं को बढ़ावा देने और गति देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। ऊर्जा उत्पादन के लिए स्टेट डिस्कॉम को 90,000 करोड़ रुपए का कर्ज पैकेज उपलब्ध करवाया गया है जिससे राज्यों की बिजली उत्पादन इकाइयां दिवालिया होने से बच सकें और उनके दिवालियेपन को रोका जा सके जिनके की विनाशकारी परिणाम हो सकते थे। जो तीसरा उपाय किया गया है उससे निजी उत्पादकों को कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में विशेष रुप से सुधार होगा। किसानों द्वारा अपने क्लाइंट और व्यापारियों को चुनने की एक लंबी लंबी प्रक्रिया थी उससे भी उन्हें आजादी दी गई है। वह अपने उत्पाद का आवश्यक भंडारण कर सकते हैं। इसके अलावा रक्षा संबंधी उत्पादन और निर्यात को भी उदारीकरण के उपायों द्वारा नया प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा निजी व्यापार करने वालों को भी नई गति मिलेगी और जिन पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज का जिन क्षेत्रों में एकाधिकार था वह भी समाप्त होगा। मुख्य रूप से इन उपायों को करने से करीब 5000000 परिवारों की आजीविका को सहायता मिलेगी, जिनमें बहुत से स्ट्रीट वेंडर्स पूरे देश के शामिल हैं जिन्हें प्रत्येक को ?10000 की सहायता उपलब्ध करवाई गई है। कर्ज के रूप में इस तरीके से यह प्रोत्साहन पैकेज उत्पादन क्षमता को उत्तरजीविता देने के लिए उसको बढ़ावा देने के साथ ही निजी क्षेत्र के जो भागीदारी है उसको भी बढ़ावा देता है। इसके अलावा बाजार में जो मांग में गिरावट आ गई है उसे भी दूर करने के लिए और बाजार को ऊपर उठाने के लिए कई तरह के उपायों की घोषणा की गई हैं। गिरती हुई अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए उपभोक्ता के हाथ में कैश होना जरूरी है। इससे उपभोग निवेश और मध्यवर्ती वस्तुओं की मांग और उपलब्धता में बढ़ोतरी होगी। इसको देखते हुए एमएसएमई, वेंडर और किसानों को अतिरिक्त क्रेडिट लाइन उपलब्ध कराई गई है। करीब 2 ट्रिलियन की धनराशि जिसे केसीसी के तहत दिया गया है, जो मांग को बढ़ावा देने में सहायक होगी। बाजार में उपभोग और मांग को सीधे तौर पर बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं। इनमें एक करोड़ 73 लाख रुपए की राशि का सबसे पहला पैकेज दिया गया है जो कि समाज के आखरी तबके सबसे कमजोर तबके की आय और उसके कल्याण के लिए प्रदान किया गया है। जिसमें जनधन खाते वाली 20 करोड़ महिलाएं शामिल है जिन्हें अपने बैंक खातों में सीधे यह राशि मिलेगी। इसके अलावा टीडीएस और टीसीएस में जो कमी की गई है उससे 50000 की अतिरिक्त राशि रहेगी। मनरेगा के श्रमिकों को ?40000 की अतिरिक्त राशि का आवंटन किया गया है।  जिससे मनरेगा श्रमिकों के काम को बढ़ावा मिलेगा। 17800 करोड रुपए की राशि 12 करोड किसानों को हस्तांतरित की गई है। राज्यों को 13000 करोड़ प्रवासी श्रमिकों के लिए क्वारेनटीन होम और शेल्टर होम्स बनाने के लिए दिये गए है। इसके अलावा कई और श्रेणियों में भी लोगों को सीधे तौर पर फायदा मिले और बाजार में मांग की बढ़ोतरी हो, इन सभी को दृष्टिगत रखते हुए आर्थिक गतिविधियों को दोबारा पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। माननीय वित्त मंत्री ने रविवार को कहा कि इस प्रोत्साहन पैकेज की जो राशि है वह 20 लाख 97 हजार करोड़ है जो माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 12 मई को अपने संबोधन में घोषित राशि से ज्यादा ही है। यह हमारी जीडीपी का 10% है। इससे अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा। इसके अलावा कई ढांचागत सुधार किए गए हैं जो कड़े कदम उढ़ाये गए हैं उसके दम पर भारत वैश्विक स्तर पर जो प्रतिस्पर्धा है उसका सामना कर सकेगा और आर्थिक मजबूती की ओर बढ़ सकेगा। साथ ही हमारे जो परेशान किसान हैं उन्हें भी इस पैकेज से फायदा होगा और कोविड के बाद का जो आर्थिक परिदृश्य रहेगा उसमें हमें आगे बढ़ने का सहारा मिलेगा।

-राजीव कुमार

(लेखक नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं। यह इनके निजी विचार हैं।)

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