Dharamshala News : नवीन तकनीक और प्रौद्योगिकी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे कदम

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  • नवाचार को बढ़ावा दे रहा एटीसी शाहपुर
  • नवीन तकनीक और प्रौद्योगिकी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे कदम

(Dharamshala News)धर्मशाला। उपयुक्त प्रौद्योगिकी केन्द्र (एटीसी) (Appropriate Technology Center-ATC)  शाहपुर प्रदेश में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में अपने कदम बढ़ा रहा है। हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के तत्वावधान में कार्य कर रहा उपयुक्त प्रौद्योगिकी केन्द्र, शाहपुर वर्ष 2016 में अस्तित्व में आया और प्रदेश का दूसरा एटीसी बना।

3 करोड़ की लागत से इसका भवन तो बनकर तैयार हो गया, लेकिन बिना स्टाफ और आधारभूत सुविधाओं के यह केंद्र अपनी उपयोगिता साबित करने में असमर्थ रहा।

दिसम्बर 2022 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में बनी प्रदेश सरकार के अस्तित्व में आने के बाद इस केंद्र के दिन फिरे। स्थानीय विधायक व उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया के प्रयासों से देखते ही देखते यह संस्थान अपनी नई उड़ान के लिए पँख फैलाने लगा।

सरकार के प्रयासों से यहां नए पदों का सृजन हुआ और एटीसी शाहपुर धीरे-धीरे प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी नई पहचान बनाने की ओर अग्रसर है। संस्थान के लिए स्वीकृत 7 पदों में से आज प्रदेश सरकार द्वारा 6 पद भरे जा चुके हैं। यहां आज उपयुक्त स्टाफ के साथ तमाम आधारभूत सुविधाएं और काँफ्रेंस हाल भी है। यह केंद्र आज प्रोद्यौगिकी और तकनीक के क्षेत्र में नए प्रयोगों के साथ अपने कदम आगे बढ़ा रहा है।

एटीसी का मुख्य उद्देश्य विज्ञान की नवीन तकनीकों को आमजन तक पहुंचाकर उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाना है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने जहां हमारे जीवन को सुगम और सरल बनाया है, वहीं अब इसके माध्यम से एटीसी शाहपुर ग्रामीण स्तर पर लोगों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दे रहा है। प्रदेश के चार जिलों काँगड़ा, चम्बा, हमीरपुर एवं ऊना के लिए यह प्रौद्योगिकी केंद्र कार्य कर रहा है।

इन क्षेत्रों में मिल रहा प्रशिक्षण

एटीसी शाहपुर की प्रभारी एवं वैज्ञानिक अधिकारी सुनन्दा पठानिया बताती हैं कि उपयुक्त प्रौद्योगिकी केन्द्र (एटीसी) में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।

यहां वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट के तहत केंद्र के अंतर्गत आने वाले चार जिलों के लगभग 150 मिस्त्रियों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर 10 मास्टर ट्रेनर भी बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि हमारा यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील जोन में आता है।

इसी के मद्देनजर एटीसी में गत दिनों भूकंपरोधी मकान निर्माण की तकनीक बारे 50 राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षण दिया गया।

सुनन्दा पठानिया बताती हैं कि यहां 50 महिलाओं को पानी से चलने वाले एलईडी (वाटर लैंप) बनाने की तकनीक बारे भी प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

23 से 27 सितम्बर तक यहाँ पर चीड़ की पत्तियों (pine leaves) से निर्मित होने वाले विभिन्न उत्पादों को बनाने बारे पाँच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें जिला काँगड़ा के लम्बागाँव एवं रैत तथा जिला हमीरपुर के बिझड़ी विकास खण्ड की 21 महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

हमारे यहां आयोजनों में पारंपरिक तौर पर उपयोग होने वाले डूने और पत्तल जहां एक तरफ पर्यावरण अनुकूल (environmentally friendly) हैं, वहीं इनसे स्थानीय स्तर पर लोगों को कमाई के साधन भी उपलब्ध होते हैं। इसी के दृष्टिगत एटीसी केंद्र शाहपुर में राजीव गांधी सेंटर फॉर पत्तल एंड डूना मेकिंग प्रोजेक्ट भी चलाया जा रहा है। परियोजना के अंतर्गत चार मशीनें रखी गयी हैं और लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। यहाँ पर प्रशिक्षण के लिए आए हुए प्रशिक्षणार्थियों को टूल किट के अलावा मानदेय भी दिया जाता है। साथ ही उनके रहने तथा खाने-पीने की उचित व्यवस्था भी केंद्र ही करता है।

विभिन्न मॉडल प्रदर्शित

एटीसी शाहपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे शिक्षार्थियों और लोगों के अवलोकन के लिए विभिन्न मॉडल भी प्रदर्शित किए गए हैं। जिनमें लीन टू वॉल ग्रीन हाउस, ट्रोम्बे वॉल, सन स्पेस, लो कॉस्ट वाटर फिल्टर, सोलर ड्रायर, डोमेस्टिक वेस्ट वाटर डिस्पोजल, यूनिट वाटर फिल्टर इत्यादि बनाकर स्थापित किये गए हैं।

लोग उनको देखकर अपने घरों या कार्यस्थल पर उनका निर्माण करवा सकते हैं। केंद्र की प्रभारी ने बताया कि उनका यह प्रयास है कि आईएचबीटी की नवीन तकनीकों को आमजन तक पहुंचाया जा सके ताकि वे इसका अधिक से अधिक उपयोग कर अपने जीवन को आसान बना सकें।

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम

बकौल सुनन्दा पठानिया, उपयुक्त प्रौद्योगिकी केंद्र आने वाले समय में विज्ञान की विभिन्न तकनीक को आमजन तक पहुंचाने के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

अभी कुछ समय पहले ही काँगड़ा, चम्बा तथा हमीरपुर के कुछ विकास खण्ड के लोगों ने यहां आकर नई-नई तकनीकों को समझने की जिज्ञासा जाहिर की है।

इसके अलावा इस प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा स्कूलों में साइंस गतिविधियों को बढ़ावा देने से सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाये जा रहे हैं। इसके अलावा मिट्टी के बर्तन और अन्य उपकरणों को बनाने का प्रशिक्षण नवीन टेक्नोलॉजी के साथ दिया जा रहा है, जिससे रोजगार के साधन भी विकसित हो रहे हैं।

यह संस्थान धीरे-धीरे जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा है। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त किए लोग अर्थाजन के लिए नए कौशल सीखते हुए आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।