Chor-chor mausere bhaee: चोर-चोर मौसेरे भाई

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सन् १९८५ में ५२वें संविधान संशोधन ने राजनीतिक दलों के मुखिया को अपने द लके अंदर सर्वशक्तिमान बना डाला जिसने पार्टी सुप्रीमो की अवधारणा को जन्म दिया। “आयाराम, गयाराम” कीघटनाएंनहों, इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने ५२वांसंविधान संशोधन लागू किया।तब वे न केवल प्रधानमंत्री थे बल्कि वे कांग्रेस अध्यक्ष भी थे।पार्टीमेंकिसीविद्रोहसेबचनेकेलिएइससंशोधनकेमाध्यमसेराजीवगांधीनेखुदकोऔरअधिकशक्तिशालीबनानेकीनीयतसेराजनीतिकदलोंकेअध्यक्षकोपार्टीकामुखियाहीनहीं, बल्किपार्टीकामालिकभीबनाडाला।पार्टीअध्यक्षकीइच्छापार्टीकेहरदूसरेव्यक्तिकेलिएकानूनहोगई।यहीकारणहैकिसभीराजनीतिकदलकिसीएकपरिवारयाकिसीएकगुटकीप्राइवेटलिमिटेडकंपनीबनकररहगएहैं।वहपरिवारयागुटसत्तामेंहोतबभीपार्टीअध्यक्षकापदनहींछोड़ता।पार्टीअध्यक्ष की शक्तियों के सामने कोई विरोधी नहीं टिकता।पार्टीकेबैनरकेबिनाचुनावजीतनालगभगअसंभवहै, अत: पार्टीअध्यक्षकेअलावापार्टीकाहरदूसराकार्यकर्तापार्टीअध्यक्षकेसामनेएकदमबौनाहै।यहीकारणहैकिअबपार्टीकेअध्यक्षको “पार्टीसुप्रीमो” कहनेकीपरंपराचलपड़ीहै।
दलबदलविरोधीकानूनकाएकऔरपक्षयहभीहैकिसत्तासीनराजनीतिकदलकामुखियादोहरापदसंभालताहै।दलकामुखियायातोअपनेदलकाअध्यक्षभीखुदहोताहैयादलकेशेषवरिष्ठनेताओंकीउपेक्षाकरकेअपनेबच्चोंकोपार्टीकामुखियाबनादेताहैऔरखुदमुख्यमंत्रीहोताहै।उमरअब्दुला, महबूबामुफ्ती, अखिलेशयादव, सुखबीरबादलऔरउद्धवठाकरेआदिकाउदाहरणहमारेसामनेहै।यहीकारणहैकिराजनीतिकदलोंमेंआतंरिकलोकतंत्रकानितांतअभावहै।अपनादलचलानेकेलिएजोव्यक्तितानाशाहबनताहैवहदेशकामुखियाबननेपरलोकतांत्रिककैसेहोसकताहै?
इसीकानूनकासबसेज्यादाहानिकारकप्रभावयहभीहैकिहमारेदेशमेंविधायकऔरसांसदकिसीबिलकोलेकरअपनीइच्छासेमतनहींदेसकते, अपनेविवेककेअनुसारउसपरटिप्पणीनहींकरसकते।स्वतंत्रमतरखनेवालेलोगमहत्वपूर्णहों, प्रभावीहों, लोकप्रियहों, काबिलहों, तोभीवेउपेक्षितहीरहतेहैं, वेचाहेकोईभीक्योंनहों।सुब्रह्मयणस्वामीकाउदाहरणहमारेसामनेहै।वेभिन्न-भिन्नजनहितयाचिकाओंकेमाध्यमसेअपनीसक्रियताकेकारणमीडियामेंतोबनेहुएहैं, परपार्टीमेंउनकीपूछनहींहैक्योंकिवेअक्सरऐसीबातेंभीकहडालतेहैंजोभाजपाकेवर्तमानआलाकमानकोस्वीकार्यनहींहैं।सुब्रह्मयणस्वामी, वित्तमंत्रीबननेकेलिएमरेजारहेथे, कईबारगुहारभीलगाईलेकिनअगरउन्हेंइसकाबिलनहींसमझागयातोइसकाकारणयहीहैकिभाजपाआलाकमानकोलगताहैकिवे “खतरनाक” भीसाबितहोसकतेहैं।आजहरराजनीतिकदलकोतोतोंकीजरूरतहैजोबिलोंपरमतदानकेसमयहाथउठाकरसहमतिदेदें, मेजेंथपथपाएंऔरचुपरहें। “चुप्पी” और “सहनशीलता” अबएकऐसागुणहैजोहरदलकेआलाकमानकोपसंदहै।यहीकारणहैकिसन् १९९० मेंदोघंटेकेवक्फेमें १८ बिलपासहोगये, यानी, हर ६ मिनटमेंएकबिलपासहुआ।सन् २००१ मेंतोकमालहीहोगयाजबसिर्फ १५ मिनटमें ३३ बिलपासकरदियेगए, यानी, हर २५ सेकेंडमेंएकबिलपासहुआ।यहक्रमसन् २००८ मेंएकबारफिरदोहरायागयाजब ८ महत्वपूर्णबिल १७ मिनटमेंपासहोगयेऔरकिसीभीबिलपरकोईबहसनहींहुई।येआंकड़ेलोकसभाकेआधिकारिकरिकार्डमेंदर्जहैं।
चूंकिबिलोंपरस्वतंत्रमतदेनासंभवनहींहैइसलिएविधायकोंऔरसांसदोंमेंउनबिलोंकोलेकरकोईउत्साहनहींहै।वेअपनीपार्टीकीनीतिकेअनुसारमशीनीढंगसे “हां” या “न” कहडालतेहैं।परिणामयहहुआहैकिसरकारोंकोकैसाभीकानूनबनानेऔरकुछभीकरनेकीछूटमिलगईहै।इसमेंएकऔरतथ्ययहजुड़गयाहैकिवित्तविधेयकपरराष्ट्रपतिकोभीकुछकहनेकाअधिकारनहींहै।कानूननवेउनपरसहमतिदेनेकेलिएविवशहैं।यहीकारणहैकिसन् २०१६ मेंभाजपाकी “देशभक्तसरकार” नेचुपचापएकखेलखेला, जिसकाज़िक्रबहुतज्यादानहींहोपाया।
यहतमाशाशुरूहुआसन् २०१४ मेंजबदिल्लीउच्चन्यायालयनेपायाकिदोराष्ट्रीयराजनीतिकदलों, भाजपाऔरकांग्रेस, कोलंदनमेंस्थितकुछकंपनियोंसेबार-बारफंडआरहाहै, जोकानूननमान्यनहींहै।न्यायालयनेयहअवैधानिककृत्यरंगेहाथोंपकड़करचुनावआयोगकोसूचितकरदियाताकिवहइनदलों, यानी, भाजपाऔरकांग्रेसकेविरुद्धउचितकार्यवाहीकरसके।अबसरकारसक्रियहोगई।सन् २०१६ मेंपेशवित्तविधेयकमें २०१० एफसीआरए, यानी, “विदेशीअंशदानविनियमनअधिनियम” मेंविदेशीस्रोतकीपरिभाषाबदलदी।यानी, सरकारनेबिनाकोईसंवैधानिकसंशोधनबिलपेशकियेहीसंविधानमेंसंशोधनकरडाला।परयहांएकछोटा-साफच्चरफिरभीरहगया।मोदीकीसरकारनेयहसंशोधन २६ सितंबर, २०१० कीपिछलीतारीखसेलागूकियाथाताकिन्यायालयऔरचुनावआयोगकेहाथबंधजाएं, परबादमेंयहपकड़मेंआयाकिएफसीआरएकानून ५ अगस्त १९७६ कोअस्तित्वमेंआयाथाऔरयदियहसंशोधनउसतारीखसेलागूनकियागयातोभीअवैधानिकविदेशीफंडिंगकेकारणभाजपाऔरकांग्रेसदोनोंहीन्यायालयऔरचुनावआयोगकीजदमेंआजाएंगे।फिरक्याथा, सरकारनेएकबारफिरकल्पनाशीलतासेकामलियाऔर ६ फरवरी २०१८ कोजबतत्कालीनवित्तमंत्रीश्रीअरुणजेतलीनेअपनावित्तविधेयकपेशकियातोउसमेंबड़ीचालाकीसेइसतारीखकोफिरसेबदलकर ५ अगस्त १९७६ करदियागयाऔरदोनोंदलसुर्खरूहोगये।वित्तविधेयकमेंशामिलमात्र ३४ शब्दोंनेभाजपाऔरकांग्रेसकेगैरकानूनीकामकोवैधानिकमान्यतादेदी।राजनीतिक धूर्तता से परिपूर्ण उन ३४ शब्दोंकाहिंदीभावार्थयहहै :
“सन २०१६ केवित्तअधिनियमकेसेक्शन २३६ केप्रथमपैराग्राफमेंशामिलशब्दों, अंकोंऔरअक्षरों २६ सितंबर २०१० कीजगहसभीशब्दों, अंकोंऔरअक्षरोंको ५ अगस्त १९७६ पढ़ाजाए।”
संविधानसंशोधनकीएकविशिष्टप्रक्रियाहोतीहैलेकिनसंविधानकेइसप्रावधानकेकारणकिवित्तविधेयकपरराष्ट्रपतिकोविचारकरनेकाअधिकारनहींहै, भाजपासरकारनेकांग्रेसकेखामोशसमर्थनसेबिनाकिसीप्रक्रियाकापालनकियेसंविधानमेंसंशोधनकरकेअपनेअनैतिककार्यकोकानून-सम्मतबनाडाला। कांग्रेस ने चुपचाप इस खेल का समर्थन किया क्योंकि विदेशी फंड भाजपा को ही नहीं, कांग्रेस को भी मिलते रहे हैं और दोनों ही दल कानूनन दोषी थे। अपने देश में चोर-चोर मौसेरे भाई केऐसे उदाहरण हमें बार-बार देखने को मिलते हैं।
लेखक एक हैपीनेसगुरू और मोटिवेशनल स्पीकर हैं।

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