- समाज के तानों को दरकिनार मुंबई बालीवुड में जगह बनाने में कायमाब रहा कादमा का अमित
(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। छोटी आयु में पिता निधन के बाद घर की आर्थिक हालात बहुत दयनीय होने के बावजूद अपनी प्रतिभा के बल पर मुबई के बालीवुड में ग्रामीण परिवेश का लोहा मनवा रहे हैं कादमा निवासी अमित शर्मा। आध्युनिक युग की माडर्न रामायण में भरत के किरदार में जीवंत प्राण डालने वाले अमित शर्मा के रोल के सामने निर्देशक भी हैरान रह जाते हैं।
गांव कादमा निवासी अमित शर्मा मौजूदा समय में रामानंदसागर द्वारा 1987 में पहली बार रामायण बनाई थी उसी के नए माड्ल में दोबारा उनके पौत्र द्वार रचित काकभुसंडी रामायण में भरत का किरदार निभा रहे हैं। अमित कुमार का गांव के देहाती माहौल से मुंबई तक पहुंचने का सफर बहुत ज्यादा संघर्ष भरा रहा, क्योंकि वह मुंबई से बहुत अनजान था वहीं महानगर की जीवन शैली उसके लिए एक अलग दुनिया का माहौल था। गांव से होने के कारण मुंबई जैसे शहर में आकर अपने आप को यहां साबित करना बहुत मुश्किल होता है।
आरंभ में ग्रामीण आंचल के लोग उनकी माता को ताने देकर परेशान करते थे कि लडक़ा जो काम कर रहा है उससे पेट नहीं भरने वाला
अमित शर्मा के पिता गांव के मंदिर में पुजारी थे और पारिवारिक आजीविका केवल उनकी आमदनी पर निर्भर थी लेकिन 3 दिसंबर 2011 को उनकी मृत्यु के बाद हालात पूरी तरह विपरित हो गए। उनके जाने के बाद जब परिवार का बहुत कठिन समय आया तब भी अमित की मां ने बेटे की प्रतिभा पर भरोसा किया तथा धार्मिक फिल्मों, नाटकों में भाग लेने के लिए पूरी मेहनत से जुटने का हौंसला बढाया। अमित ने बताया कि वह गरीबी में पले बढ़े हुए हैं और उनकी मां ने गांव के प्राचीन मंदिर में सेवा करके जो पैसे आते थे उनसे हमारा खर्चा चलाया। आरंभ में ग्रामीण आंचल के लोग उनकी माता को ताने देकर परेशान करते थे कि लडक़ा जो काम कर रहा है उससे पेट नहीं भरने वाला।
तुम अपने बच्चों को बिगाड़ रहे हो उनका भविष्य खराब कर रहे हो जैसे लोगो के ताने सुनने के बाद भी मामा ने बेटे के सिर से आशीर्वाद का आंचल नहीं हटने दिया जिसकी बदौलत मुंबई तक आ पाया और मुझे मेरे मां के विश्वास पर खरा उतरने का मौका मिला। बाल्यकाल में मुझे यह भी पता नहीं था कि मुंबई कैसे जाया जाए। तब हमारे पारिवारिक सदस्य मनोज ने हमारा साथ दिया था वो मुझे 2021 में मुंबई लेकर आए। यहां आकर मैंने अपनी शुरुआत जूनियर आर्टिस्ट से किया। भीड़ में खड़ा होकर एक्टिंग देखता था और कैसे शूट होता है ये सब देखता था तब वहां से कुछ समझ शुरू हुआ और प्रैक्टिस करना शुरू किया। सीखने के लिए एक्टिंग क्लास भी किया पर वो ठीक से नहीं सीखा पाए वे सिर्फ टाइम पास और पैसा खर्च करवा रहे थे।
मुंबई में पैसे खत्म हुए तो गुरुद्वारा में लंगर लिया
धार्मिक कलाकार अमित शर्मा ने बताया कि उन लोगों के कारण जो पैसे मेरी मां किसी से ब्याज पर लेकर आई थी मुझे मुंबई भेजने के लिए वो सब खत्म करा दिये, और मुंबई में रहना भी मुश्किल हो रहा था क्योंकि किराया और खाना प्रबंधन नहीं हो रहा था इसलिए मैंने गुरुद्वारे में लाइन में लगके लंगर खाना शुरू किया। बचपन में ऐसे घर में परवरिश हुई थी जहां का माहौल धार्मिक था क्योंकि मेरे पिता भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे इसलिए बचपन से ही रामायण देख कर बड़े हुए थे इसलिए धार्मिक पौराणिक सीरियल के तरफ ज्यादा झुकाव था।
जब सागर वल्र्ड प्रोडक्शन से ऑडिशन के लिए कॉल आया तब मैंने अपना ऑडिशन बनाकर भेजा और उसके बाद उनको तुरंत मीटिंग के लिए बुलाया और वहां इंटरव्यू हुआ जहां मुझे तरह तरह से एक्टिंग कराके देखा गया। और रामायण के किरदार के प्रति श्रद्धा होने के कारण से और मेरे माता पिता के आशीर्वाद से मेरा चयन हो गया। इसमें मेरे बड़े भाई प्रिंस, मनोज मेरी बड़ी बहन सुमन, मंजू, अनीता सबके साथ के कारण से ही आज मैं यहां तक पहुंच पाया।
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