करनाल: रसायन मुक्त बासमती धान की खेती दिला सकती है अधिक विदेशी मुद्रा : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज

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प्रवीण वालिया, करनाल:
धान की सीधी बिजाई प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना मेरा पानी-मेरी विरासत’ को बढ़ावा देने में कारगर साबित हो रही है। साथ ही भूमिगत जलस्तर के संरक्षण में भी मददगार है। दिनों-दिन जल के अंधाधुंध दोहन से भूमिगत जलस्तर घट रहा है जो बहुत ही चिंता का विषय है। यह विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने व्यक्त किए।
प्रो. काम्बोज चावल में आधुनिक उत्पादन और सुरक्षा तकनीकों को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र उचानी करनाल में आयोजित किसान गोष्ठी को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। इससे पहले कृषि विज्ञान विकास केन्द्र के नवीनीकरण भवन का उद्घघाटन किया और अधिकारियों द्वारा पौधारोपण किया गया। गोष्ठी का आयोजन एचएयू के विस्तार शिक्षा निदेशालय और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से किया गया था। मुख्यातिथि ने कहा कि धान की सीधी बिजाई से एक ओर जहां पानी की बचत होती है वहीं दूसरी ओर श्रम की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश चावल का मुख्य उत्पादक राज्य है और कुल निर्यात किए जाने वाले बासमती में से अकेला प्रदेश 50 प्रतिशत तक का भागीदार है। उन्होंने कहा कि धान में समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन व समन्वित कीट एवं बीमारी प्रबंधन के द्वारा बेहतर उत्पादन हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बासमती धान की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कम से कम रसायनों का प्रयोग करें ताकि इसका निर्यात कर अधिक से अधिक विदेशी मुद्रा हासिल की जा सके। इसके अलावा धान की सीधी बिजाई करके व रसायनों व कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग करके खर्चा कम किया जा सकता है जो आमदनी बढ़ाने में भी सहायक होगा। उन्होंने कहा कि धान की बिजाई से पहले मूंग व ढेंचा की हरी खाद का प्रयोग लाभदायक है। यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ अधिक समय तक नमी रखने में भी सहायक होगी और कम पानी की जरूरत पड़ेगी।
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीमें धान वाले क्षेत्र के किसानों को लगातार जागरूक कर रही हैं। साथ ही किसानों को जल संरक्षण व धान की सीधी बिजाई के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने कहा कि वैज्ञानिक निरंतर किसानों की भलाई के लिए आधुनिक तकनीकों को ईजाद करने में जुटे हुए हैं ताकि किसानों को अधिक से अधिक फायदा मिल सके। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के इंचार्ज डॉ. महासिंह ने मुख्यातिथि का स्वागत किया जबकि मंच का संचालन डॉ. विजय कुमार ने किया। गोष्ठी में क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. ओ.पी. चौधरी, एचटीआई के प्रिंसिपल डॉ. जोगेंद्र सिंह, कृषि उप निदेशक डॉ. आदित्य दहिया सहित अनेक गांवों के किसानों ने हिस्सा लिया।
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