केंद्र के फरमान पर चंडीगढ़ में सियासत गर्म, यह है पूरा मामला Central Service Rules Apply

0
312
Central Service Rules Apply
Central Service Rules Apply

Central Service Rules Apply

आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़:
Central Service Rules Apply : केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियम लागू होने के बाद एक बार फिर केंद्र और आम आदमी पार्टी आमने-सामने आ गई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस घोषणा के खिलाफ सड़कों से संसद तक विरोध की धमकी दी है। इस मामले में कांग्रेस और अकाली दल आप सरकार के साथ हैं। इसे पंजाब के अधिकारों के लिए एक और झटका बताया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इसे चंडीगढ़ में पंजाब के अधिकारों को हड़पना करार दिया है।

क्या है केंद्र सरकार का ऐलान

केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारी वर्तमान में पंजाब सेवा नियमों के तहत काम करते हैं। जबकि केंद्र का मानना है कि नियमों के बदलाव से उन्हें पैमाने पर लाभ होगा। उनकी सेवानिवृति की आयु 58 से 60 कर दी जाएगी। इसके अलावा महिला कर्मचारियों को वर्तमान एक वर्ष के बजाय दो वर्ष का चाइल्डकैअर अवकाश मिलेगा। चंडीगढ़ कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सेवा नियम लागू करने की मांग 20-25 साल से लंबित थी।

इसके राजनीतिक मायने

पंजाब में अमित शाह की घोषणा को राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है। चंडीगढ़ को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है, लेकिन बीते दिसंबर में आप ने नगर निगम चुनावों में 14 में से ज्यादातर सीटों पर कब्जा कर लिया था। इसके बावजूद भाजपा मेयर पद जीत गया। एक वोट को अमान्य घोषित किए जाने के बाद चुनाव विवादों में था।  भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारियों को लुभाने की कोशिश कर रही है, चूंकि उसे हाल के विधानसभा परिणामों को देखते हुए सभी वर्गों से मदद की जरूरत है।

केंद्र और भाजपा का तर्क

वरिष्ठ नेता और चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सत्यपाल जैन ने दावा किया कि पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों के लिए विभिन्न वेतन आयोगों की सिफारिशों को स्वीकार करने में सक्षम नहीं थी, जबकि केंद्र ने एक बार में यूटी कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि पहले केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर वेतन, भत्ते आदि मिलते थे, लेकिन केंद्र सरकार की तर्ज पर भी उन्हें वही मिलेगा, जो उनके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा।

पंजाब पुनर्गठन अधिनियम और चंडीगढ़ स्थिति

1966 में जब पंजाब और हरियाणा को विभाजित किया गया था, तो दोनों राज्यों ने चंडीगढ़ को अपनी राजधानी होने का दावा किया था। इसके बाद केंद्र ने चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया था। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अनुसार चंडीगढ़ को केंद्र द्वारा शासित किया जाना था, लेकिन अविभाजित पंजाब में लागू कानून यूटी पर लागू होने थे। शुरूआत में इसके शीर्ष अधिकारी मुख्य आयुक्त थे, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करते थे। बाद में अधिकारियों को एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों) कैडर से लिया गया।
Central Service Rules Apply
SHARE