All parties should learn from Mayawati …सभी दलों को मायावती से सीख लेनी चाहिए…

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कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों से विश्व चिंतित है और हर कोई इससे बचने व रोकने का प्रयास कर रहा है। हमारे देश में भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें कदम से कदम मिलकार हर अथक प्रयास कर रही है। इस वजह से अन्य देशों की अपेक्षा हमारे यहां स्थिति बेहतर है। हर कोई अपनी भूमिका निभा रहा है लेकिन बसपा अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कोरोना से लड़ने के लिए मदद की घोषणा की है। सूबे की रक्षा के लिए बसपा सुप्रीमो ने कहा है कि सभी बसपा विधायक अपनी विधायक निधि से मुख्यमंत्री राहत कोष में एक-एक करोड़ देंगे। मायावती के इस उत्कृष्ट कार्य की प्रशंसा स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है। इस समय राज्य के लिए इस तरह के योगदान के लिए योगी ने मायावती को फोन करके धन्यवाद भी दिया। वैसे तो हर मुख्यमंत्री अपने राज्य के लिए बेहतर काम कर रहा है लेकिन योगी आदित्यनाथ हर छोटे से छोटे पहलुओं पर निगरानी रखते हुए बेहद आक्रामक रुप से काम करते दिख रहे हैं। इस पर मायावती ने भी योगी सरकार के प्रयासों की तारीफ की है। मायावती ने कहा है कि कोरोना से लड़ने के लिए सरकार अच्छा काम कर रही है और इस कठिन समय में सरकार का साथ देना चाहिए जिसमें राजनीतिक दलों के साथ आम जनता भी सहयोग करे। बसपा सुप्रीमो ने राहुल गांधी को कड़े स्वर में कहा कि कोरोना वायरस पर राजनीति बंद करो।
दरअसल सब नियंत्रण में भी था लेकिन निजामुद्दीन मरकज कांड के बाद थोडी सी स्थिति बिगड गई। मरकज में शामिल उत्तर प्रदेश में अब तक करीब बारह सौ व्यक्तियों की पहचान हो चुकी है जिसमें पौने तीन सौ विदेशी नागरिक हैं और सभी को क्वारंटाइन कर दिया गया है। 47 लोगों का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है जिससे राज्य में परेशानी बढ़ सकती है।
बहराहल, जिस तरह प्रधानमंत्री व सभी मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं हम जल्दी ही कोरोना पर विजय प्राप्त कर लेंगे लेकिन अहम बात यह है कि ऐसे में विपक्ष को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए। मायावती हमेशा अपने कठोर स्वभाव के लिए जानी जाती है लेकिन समय की नजाकत देखते हुए उन्होनें विलेन का नही हीरो का रोल निभाया है। राजनीति ओर विरोध करने के लिए तमाम मुद्दे हैं और हिन्दुस्तान जैसे देश में तो हर बात पर राजनीति होती है। लेकिन मौजूदा हालात में सरकार की टांग खिचाई या उसके कामों में कमी निकालने के लिए बजाय समर्थन करें चूंकि यह मानव जीवन की सुरक्षा की बात है। यह लड़ाई किसी आतंकी संगठन या किसी देश से नही है,यह तो विश्वस्तरीय संकट है जो मनुष्य को अपने काल चक्र में लेकर मार रहा है और इससे होने वाली मौतों का जिम्मेदार किसी को भी नही ठहरा सकते। कोरोना से लडने के लिए विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मोदी लगातार सभी राज्य के मुख्यमंत्रियो को सलाह दे भी रहे हैं और ले भी रहे हैं। इसके अलावा खेल जगत के दिग्गजों से भी चर्चा की है।
कोरोना जैसे घातक वायरस से लडने के लिए सभी एकजुट होना यही दर्शाता है कि सरकार को सभी की चिंता है और हर किसी के पास अपनी एक विचारधारा होती है जिसका प्रयोग करके हम संकट से निकल सकते है और शायद मोदी सभी के विचारों के समावेश के आधार पर ही विजय प्राप्त कर भी रहे हैं। लेकिन कुछ विपक्षी दल और नेता ओझी राजनीति करके जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। स्वभाविक सी बात है इस समय सरकार जो भी फैसले ले रही है या कार्य कर रही है यदि उसमें राजनीति करते हुए कमी निकलेंगे तो कहीं न कहीं सरकार का मनोबल कमजोर हो सकता है। यह तो ऐसा समय है कि सबको एक सुर ताल के साथ काम करके देश को बचाना है और धैर्ये बनाए रखना है। इस संकट की घडी में उद्योगपतियों,फिल्मी सितारों,खिलाडियों के साथ जनता भी आर्थिक तौर पर मदद कर रही है। कोई भी सरकार प्रधानमंत्री राहत कोष में पैसे डालने की अपील तभी करती है जब देश पर कोई बड़ा संकट आता है। मायावती के इस सहयोग से अन्य विपक्षी दलों को भी सीख लेनी चाहिए। यदि यह वायरस गलती से भी बडे स्तर पर फैल गया तो किसी का भी बचना मुश्किल है। दुनिया भर में लगभग बारह लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और पौने तीन लाख मौतें हो चुकी हैं। कई देशों से आ रहे आंकडें डराने और चौंकाने वाले हैं।इटली,स्पेन और अमेरिका जैसे विकासशील देशों में हालात बहुत खराब हैं। कुछ देशों में तो हर रोज करीब एक हजार लोग मर रहे हैं। और इन देशों की जनसंख्या हमारे देश की अपेक्षा कुछ भी नही हैं तो जरा सोचिए ऐसे में सरकार द्वारा बताए गए दिशा-निर्देशों का पालन नही किया तो क्या हाल हो जाएगा। यदि यह भारत में बडे स्तर पर फैल गया तो स्थिति बद से बदतर हो जाएगी। इसलिए विपक्ष हो या जनता,हर कोई आर्थिक व कानून का पालन करके सरकार का सहयोग करें। अगर जिंदगी रही तो राजनीति और गिले-शिकवे करने के लिए बहुत समय मिल जाएगा।

योगेश कुमार सोनी
वरिष्ठ पत्रकार

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