बरनाला: औद्योगिक क्रांति के साथ अध्यात्मिक शांति के लिए भी होगा सदाचार मिशन तैयार

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अखिलेश बंसल, बरनाला:
सामाजिक असंतोष की समाप्ति के बिना औद्योगिक क्रांति फलित होना असम्भव है, इसके लिए भारत की देवभूमि से जुड़े मानवता के वैज्ञानिकों, संत तपश्वी साधकों व जनकल्याण भगीरथों की पहलकदमी होना भी जरूरी है। संयुक्त सदाचार मिशन के अंर्तगत पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न नंदा जी की सैध्दांतिक संस्था द्वारा आगामी गांधी जयंती से अगली 2022 अक्टूबर तक पुरे देश में नैतिक वर्ष मनाया जायेगा। गाँधी जयंती-2021-22 के आयोजन के लिए ब्रह्मकुमारी रिट्रीट सेंटर गुरुग्राम स्थल निशिचत किया गया है। जिसके अंर्तगत भारतीय संस्कृति रक्षा संस्थान में एक हजार संस्थाओं को संगठित करने को संयुक्त सदाचार मिशन ने तैयारी शुरू कर दी है। यह जानकारी भारतरत्न गुलजारी लाल नंदा के परम शिष्य एवं गुलजारीलाल नंदा फाउंडेशन के चेयरमेन कृष्ण राज अरुण ने विशेष साक्षात्कार के दौरान दी है। उन्होंने बताया कि वेल्यूबेस्ड एजुकेशन के प्रोफेसर एम. एस. चंद्रावत संयोजन के लिए एडाग कमेटी में शामिल हैं, जबकि नेतृत्व रोल आफ किंग गुलजारीलाल नंदा फाउंडेशन करेगा। इसके लिए सर्व धर्म प्रमुख, समाज शास्त्री, शिक्षा विड़द तथा दुनिया के विद्द्वानो के सतिकार में इस मिशन का ध्वज: फहराने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरिंदर मोदी की मौजूदगी में एशिया के देशों का महा सम्मेलन होगा। जिसका संयोजन एशिया के प्रसिद्ध प्रोफेसर संदीप मारवाह करेंगे। र्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री महाराजा डॉ. कर्ण सिंह भी आमंत्रित होंगे।

कृष्ण राज अरुण जो कि समाज चिंतक एवं वरिष्ठ पत्रकार भी हैं उन्होंने कहा है कि देश कोरोना काल में टूटा तो नहीं है, मगर आर्थिक हानि ने कई सबक दिए हैं यह विश्व त्रासदी है। सामाजिक असंतोष समाप्ति के बिना तमाम उपलब्धियां बौनी हैं। वास्तविकता यह है की मनुष्य भले ही वैज्ञानिक उपलब्धियों से व्योम में चला जाए, लेकिन घर पड़ोस का दूर हो गया है। भारतीय संस्कृति के नैतिक चिंतन को आध्यात्मिक संजीवनी की आवश्यकता है जिसे सभी संत, गुरु, मौलवी, फादर समेत सर्वधर्म एकमंच पर एकत्रित हो भारत देश में मजबूत जागृत समाज की स्थापना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अधुनिकता की बाढ़ रहन सहन भी दुख का कारण हैं। पाप के रास्ते की कमाई इंसान को आनैतिक दिवालियेपन की खाई में धकेल रही है। अशिष्टाचार ने आचरण और विवेक को दिव्यांग बना दिया है। किसी के पास अपने तक लिए फुरसत के पल नहीं बचे हैं। मोबाईल फोन, टीवी फिल्में मित्र बन गए हैं जबिक वास्तविक रिश्ते उदासी व तन्हाई में हैं।

अरुण ने कहा आज हम सभी खाली हाथ व्यस्त (बुजी विदाउट वर्क) के अंधेरे में झूम रहे हैं। अरुण ने कहा की सतत विकास के लिए व प्रकृति मनुष्य के लिए है, प्रकृति को समझे बिना मनुष्य जुड़ नहीं सकता, इसके बिना हरे भरे जैविक खेती समझ नहीं आ सकती और ना ही पर्यावरण की वास्तविकता समझ आएगी। अवैध खनन, नशा और अन्य मिलावटी सामान इसलिए जल्द समझ में आ जाता है, क्योंकि वह मोटी कमाई का साधन है। पैसे दोगुना करने की गेम का अंधा लालच इंसान को रात दिन रौंदता आ रहा है। ऊंची उड़ान की राजनीति में तपश्वि स्वयंसेवक समाज के लिए जीने वाले अलगथलग पढ़ रहे हैं यह बेहद जटिल विषय है इससे भारत को निकलना ही होगा इसके लिए राष्ट्रवाद नैतिक क्रांति मूल्य आधारित शिक्षा ही प्राथमिक विद्यालय राजा रंक समान गुरु अवहेलना नही होनी चाहिए।

एक सवाल के जवाब में भारतरत्न नंदा के शिष्य ने कहा कि प्राथमिक स्तर से करनी कथनी अन्तरमुक्त मूल्य आधारित शिक्षा ही इंसानी ईमान को बचाएगी, तभी मिलावट करने , प्रदूषण फैलाने वाले हाथ रुक सकेंगे, नतीजन हिंसामुक्त खाद्यान जैविक अन्न और आध्यात्मिक मन से सिस्टम समाज और कानून मजबूत होगा, व्यवस्थाएं डगमगाना छोड़ेंगी, जो योजना बनेगी कारगर होंगी । के आर अरुण ने कहा कि भारत साधु समाज सनातन रक्षा दल सहित उच्च आदर्श संस्थाएं व कार्य निर्माण ही इंसान को इंसान समझने के नैतिक चेतना के द्वार खुलेंगे, स्वस्थ परंपराएं समाज व्यक्ति आचरण को मजबूत करेंगी। आम जनजीवन में हिंसा का वातावरण का बढ़ता प्रभाव देश की व्यवस्थाओं को गर्त में ले जाने की कोशिश को विराम लगेगा चूँकि यह नैतिकता का आभाव है जिसका कारण मूल्य आधारित शिक्षा अभाव और रसायनिक खाद्य सामग्री से मनुष्य जीवन में हिंसा, सेक्स, लालच, परिणाम की परवाह किये बिना जीवन यापन करना खुद के लिए जीना सिर्फ खतरनाक वातावरण है। उन्होंने दावा किया है कि यह कदम मनुष्यता के लिए संजीवनी के द्वार खोलने वाली मूल्यआधारित शिक्षा की संजीवनी समझ आ सकेगी।

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