यमुनानगर: कृषि भूमि अधिग्रहण संशोधित बिल डेथ वारंट: सुढैल

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प्रभजीत सिंह लक्की, यमुनानगर:
प्रदेश की भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा विधानसभा में पास किए गए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन (हरियाणा संशोधन) बिल 2021 पर विरोध जताते हुए कहा कि इस बिल को किसानों के 127 वर्ष पुराने अधिकारों को छीनने वाला व संविधान की धारा-300 ए के अंतर्गत दिए गए प्रोपर्टी राईट के अधिकार की उल्लंघना करने वाला करार देते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता अर्जुन सुढैल ने कहाकि यह बिल किसानो के लिए डेथ वारंट साबित होगा उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार द्वारा प्रदेश में किसानों की कृषि योग्य उपजाऊ व बेशकीमती भूमि को हथियाने का एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है। इससे पहले केंद्र की सरकार द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 की धारा-10 में यह प्रावधान था कि बहुफसलीय सिंचित भूमि विशेष परिस्थितियों को छोड़ कर अधिग्रहण नहीं की जा सकेगी परंतु अब के संशोधित बिल की धारा 10ए के तहत बहुफसलीय सिंचित कृषि भूमि के अधिग्रहण पर कोई पाबंदी नहीं होगी। प्रदेश प्रवक्ता ने की यह बिल केंद्र द्वारा पारित अधिनियम 2013 के विरोधाभास तथा किसानों के हितों के विरुद्ध है।
बिल की धारा-23 ए में उपायुक्त को अब यह अधिकार है कि बिना सार्वजनिक सूचना दिए जमीन अधिग्रहण का अवार्ड पास कर सके। इससे जमीन से जुड़े हुए उन सभी लोगों के हक छीन लिए जाएंगे जिनका उस भूमि पर हक होता है।अब तक यह व्यवस्था थी कि यदि प्राइवेट-पब्लिक-पार्टनरशिप प्रोजेक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण करनी हो तो कम से कम 70 प्रतिशत प्रभावित लोगों की मंजूरी जरूरी थी परंतु संशोधित बिल की धारा-10 ए के तहत वर्णित परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने पर किसानों की मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं होगी। किसानों को भूमि अधिग्रहण मामलों में उनसे सहमति लेने का अधिकार जोकि 127 वर्ष पूर्व संघर्ष करके प्राप्त किया था वो अब चीन जाएगा।अर्जुन सुढैल ने कहा कि मौजूदा सरकार का यह कदम सर छोटू राम व चौधरी देवी लाल द्वारा किसानों के कृषि भूमि पर दिए गए हकों को छीनने का एक निंदनीय प्रयास है। यह बिल विधानसभा के दायरे से भी बाहर का विषय है क्योंकि जिन विषयों को इसमें शामिल किया गया है वह लगभग सभी विषय केन्द्र के अधीन आते हैं और इससे पूर्व इन सभी विषयों पर केन्द्र सरकार वर्ष 2014 व 2015 में अध्यादेश लेकर आई थी जो बहुमत के अभाव में किसान विरोधी होने व जनहित के विपरीत होने के कारण कानून नही बन पाए। इसके अधिनियम 2013 की धारा 40(2) के अंदर बदलाव करके 48 घंटे पहले सूचना देने का प्रावधान जो भूमि के मालिक को उसकी सभी चल संपतियों जैसे ट्यूबवैल, इंजन, कृषि संयंत्र इत्यादि को उस जगह से हटाने का अवसर देती थी, उसे भी खत्म कर दिया गया है।
यह बिल वास्तव में किसानों के हितों पर कुठाराघात है इस अवसर पर युवा प्रदेश सचिव रवि श्योरान, गगन नरवाल,दलबीर सिंह,संजीव प्रजापति आदि मोजुद थे

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