भिवानी : लाल डोरा भूमि स्वामित्व बना गले की फांस, ग्रामीणों की उदासीनता से भविष्य में बनेंगे बड़े विवाद

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red dora land
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आज समाज डिजिटल, भिवानी :
प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग द्वारा लाल डोरा की हदबस्त से अंदर बने वर्षो पुराने मकानों को स्वामित्व पहचान देने की योजना का ग्रामीण क्षेत्र में प्रचार प्रसार न होने से भारी गड़बड़झाला होने लगा है जो आमजन के गले की फांस बन गया है जिसका मुख्य कारण प्रदेश सरकार ने ग्राम सभाओं को सारा अधिकार देकर अंतिम नक्षा पारित करने की खुली छूट देना है। प्रदेश सरकार ने पहली बार वर्षो से आबाद बस्ती में रिहायश करने वाले आमजन को उसका मालिकाना हक देने के लिए लाल डोरा हदबस्त भूमि स्वामित्व योजना आरंभ की है जिससे समस्त गांव का ड्रोन सिस्टम से पैमाईश करवा कर एक विशेष प्रारुप तैयार करवा कर उसको ग्राम सभा से पारित करवाया जा रहा है।

इसके बाद एक तरह से अपने मकान की जगह पर राजस्व विभाग द्वारा स्वयं का मालिकाना हक देने से एक तरह से आपसी विवाद कम होने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन गांव गांव में नक्षा तैयार करने में बरती जा रही अनिमियतता ने ग्रामीणों की परेशानी बढा दी है।
ना ग्रामिणों को ज्ञान ना विभाग की टीम को नई योजना से भविष्य में भले ही प्रत्येक घर का मालिकाना हक स्पष्ट होगा वहीं अधिकतर मकानों का पंजीकरण करवाने की प्रक्रिया का न तो ग्रामीणों को ज्ञान है और न हीं विभाग की टीमों ने उनको जागरुक किया जिससे गांव गांव के निवासियों का जुतम पैजार होना आम बात हो गई है।  लगभग गांवों में लाल डोरे की रिहायशी भूमि का पंजीकरण करने में अधिकतर ग्रामीणों को पूरी जानकारी नहीं होने से उनमें भूमि स्वामित्व का नाम पंजीकृत नहीं हो पाया है और उनको जब पता चला तो अधिकारियों ने निर्धारित एक माह के कार्यकाल में विरोध दर्ज न करवाने का हवाला देते हुए कागजी रिकार्ड में किसी तरह का हस्तक्षेप करते हुए हाथ खड़ा कर देते हैं।  
सुधार के लिए नहीं किया कोई अधिकारी अधिकृत
तहसीलदार, बीडीपीओ व एसडीएम द्वारा राज्य मुख्यालय से सुधारीकरण करने में अभी तक किसी तरह का स्पष्ट निर्देश न होने की बात कह कर आमजन का प्रार्थना पत्र भी अस्वीकार करने को मजबूर नजर आ रहे हैं।
आनन फानन में भेज दिया रिकार्र्ड
पंचायत विभाग व राजस्व विभाग की टीम ने आनन फानन में रिकार्ड तैयार करवा कर राज्य मुख्यालय भेज दिया और अब उनके सामने सिविल कोर्ट में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। गरीब परिवारों के समक्ष अब अपनी पुश्तैनी भूमि का सही पंजीकरण अपने नाम करवाने के लिए अलग से आर्थिक नुकसान वहन करना पड़ रहा है। उन्होंने जिला प्रशासन से इसके लिए विशेष शिविरों का आयोजन कर रिकार्ड दुरुस्त करवाने की मांग की।
क्या कहते है अधिकारी
नायब तहसीलदार शेखर नरवाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया धीरे धीरे प्रथम कार्यवाही कर ग्राम पंचायतों में अंतिम रुप दिया गया है अब सामने आई त्रुटियों को लेकर राज्य सरकार से जो भी दिशानिर्देश मिलेगा उसी के तहत आगामी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। 

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