After Baba Ramdev, BHU’s Ayurveda Department has done medicine to find corona medicine: बाबा रामदेव के बाद अब बीएचयू के आयुर्वेद विभाग ने किया कोरोना की दवा खोज लेने का दवा

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वाराणसी : कोरोना महामारी का प्रकोप पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी दवाई खोजने में लगे हुए हैं, लेकिन अभी सफलता हासिल नहीं हो पाई है। हालांकि बीते दिनों योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना वायरस की दवा खोज लेने का दावा किया था। उन्होंने कोरोनिल नाम से कोरोना वायरस की यह दवाई लांच कर दी थी। लेकिन बाद में सरकार ने उनकी इस दवा के प्रचार पर रोक लगा दी थी। वहीं अब उत्तर प्रदेश के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय ने कोरोना की आयुर्वेदिक दवा बनाने का दावा किया है। आयुष मंत्रालय ने बीएचयू के आयुर्वेद विभाग के इस दावे पर कोरोना मरीज़ों पर ट्रायल के लिए इस दवा को मंजूरी भी दे दी है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कोविड अस्पताल में भर्ती युवा मरीज़ों पर कोरोना के आयुर्वेदिक दवा का ट्रायल किया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि इस ट्रायल के तीन महीने बाद बीएचयू आयुर्वेद विभाग अपनी रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को सौपेंगा। बीएचयू के आयुर्वेद विभाग ने 40 साल पहले ही इस दवा की खोज की थी जो अब कोरोना के लिए उपयोगी बताई जा रही है। आयुर्वेद विभाग और बीएचयू कोविड अस्पताल के जॉइंट वेंचर में इसका ट्रायल किया जाएगा। कोरोना में बिलकुल वैसे ही लक्षण है जैसे आम तौर पर सांस रोग के मरीज़ो में होते हैं। ऐसे में ये दवा उन मरीज़ों पर कारगर साबित हो सकती है।

आयुर्वेद संकाय के एक अधिकारी के मुताबिक- 22 मार्च को आयुर्वेद संकाय द्वारा पत्र लिखकर आयुष मंत्रालय से 1980 में सांस रोग के लिए खोजी गई दवा ‘शिरीषादि कसाय’ के ट्रायल की मंजूरी मांगी थी। अब आयुष मंत्रालय ने इसके ट्रायल की अनुमति दे दी है, जल्द ही इस आयुर्वेदिक दवा का ट्रायल शुरू किया जाएगा। आयुष मंत्रालय ने इस काम के लिए 10 लाख रुपए की राशि भी स्वीकृत की है।

बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के प्रमुख प्रो याई बी त्रिपाठी ने बताया कि आयुर्वेदिक मेडिसीन 1980 में मेरे पिता डां एसएन त्रिपाठी के देख रेख में श्वास रोग के लिए औषधि खोजी गई थी।अब 2020 में उसी को री पर्पजिंग का प्रस्ताव हम लोगों ने 22 मार्च को आयुष मंत्रालय में भेजा था और ट्रायल की अनुमति मांगी थी। 10 अप्रैल को सीएम योगी को भी प्रस्ताव भेजा गया था। मई में केंद्र सरकार को ट्रॉयल को लेकर प्रस्ताव भेजा गया और 23 जून को सरकार और मंत्रालय अनुमति प्रदान कर दिया है।

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