BJP wants to fight Priyanka: प्रियंका से ही लड़ाई चाहती है भाजपा

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उत्तर प्रदेश की सियासत में विपक्ष की खाली जगह पर जिस तेजी से प्रियंका गांधी कब्जा जमाते जा रही हैं अगर यही गति बनी रही तो आने वाले वक्त में इस सूबे का मिजाज बदल सकता है। अखिल भारतीय स्तर पर कांग्रेस से मुकाबले में खुद को सहज पाती रही भाजपा को भी शायद यह ही सूट करेगा कि यूपी में उससे मुकाबिल ग्रैंड ओल्ड पार्टी ही रहे।
सियासत की गहरी समझ रखने वाले फिलहाल कहने लगे हैं कि जिस तरह से यूपी सरकार प्रियंका गांधी को तवज्जो दे रही है, उससे लगता है कि दोनों कांग्रेस को खड़ा करके ही दम लेंगे।भाजपा को तो इसमें फायदा दिख रहा है।
तीन दशकों से यूपी में हाशिए पर पड़ी कांग्रेस आज प्रियंका की तेजी के चलते प्रभावी विपक्ष की भूमिका में तो आ ही चुकी है साथ ही मंडल कमंडल की राजनीति से निकली पार्टियों , सपा बसपा को नाकों चने चबवा रही है। प्रियंका की तेजी से उभरती शख्सियत और प्रदेश में बढ़ती स्वीकार्यता का ही नतीजा है कि सपा मुखिया अखिलेश को अपनी अभिजात्य ड्रांइगरुम की सियासत छोड़ सक्रिय होना पड़ा है और मायावती बयानों और ट्विटर के जरिए ही सही अपनी उपस्थिति दिखाने लगी हैं। लाख टके का सवाल यह है कि लोकसभा चुनावों में महज छह फीसदी वोट पाने वाली, विधानसभा में कुल जमा सात विधायकों वाली कांग्रेस को लेकर भारतीय जनता पार्टी इतना असहज क्यों दिख रही है। आखिर क्या वजह है कि प्रियंका के यूपी पहुंचते ही सरकार से लेकर संगठन तक उनके हर कार्यक्रम पर नजर बनाते हुए प्रतिक्रिया देने लगते हैं। बीते कुछ दिनों से तो शायद ही प्रियंका का कोई दौरा बीता हो जब सरकार को सफाई देने के लिए अपने उपमुख्यमंत्री या वरिष्ठ मंत्री को न उतारना पड़ा हो। प्रियंका की तेजी से जिस कदर सरकार के पसीने छूटते नजर आते हैं उससे इतना साफ है भाजपा अब आने वाले दिनों में कांग्रेस को महज मस्म निभाऊ पार्टी समझ चुनाव में हल्के में नही लेने जा रही बल्कि गंभीर प्रतिद्वंदी के तौर पर लेगी।
प्रियंका गांधी के इसी सोमवार को हुए दौरे में जिस तरह से योगी सरकार और खुद मुख्यमंत्री पर हमले हुए हैं उसने यूपी में नई तरह की हलचल पैदा कर दी। सुस्त और काहिल विपक्ष के आदी हो चुकी भाजपा सरकार को प्रियंका गांधी की छापामर शैली के विरोध में खासी ताकत लगानी पड़ रही है। इस बार के दौरे में प्रियंका ने जहां नागरिकता कानून के विरोध में यूपी में आम लोगों पर हुए दमन का मुद्दा उठाया वहीं खुद अपने उपर योगी सरकार की ज्यादाती का आरोप भी चस्पा किया। प्रियंका गांधी के घर सुरक्षा को धता बता यूपी पुलिस के जाने को लेकर बवेल मचा वहीं सामाजिक कार्यकर्त्ता पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी के घर उनके जाने पर होने वाली धक्का मुक्की पर खासा बखेड़ा खड़ा हुआ। प्रियंका गांधी के कार्यालय की ओर से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को इस बारे में खत लिखा गया है। सीआरपीएफ के महानिदेशक प्रदीप कुमार सिंह को लिखे इस खत में आरोप लगाया है कि लखनऊ में एक सर्किल अफसर ने प्रियंका के सुरक्षाकर्मी को धमकी दी और उनके कार्यक्रमों को रोके जाने की चेतावनी दी। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी के कार्यालय की ओर से इस पुलिस अफसर के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की गई है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका की एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) सुरक्षा हटाने का फैसला किया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद पूरे गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा कवर दिया गया था। अब गांधी परिवार के पास जेड प्लस सुरक्षा है। इसके तहत सोनिया, राहुल और प्रियंका देश भर में जहां भी जाते हैं, उनके साथ सुरक्षाकर्मियों के अलावा सीआरपीएफ के कमांडो भी साथ रहते हैं। पत्र में कहा गया है कि हजरतगंज के पुलिस अफसर अभय मिश्रा ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। पत्र में प्रियंका के कार्यालय ने लिखा है, हजरतगंज के सीओ अभय मिश्रा अपने दर्जन भर पुलिसकर्मियों के साथ बिना अनुमति के उस इमारत में चले गए, जहां प्रियंका गांधी ठहरी हुई थीं। इसके बाद मिश्रा ने सीआरपीएफ के कर्मियों के साथ गरमा-गरम बहस की और यह सब प्रियंका के कमरे से 5 मीटर की दूरी पर हुआ।
खत में प्रियंका के कार्यालय ने लिखा है, मिश्रा ने सीआपीएफ के कर्मियों पर जानकारी छुपाने का आरोप लगाया और धमकी दी कि वह प्रियंका गांधी को कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराएंगे। खत में यह भी कहा गया है कि मिश्रा ने कहा कि वह इस जगह से प्रियंका को दो कदम भी बाहर नहीं जाने देंगे। कांग्रेस महासचिव के कार्यालय की ओर से कहा गया है कि प्रियंका की निजी इमारत के अंदर जाने और उनके सुरक्षाकर्मियों को धमकाने या उनके कार्यक्रमों को रोकने का सीओ के पास कोई अधिकार नहीं है। इससे पहले प्रियंका ने शनिवार को आरोप लगाया था कि जब वह एस.आर. दारापुरी से मिलने के लिए उनके घर जा रही थीं तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की और एक महिला अधिकारी ने उनका गला पकड़ कर खींचा। इसके बाद कांग्रेस यूपी पुलिस और योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमलावर हो गई। प्रियंका ने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि बीजेपी सरकार कायरों वाली हरकत कर रही है। उन्होंने कहा कि वह उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं और वह उत्तर प्रदेश में कहां जाएंगी, यह बीजेपी सरकार तय नहीं करेगी। इस दौरान प्रियंका गांधी का लखनऊ की सड़कों पर स्कूटी पर जाते हुए एक वीडियो भी सामने आया। पुलिस के रोकने के बाद भी वह दारापुरी के परिजनों से मिलीं और उनका हालचाल जाना। लगातार योगी सरकार पर हमलावर प्रियंका ने राज्यपाल को एक पत्र भेज कर प्रदेश सरकार के कई कारनामें उजागर करते हुए उचित कारवाई की मांग की है।
प्रियंका का कहना है कि उनका पत्र वो कम्प्लीट डॉक्यूमेंट है जो दशार्ता है कि प्रदेश सरकार पुलिस द्वारा कई जगह अराजकता फैलाई गई है। उन्होंने कहा कि वह बिजनौर गयी थी जहां दो नौजवानों अनस व सुलेमान की मौत हुई थी, वो दोनों लड़के हिंसा व प्रदर्शन में शामिल नही थे। वो दूध लेने गया था गोली लगने के बाद परिवार अस्पताल ले गया लेकिन सहायता के बजाय पुलिस ने उलटे धमकाया। प्रियंका का कहना था कि दारापुरी को घर से गिरफ्तार किया जो एक अम्बेडकर वादी आईपीएस रहे जिनकी 75 वर्ष की बीबी बीमार है और उठ नही सकती। उनका कहना था कि वाराणसी में पढ़ने वाले दर्जनों छात्रों को जेल भेजा गया जो शांति से प्रदर्शन कर रहे थे। पूरे प्रदेश में 1100 लोगों को गिरफ्तार किया और 5500 के खिलाफ मुकदमा लिखा गया। तमाम लोगो को पीट पीट कर जेल भेजा जा रहा है। मुख्यमंत्री के बदला वाले बयान पर भी वह बोलीं और कहा कि सीएम ने जो बयान दिया कि बदला लिया जाएगा पुलिस प्रशासन वही बदला ले रहा है। जबकि इस देश की आत्मा में हिंसा बदला का अंश नही है। ये देश कृष्ण का राम का शिव का है। प्रियंका ने सीधे मुख्यमंत्री पर वार करते हुए उनके लिबास पर टिप्पड़ी कर दी। उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम ने योगी ने भगवा धारण किया हुआ है। ये भगवा जो धारण किया है ये हिन्दू धर्म की भावना का है और इस भगवे में रंच बदला हिंसा का अंश नही है। प्रियंका के हमले के जवाब में उतरे उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रियंका दंगाईयों का समर्थन कर रही हैं और भगवा को आक्षेपित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव ने मीडिया में बने रहने के लिए नियम कानून को ताक पर रख दिया और कुछ दिनों से कांग्रेस ऐसे अवैधानिक प्रयास कर रही है। उनका कहना है कि दफा 144 लगी थी फिर भी प्रियंका ने मीडिया कवरेज के लिए तमाशा किया। बहरहाल उत्तर प्रदेश में प्रियंका बनाम योगी के ड्रामे ने कम से कम इतना तो तय कर दिया है अगला विधानसभा चुनाव दिलचस्प होगा और भाजपा की पूरी कोशिश इसे खुद बनाम कांग्रेस बनाकर इलाकाई दलों को हाशिए पर धकेलने की होगी।

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
(लेखक उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के अघ्यक्ष हैं।)

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