बरनाला:  राष्ट्रीय लोक अदालत में 10-10 साल पुराने लंबित केसों का हुआ निपटारा

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Lok adalat
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वर्षों से अदालतों के चक्कर काट रहे शिकायतकर्ताओं और आरोपियों ने ली राहत की लंबी सांस।

 अखिलेश बंसल, बरनाला: 

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण व पंजाब स्टेट कानूनी सेवा अथॉरिटी के आदेशानुसार शनिवार को बरनाला में स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी  द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें 687 मामलों की सुनवाई हुई और 610 मामलों का आपसी रजामंदी से निपटारा किया गया, जिनमें कुछ केस 9-9 और 10-10 साल पुराने चले आ रहे थे। लोक अदालत में 2,32,24,113/- रुपए के अवार्ड भी पास होने बताए गए हैं।

बरनाला में लगे 6 बेंच

जिला व सेशन जज-कम-चेयरमैन, स्टेट कानूनी सेवा प्राधिकरण श्री वरिन्दर अग्रवाल, के नेतृत्व में आयोजित हुई राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेटिव और पेंडिंग केसों की सुनवाई करने और आपसी सहमति से निपटाने के लिए कुल 6 बैंचों का गठन किया गया था। जिसमें श्री बरजिंदर पाल सिंह (एडिशनल जिला और सेशन जज -1),  श्री कपिल अग्रवाल (जिला जज फैमिली कोर्ट),  श्री विनीत कुमार नारंग (सिविल जज सीनियर डिविजन),  श्रीमती सुरेखा रानी (ए.सी.जे. सीनि.डिवी.),  श्री चेतन शर्मा (सिविल जज जुनि.डिवी.) और श्री विजय सिंह ददवाल (सिविल जज जुनि.डिवी.) शामिल हुए।

10 साल पुराने केस हुए हल

जिले के कस्बा तपा के धार्मिक स्थान से संबंधित दस साल पुराने झगड़े में दो दिवानी दावे (फार पोजेशन और डिक्लेरेशन) नंबर 468 तारीख 07.05.2011 और 506 तारीख 15.06.2011 अनुमान मुकदमा ठाकुर द्वारा-बाहरी तपा बनाम मधुसूदन दास,  जो कि ठाकुर द्वारा बाहरी तपा द्वारा सेवक दास और मधुसूदन दास के खिलाफ दायर किये गए थे। उक्त दोनों दिवानी मुकदमों का फैसला 20.04.2019 को माननीय सिविल जज (सीनि.डिवी.) बरनाला की अदालत की ओर से किया गया था। उक्त जजमैंट और डिकरी के खिलाफ मधुसूदन दास और सेवक दास ने दीवानी अपील दायर की थी, जो कि श्री बरजिंदर पाल सिंह,  माननीय अतिरिक्त जिला जज बरनाला की अदालत में विचाराधीन थे। पिछले 10 से चल रहे (ठाकुर द्वार बाहरला तपा) के झगड़े का निपटारा आपसी रजामंदी से हो गया। यह निपटारा पार्टियों की ओर से दीवानी अपीलें वापिस लेने से संभव हो सका है।

एस.सी/एस.टी एक्ट से संबंधित 9 साल पुराना केस भी हुआ हल

बिट्टू सिंह नामक व्यक्ति की तरफ से कमला देवी और अन्य के खिलाफ 9 साल पहले 11.10.2012 को धारा 323, 324, 506, 34 आई.पी.सी. और धारा 3 और 4 एस.सी/एस.टी एक्ट के अंतर्गत दायर किया गया इस्तगासा,  जो कि माननीय जे.एम.आई.सी. श्री रंजीव पाल सिंह चीमा की अदालत ने 13.07.2017 को खारिज कर दिया था। उनके आदेश के खिलाफ शिकायतकर्ता बिट्टू सिंह द्वारा रिवीजन पिटीशन दायर की गई थी, जो कि एडिशनल सेशन जज बरनाला अदालत में विचाराधीन थी। वह भी राष्ट्रीय लोक अदालत में आपसी समझौता से हल हो गई। शिकायतकर्ता बिट्टू सिंह ने उक्त रिवीजन पिटीशन वापिस ले ली।

आर्बिट्रेशन का मामला भी हुआ हल

10 साल पहले पंजीकृत हुए आर्बिट्रेशन के मामले में कंबाइन हार्वेस्टर,  ट्रैक्टर और कृषि व भारी लिफ्ट मशीनरी निर्माण करने वाली फर्म मैस. स्टैंडर्ड निगम इंडिया और फ्लाईव्हील, रिंग गियर व शाव्ट का व्यापारिक सौदे करती दूसरी फर्म मैस. कलच्च इंटरनेशनल के बीच 01.09.2012 को झगड़ा हुआ था। दोनों पार्टियों ने आर्बिट्रेटर के पास पहुंच की थी। आर्बिट्रेटर ने 10.05.2016 के दिन मैस. कलच्च इंटरनेशनल के पक्ष में अवार्ड पास कर दिया था। जिसे गलत करार देते मैस. स्टैंडर्ड ने 13.7.2016 को अदालत में अवार्ड को रद्द करने के लिए अपील की थी। अदालत द्वारा दोनों पक्षों में समझौता करवा दिया गया। जिससे करीब 10 साल तक चली मुकदमेबाजी को विराम लगा।

अगली अदालतें जल्द

माननीय जिला और सेशन जज बरनाला श्री वरिन्दर अग्रवाल जी ने कहा है कि लोक अदालतों से हजारों लोगों को लाभ हुआ है। इससे लोगों को समय व पैसा बचा है। इन अदालतों में मामलों का जल्दी निपटारा,  लोक अदालत के फैसले को दीवानी कोर्ट की डिक्री की मान्यता प्राप्त है,  इसके फैसले खिलाफ कोई अपील नहीं होती और इसमें आपसी समझौते के साथ फैसले कराने का प्रावधान हैं,  जिससे दोनों पक्षों और समाज में अमन शान्ति कायम रहती है, लोक अदालत में फैसला होने के बाद केस में लगी सारी कोर्ट फीस पार्टी को वापिस मिल जाती है, राष्ट्रीय लोक अदालत के फैसले अंतिम होते हैं। अगली राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन 11.09.2021 और 11.12.2021 को होगा।

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