Did not say to impose Hindi, had said to adopt as a second language – Amit Shah: हिंदी थोपने की बात नहीं कही, दूसरी भाषा के तौर पर अपनाने की कही थी बात-अमित शाह

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नई दिल्ली। हिंदी पर गृहमंत्री के बयान को लेकर लगातार राजनीति हो रही है। दक्षिण भारत के नेता से लेकर अभिनेता तक हिंदी को स्वीकार करने से इनकार कर चुके हैं। जबकि अपने बयान पर मचे बवाल को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्होंने देश में कहीं भी हिंदी थोपने की बात कभी नहीं की बल्कि दूसरी भाषा के तौर पर इसके इस्तेमाल की वकालत की। शाह ने कहा कि वह लगातार क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने एक हिंदी अखबार द्वारा रांची में आयोजित एक समारोह में कहा, मैं भी एक गैर-हिंदी भाषी राज्य से आता हूं। मैं गुजरात से आता हूं जहां गुजराती भाषा बोली जाती है, ना कि हिंदी। मेरे भाषण को तसल्ली से सुना जाना चाहिए। अगर किसी को राजनीति करनी है तो यह उसकी मर्जी है। भाजपा अध्यक्ष शाह गत शनिवार को हिंदी दिवस पर दिए गए अपने भाषण का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने भारत के लिए एक समान भाषा की वकालत की थी जिस पर दक्षिण भारत के दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और हिंदी थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध करने की बात कही थी।

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