कैथल : बहुत दिनों के बाद लबों पर, प्यार का कोई नगमा आया है…

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dignitaries present
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मनोज वर्मा, कैथल :
राष्ट्रीय कवि संगम की कैथल इकाई की एक गोष्ठी आज स्थानीय करनाल रोड स्थित कृष्णा अस्पताल के बेसमेंट में हुई। जिसकी अध्यक्षता योगी यशवीर आर्य ने की। इस गोष्ठी में वर्ष 2021-22 के लिए जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया और एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाक्टर प्रद्युम्न भल्ला ने किया।
बैठक में सर्वसम्मति से योगी यशवीर आर्य को इकाई का संरक्षक, श्याम सुंदर गाड को सह संरक्षक बनाया गया। इसके साथ ही अध्यक्ष पद के लिए सुशील बिंदलिश, उपाध्यक्ष पद के लिए सतपाल पाराशर एवं राहुल गर्ग व राजेश सिंगला को जिम्मेदारी दी गई। सचिव पद के लिए मोहित मित्तल एवं सह सचिव के लिए राजेश भारती तथा कोषाध्यक्ष के रूप में विरोचन गर्ग को पदभार सौंपा गया।
इसी तरह महिला प्रतिनिधि की जिम्मेदारी डाक्टर संध्या आर्य को दी गई और प्रचार के रूप में डाक्टर तेजिंदर इन सेवाओं को इस वर्ष निभाएंगे। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय कवि संगम की कैथल शाखा के संयोजक की जिम्मेवारी डाक्टर प्रद्युमन भल्ला के पास है। इस अवसर पर सतपाल पराशर ने राम काव्य पाठ प्रतियोगिता की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसके बाद गोष्ठी का दौर आरंभ हुआ, जिसमें अनेक कवियों ने अपनी भावभीनी रचनाओं से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।
डा. प्रद्युम्न भल्ला ने कहा, बहुत दिनों के बाद लबों पर, प्यार का कोई नगमा आया, लगता जैसे युग बदला हो, परिवर्तित होना मन को भाया। मोहित मित्तल ने अपनी रचना कुछ इस तरह प्रस्तुत की, अबला नहीं मैं सबला हूं, अपनी रक्षा खुद कर सकती हूं। सतपाल पराशर ने अपनी बात इस रूप में रखी, राम तुम्हें बन जाना होगा, अपना फर्ज निभाना होगा। काकौत से पधारे कवि राजेश भारती ने कहा, औरत रचती रहती है जीवन भर और रहती है फिक्रमंद उम्र भर। बलवान कुंडू साली ने कहा कि सूख गए आंखों से अशक, अब मैं मौत के गान लिखता हूं। नीरू मेहता ने अपने बानगी कुछ यूँ पेश की, कोई खुश हुआ कोई रो दिया, आसमा तूने यह कैसा कर्म किया। इसी कड़ी में डॉ संध्या आर्य ने कहा, कैसे सांस सांस को तरसती आज मानवता, सदियों से संचित पापों को धोती मानवता। सुशील इंग्लिश में अपने भाव कुछ यूँ व्यक्त किए, रिश्तो को शब्दों का मोहताज न बनाईए, है अगर अपना कोई खामोश तो आवाज लगाइए।
इसी प्रकार अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी एवं रचना से आशीर्वाद देते हुए योगी यशवीर आर्य ने कहा, हाड मास के इस पुतले पर क्यों इतना इतराना रे, माटी से यह बना है पुतला माटी में मिल जाना रे। जिला संयोजक डा. प्रद्युम्न भल्ला ने सभी नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के सदस्यों को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि इस वर्ष उनके मार्गदर्शन में अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहेगा।

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