मंडियां बंद रख आढ़तियों ने दिखाया आक्रामक रुख, कृषि मंत्री ने बुलाया

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Arhtiyas showed aggressive attitude by keeping mandis closed Agriculture Minister called

आज समाज डिजिटल, करनाल:

मांगों की अनदेखी के चलते आढ़तियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रामक रूख अपना लिया। आढ़तियों ने विरोध स्वरूप मंडियां बंद रख खरीद कार्य बंद कर दिया। इसके चलते मंडियों में धान लेकर आने वाले किसानों की मुसीबत बढ़ गई। धान की सरकारी खरीद से पहले आढ़तियों के कड़े तेवर देख सरकारी अमले में हडक़ंप मच गया। आढ़तियों की आक्रामता देख कृषि मंत्री जेपी दलाल ने हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारियों को बातचीत के लिए चंडीगढ़ बुलवा लिया।

ये है आक्रामकता का कारण

बता दे कि प्रदेशभर की मंडियों में बारीक धान के अलावा पीआर धान की भी आवक लगातार बढऩे लगी है, मंडियों में प्रतिदिन 2 लाख क्विंटल धान की आवक हो रही है। लेकिन आढ़तियों की हड़ताल के चलते मंडियों में आवक एकाएक घट गई। सोमवार को मंडियों में धान की आवक न के बराबर होने के बारे में बताते हुए हरियाणा स्टेट अनाजमंड़ी आढ़ती एसोसिएशन चेयरमैन रजनीश चौधरी ने बताया कि सरकार को आढ़तियों की मांगों के बारे में पहले ही अवगत कराया था, सरकार ने आढ़तियों की मांगों को पूरा करने की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसके चलते प्रदेशभर के आढ़तियों ने सर्व सम्मति से निर्णय लिया था कि सरकार समय रहते आढ़तियों की मांगों को माने अन्यथा आढ़ती मंडियों में खरीद कार्य बंद कर देंगे। खरीद कार्य बंद होने के बारे में किसान भाइयों को पहले ही अवगत करा दिया था। इसके चलते सोमवार को मंडियों में धान की आवक बहुत कम हुई।

किसानों को डराने लगी हड़ताल

आढ़ती भाईयों की एकता के चलते कृषि मंत्री ने एसोसिएशन को बातचीत के लिए बुलाया है। बातचीत में क्या फैसला होता है, इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन इतना तय है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानेंगी तो हड़ताल जारी रहेंगी। जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। मंडी में धान लेकर आए किसानों ने कहा कि अगर आढ़तियों की हड़ताल जल्द खत्म न हुई तो धान नहीं बिक पाएगा। अब तो पीआर धान पक चुकी है, बस सरकारी खरीद का इंतजार किया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि आढ़तियों की मांगों पर गंभीरता से विचार करें। यहीं किसानों के हित में होगा।

ये है आढ़तियों की मांगे

फसलों की खरीद व पूरी आढ़त दी जाए। किसानों की सभी फसलें सरकार द्वारा एमएसपी पर आढ़तियों के माध्यम से ही खरीदी जाए। आढ़त पूरी 2.5 प्रतिशत मिलनी चाहिए जो की पिछले दो सीजन से गेहूं पर रुपए 46 और धान पर 45.80 रुपए दी गई है। जोकि सरासर गलत है जिसकी मांग बारे आपसे बार बार आग्रह किया गया है। हमें पूरी आढ़त दिलवाई जाए।फसल का भुगतान सीधे किसानों को दिया जाने लगा है इस से आढ़तियों के साथ-साथ किसानों में बहुत रोष है। सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी फसलों का भुगतान किसान की इच्छा अनुसार आढ़ती या किसान के स्वयं के खाते में अदा किया जाना चाहिए। ई-नेम को मंडियों में लागू न किया जाए।

सीमांत किसानों की फसल को खरीदें सरकार

सीमांत किसानों को ई खरीद पोर्टल पर रजिस्टर्ड करने के बाद भी सरकार ने उनकी फसलें नहीं खरीदी है जबकि यह सभी सीमांत किसान बहुत वर्षों से हरियाणा की मंडियों से ही जुड़े हुए हैं। उनमें से बहुत से किसान हरियाणा के ही रहने वाले द्य इस धान सीजन में सरकार के द्वारा उनका धान नहीं खरीदने के कारण किसानों और आढ़तियों को बहुत नुकसान हुआ है। इससे इनमें भारी रोष है द्य अत: सरकार आगामी सीजन में सभी सीमांत किसानों की फसलों की खरीद जरूर करें।

मार्केट फीस 4 के बजाय एक प्रतिशत की जाए

सन 2020 में धान पर मार्केट व एचआरडीएफ फीस 4 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दी थी। परंतु अभी फिर से विभाग ने यह फीस 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दी है द्य जबकि पड़ोसी राज्यों में यह टेक्स हमारे हरियाणा से बहुत कम है। दूसरे प्रदेशों में टैक्स कम होने के कारण व्यापारी हरियाणा की बजाय दूसरे प्रदेशों से धान खरीद रहे हैं। इससे हरियाणा के किसानों को धान के दाम कम मिल रहे हैं द्य सरकार इसे दोबारा 4 प्रतिशत के बजाय 1 प्रतिशत कर दिया जाए।

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