महेंद्रगढ़: एचएयू किसानों के लिए सदैव तत्पर, ज्यादा से ज्यादा उठाएं लाभ :- प्रो. काम्बोज

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नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि किसानों के लिए विश्वविद्यालय हर समय तत्पर व प्रयासरत है। किसानों को ज्यादा से ज्यादा विश्वविद्यालय के साथ जुड़कर इसका लाभ उठाना चाहिए। वे एचएयू के अनुसंधान निदेशालय, आनुवांशिकी एवं पौद्य प्रजनन विभाग के कपास अनुभाग, कृषि विज्ञान केंद्र व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान द्वारा महेंद्रगढ़ कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित एक किसान गोष्ठी को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि भविष्य में विश्वविद्यालय का विस्तार शिक्षा निदेशालय व अनुसंधान विंग मिलकर किसानों की फसलों संबंधी हर समस्या के समाधान के लिए उनके द्वार जाकर समाधान करेंगे। विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को विश्वविद्यालय से सीधा जुड़ने का अवसर प्रदान करते है। इनके माध्यम से किसानों को विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किस्मों, नई तकनीकों व कृषि आधारित अन्य जानकारी मिल रही है।

किसान गोष्ठी का मुख्य विषय ‘कपास के उत्पादन व बचाव की उन्नत तकनीक’ रखा गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजवीर सिंह ने की। कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि राज्य सरकार व माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मन्त्री जय प्रकाश दलाल विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लगातार किसानों की समस्या को लेकर संपर्क बनाए हुए हैं। इसलिए गत वर्ष की भांति किसानों को कपास की फसल में खामियाजा न भुगतना पड़े इसलिए विश्वविद्यालय ने इस बात पर संज्ञान लेते हुए पहले ही वैज्ञानिकों की टीम गठित कर दी थी जो लगातार संबंधित क्षेत्रों के किसानों को जागरूक कर रही है। समय-समय पर इसके लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं और कृषि विभाग के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों को कपास की विभिन्न समस्याओं के प्रति जागरूक कर रहे हैं ताकि विपरित परिस्थितियों में भी कपास का अच्छा उत्पादन हासिल किया जा सके। इस दौरान उन्होंने क्षेत्र में कपास की खड़ी फसल का जायजा लिया और वैज्ञानिकों को किसानों की हर समस्या का समाधान उनके द्वार पर जाकर करने को कहा।

रसायन मुक्त खेती को दें बढ़ावा

प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि कपास की फसल में बेहतर उत्पादन के लिए कीट व रोगों का एकीकृत प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए समय-समय पर वैज्ञानिकों द्वारा फसलों संबंधी जारी हिदायतों व सलाह का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दें ताकि पर्यावरण प्रदुषण को कम करने के अलावा स्वास्थ्य लाभ भी होगा। कई बार किसान बिना वैज्ञानिक परामर्श के अपनी फसल में कीटनाशकों का अंधाधुंध छिड़काव कर देता है जो नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए विश्वविद्यालय से जुडकर किसान वैज्ञानिकों से सही व सटीक जानकारी हासिल करें और उनकी राय अनुसार ही सिफारिश किए गए कीटनाशकों का प्रयोग करें। गत वर्ष कपास की फसल नष्ट होने में किसानों द्वारा बिना कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिश के फसल पर कीटनाशकों के मिश्रणों का प्रयोग करना एक कारण सामने आया था, जिससे कपास की फसल में नमी एवं पौषण के चलते समस्या बढ़ी थी। यह समस्या ज्यादातर रेतीली जमीन में आई थी। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने कृषि वैज्ञानिकों को किसानों के साथ मिलकर समय-समय पर उनकी समस्या के निदान के लिए जुटे रहने का आह्वान किया। कपास हरियाणा प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है। इसलिए किसानों को इस फसल में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह व कीटनाशकों को लेकर की गई सिफारिशों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

कपास वैज्ञानिक डॉ. ओमेंद्र सांगवान, सस्य वैज्ञानिक डॉ. करमल मलिक, कीट वैज्ञानिक डॉ. अनिल जाखड, पौद्य रोग विशेषज्ञ डॉ. मनमोहन सिंह ने कपास संबंधित विषयों पर व्याख्यान दिए। गोष्ठी में प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी आयोजित किया गया और मिट्टी-पानी की निःशुल्क जांच के अलावा मौसम संबंधी जानकारी के लिए निःशुल्क पंजीकरण किया गया। गोष्ठी में मौजूद किसानों को फलदार पौधे व फसलों की समग्र सिफारिशों संबंधित लिखित सामग्री वितरित की गई। इस दौरान कपास संबंधी आधुनिक तकनीकों व कृषि समस्याओं को लेकर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इसके अलावा अचार, बेकरी, मशरूम, सिंचाई तकनीकों, जैविक खेती आदि की भी प्रदर्शनी लगाई गई। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. रमेश कुमार यादव ने सभी का स्वागत किया और कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। मंच का संचालन डॉ. नरेंद्र यादव ने किया। इस अवसर पर क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र बावल के निदेशक डॉ. धर्मवीर यादव, कृषि उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह, डॉ. सुनील ढांडा, डॉ. एम.एल.खिचड़ सहित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक व अनेक महिला व पुरूष किसान भी मौजूद रहें।

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