मेष राशिफल 03 मई 2022

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मेष राशिफल 03 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 03/05/2022,मंगलवार
तृतीया, शुक्ल पक्ष
वैशाख
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

***  दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मेष

आज का दिन विद्यार्थियों के लिए उत्तम रहेगा। परिवार में आवाजाही बनी रहेगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। जोखिम न उठाएं। तनाव रहेगा, मान बढ़ेगा। प्रसन्नता रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। यदि वह किसी परीक्षा के लिए आवेदन करना चाहते हैं,तो वह कर सकते हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कुछ गिरावट के कारण आपको परेशानी होगी। आज आप माता-पिता से सलाह मशवरा लेकर जिस भी कार्य को करेंगे,उसमें आपको सफलता अवश्य मिलेगी। आपको किसी दूरदराज की यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा,लेकिन आपको उसमें सावधानी से जाना होगा व वाहनों के प्रयोग से सावधानी बरतें। जो लोग राजनीति में हाथ आजमाना चाहते हैं,उनके लिए कोई बेहतर अवसर आ सकता है।

तिथि—————तृतीया अहोरात्र तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——— रोहिणी 27:16:40
योग———— शोभन 16:13:25
करण———– तैतुल 18:23:04
वार———————- मंगलवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि—————— वृषभ
सूर्य राशि——————– मेष
रितु———————— वसंत
सायन———————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:39:51
सूर्यास्त————— 18:52:40
दिन काल————- 13:12:49
रात्री काल————- 10:46:24
चंद्रोदय—————- 07:06:03
चंद्रास्त—————- 21:20:09

लग्न—- मेष 18°24′ , 18°24′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र—————– रोहिणी
नक्षत्र पाया—————— लोहा

*** पद, चरण ***

ओ—- रोहिणी 07:11:42

वा—- रोहिणी 13:52:15

वी—- रोहिणी 20:33:57

वु—- रोहिणी 27:16:40

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मेष 18:12 भरणी , 2 लू
चन्द्र =वृषभ 12°23 , रोहिणी, 1 ओ
बुध =वृषभ 08 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=कुम्भ 05 °05, उo भा o ‘ 1 दू
मंगल=कुम्भ 19°30 ‘ शतभिषा’ 4 सु
गुरु=मीन 03°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°55’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°55 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 15:34 – 17:14 अशुभ
यम घंटा 08:58 – 10:37 अशुभ
गुली काल 12:16 – 13:55 अशुभ
अभिजित 11:50 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:18 – 09:11 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:12 – 24:04* अशुभ

 चोघडिया, दिन
रोग 05:40 – 07:19 अशुभ
उद्वेग 07:19 – 08:58 अशुभ
चर 08:58 – 10:37 शुभ
लाभ 10:37 – 12:16 शुभ
अमृत 12:16 – 13:55 शुभ
काल 13:55 – 15:34 अशुभ
शुभ 15:34 – 17:14 शुभ
रोग 17:14 – 18:53 अशुभ

चोघडिया, रात
काल 18:53 – 20:13 अशुभ
लाभ 20:13 – 21:34 शुभ
उद्वेग 21:34 – 22:55 अशुभ
शुभ 22:55 – 24:16* शुभ
अमृत 24:16* – 25:37* शुभ
चर 25:37* – 26:57* शुभ
रोग 26:57* – 28:18* अशुभ
काल 28:18* – 29:39* अशुभ

 

होरा, दिन
मंगल 05:40 – 06:46
सूर्य 06:46 – 07:52
शुक्र 07:52 – 08:58
बुध 08:58 – 10:04
चन्द्र 10:04 – 11:10
शनि 11:10 – 12:16
बृहस्पति 12:16 – 13:22
मंगल 13:22 – 14:28
सूर्य 14:28 – 15:34
शुक्र 15:34 – 16:41
बुध 16:41 – 17:47
चन्द्र 17:47 – 18:53

होरा, रात
शनि 18:53 – 19:47
बृहस्पति 19:47 – 20:40
मंगल 20:40 – 21:34
सूर्य 21:34 – 22:28
शुक्र 22:28 – 23:22
बुध 23:22 – 24:16
चन्द्र 24:16* – 25:10
शनि 25:10* – 26:04
बृहस्पति 26:04* – 26:57
मंगल 26:57* – 27:51
सूर्य 27:51* – 28:45
शुक्र 28:45* – 29:39

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मेष > 03:58 से 05:48 तक
वृषभ > 05:48 से 07:38 तक
मिथुन > 07:38 से 09:53 तक
कर्क > 09:53 से 12:10 तक
सिंह > 12:10 से 14:23 तक
कन्या > 14:23 से 06:34 तक
तुला > 06:34 से 06:49 तक
वृश्चिक > 06:49 से 09:03 तक
धनु > 09:03 से 23:05 तक
मकर > 23:04 से 00:56 तक
कुम्भ > 00:56 से 02:24 तक
मीन > 02:24 से 03:58 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

3 + 3 + 1 = 7 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

3 + 3 + 5 = 11 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* अक्षय तृतीया (चरण दर्शन ) बांके बिहारी जी वृन्दावन

*परशुराम जयन्ती

* रोहिणी व्रत

*मातंगी जयन्ती

*विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस

*सौर ऊर्जा दिवस

*** शुभ विचार ***

देवद्रव्यं गुरुद्रव्यं परदाराभिमर्षणम् ।
निर्वाहः सर्वभूतेषु विप्रश्चाण्डाल उच्यते ।।
।। चाo नी o।।

वह ब्राह्मण जो भगवान् के मूर्ति की सम्पदा चुराता है और वह अध्यात्मिक गुरु जो दुसरे की पत्नी के साथ समागम करता है और जो अपना गुजारा करने के लिए कुछ भी और सब कुछ खाता है वह चांडाल है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15

गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा ।,
पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः ॥,

और मैं ही पृथ्वी में प्रवेश करके अपनी शक्ति से सब भूतों को धारण करता हूँ और रसस्वरूप अर्थात अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण ओषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूँ॥,13॥,

 

***  आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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