* Corona: Role model for Worli-Koliwara country *: *कोरोना: वरली-कोलीवाड़ा बना देश के लिए रोल मॉडल* 

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मुंबई। कोरोना के खिलाफ़ जंग में  वरली-कोलीवाड़ा आज मुंबई और राज्य के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए भी रोल मॉडल के रूप में उभरकर सामने आया है। एक महीने के भीतर वरली  कोलीवाड़ा कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो गया है। मुंबई में सबसे पहला मामला वरली-कोलीवाड़ा में ही २८ मार्च को मिला था। किसी भी झुग्गी में कोरोना का मरीज पाए जाने का  यह पूरे देश भर में भी पहला केस था। उसमें भी मुंबई का पहला कोरोना केस वरली में आने से प्रशासन और सरकार में हड़कम्प मच गया था क्योंकि वरली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है आदित्य ठाकरे का। ठाकरे परिवार का पहला व्यक्ति जो यहां से चुनाव मैदानें उतरा था। इसके कारण पूरे देश का ध्यान इस पर था लेकिन कोरोना का मुंबई का पहला मरीज यहाँ पाए जाने से मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) और पुलिस प्रशासन ने कड़े इंतज़ाम यहाँ कर दिए। इसमे यहाँ के एक लाख लोगों का सहयोग भी  मिला और आज कोरोना को परास्त करने में  वरली न सिर्फ महराष्ट्र बल्कि संपूर्ण देश के लिए एक रोल मॉडल बन गया है। पिछले १० दिनों में यहाँ एक भी कोरोना का मरीज नहीं मिला है और यहाँ की पूरी बस्ती कोरोना मुक्त हो गयी है। केंद्र सरकार की टीम जो इसी  हफ्ते मुंबई आयी थी उसने भी यहाँ का जायजा लिया और सरकार के कदमों की सराहना की है।
वरली-कोलीवाड़ा ऐसे तो जाना जाता है मुंबई के मूल निवासी कोली यानी कि मछुआरों  के कारण। यहाँ आज भी ४० फीसदी कोली लोग रहते हैं। इनके अलावा आगरी, कोंकणी और महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों से यहाँ नौकरी की तलाश में आये लोग भी रहते हैं। करीब पांच प्रतिशत मुस्लिम भी हैं। वरली-कोलीवाड़ा में पहला कोरोना का मरीज २८ मार्च को पाया गया था, जिसके बाद तुरंत ही ३० मार्च को पूरे राज्य का पहला कर्फ्यू यहीं लगाया गया। पुलिस और बीएमसी ने मिलकर पूरे इलाके को सील कर दिया था। साथ ही यहाँ बसे १०० से ज्यादा  बुजुर्ग लोगों को पास के पोद्दार अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया गया था।
पूरे इलाके में अगले ४८ घंटों तक लोगों को अपने घरों में रहने की नसीहत दी गयी। यहाँ की सब्ज़ी मंडी, किराने और दवाई की दुकानों को भी दो दिन बंद रखा गया। साथ ही पूरे इलाके को सेनिटाइज किया गया। दवाइयों का छिड़काव किया गया।
यहाँ के विधायक और केबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे ने लोगों को घरों से बाहर न निकलने का आग्रह करने वाला वीडियो जारी किया। साथ ही लोगों के घरों में १५ दिनों का राशन पहुंचाया, जिसमें गेहूं, चावल, दाल, सूजी और पोहा शामिल था।  यहाँ बसे युवा लोगो के मंडल बनाये जो लोगों के घर जाकर राशन, दूध, सब्जी पहुंचाने लगे। १० दिनों तक यहाँ वन रूपी क्लिनिक (एक रुपये वाला दवाखाना), फीवर क्लिनिक आदि चलाये गये। लोगों के घरों में जाकर टेस्टिंग की गयी। दवाइयां दी गयीं। जैसे ही किसी को कोरोना के कुछ लक्षण दिखाई देते, उन्हें १४ दिनों तक आइसोलेशन में रखा गया।
करीब १२ दिनों के बाद यहाँ के मैदान में सब्जी, जरूरी दवाइयां और किराना बेचने की शुरुआत की गयी, वह भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ। आज भी यहाँ जरूरी सामान खुले मैदानों में ही  बेचा जा रहा है। लोग एक मीटर का अंतर रखकर ही सामान  खरीद रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले १४ दिनों से यहाँ कोरोना का एक भी मरीज नहीं आया है यहाँ के १९ लोग अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर लौटे हैं और कोरोना की चेन तोड़ने में कामयाब हुए हैं।
आज भी  यहाँ के लोग ५ दिनों में सिर्फ एक बार घर से सब्जी लेने के लिए बाहर निकलते हैं। इसके कारण अब यह पूरा इलाका कोरोना मुक्त हो गया है। अब यह बस्ती पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन गयी है
यहाँ के निवासी सचिन गव्हाणे का कहना है कि शुरुआत के दो दिन घर में रहना हमारे लिए मुश्किल भरा  था। पुलिस इलाके में लगातार पेट्रोलिंग कर रही थी। लोगों को घर से बाहर न निकलने की अपील कर रही थी। कुछ केस ऐसे भी हुए जिसमें यहाँ दवाई  दुकानें बंद होने से लोगों के पास आवश्यक दवाइयां नहीं थीं। आदित्य ठाकरे को जैसे ही इस बात का पता चला, तो उन्होंने  दवाइयां भेजीं। लोगों ने खुद समझा कि कोरोना बेहद खतरनाक बीमारी है। इसीलिए अब यहाँ के लोग इस बीमारी से बाहर निकल सके हैं। अभी भी लोग सोशल डिस्टेंसिंग रख रहे है और अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
मुंबई के वरली में ही रहने वाली  मेयर किशोरी पेडनेकर का कहना है कि शुरुआत में हमारे लिए भी लोगो को समझाना कठिन था कि वे घरों में ही रहें, इसलिए हमने यहाँ  कर्फ्यू लगाया है। साथ ही सभी इलाकों को सील कर दिया है। इसके कारण लोगों का घरों से बाहर निकलना बंद हो गया। इस इलाके की सब दुकानें भी हमने बंद करा दीं ताकि लोग घरों से बाहर ही न निकलें। घर-घर जाकर परीक्षण किया गया जिसका फायदा हमें मिला और कोरोना नियंत्रण में आ गया।
यहाँ के समाजसेवी क्लेमेंट का कहना है कि हमने १५ दिनों का राशन घर-घर तक पहुंचाया ताकि बाहर का कोई भी व्यक्ति वरली-कोलीवाड़ा क्षेत्र के अंदर न जाए। इसके लिए हमने इसी क्षेत्र में रहने वाले युवा लोगों के २० मंडल बनाये। इन २० समूहों के युवा नागरिकों के घर-घर जाकर राशन और दूध पहुंचाते थे जिसके कारण किसी को घर से बाहर आने की जरूरत नहीं पड़ी।
राज्य के अतिरिक्त सचिव मनोज जोशी का कहना है कि वरली-कोलीवाड़ा पूरे देश के लिए एक मिसाल है। जिस तरह से प्रशासन और स्थानीय लोगों ने  इस इलाके को २० दिनों में कोरोना मुक्त किया है, वह काबिले तारीफ़ है। साथ ही यह इलाका अब पूरे देश के लिए रोल मॉडल है।
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