Adhyatma Ram Nagari … Yogi’s new Ayodhya! अध्यात्म राम नगरी… योगी की नयी अयोध्या!

0
387

मंदिर-मस्जिद की लम्बी कानूनी और इसके पीछे सियासी लड़ाई के अच्छे खासे कालखंड में तरक्की के तरसती रही है राम की अयोध्या, यह स्वीकार्य सत्य है। वस्तुत: सियासत और सियासी लोग जिस अयोध्या के नाम पर उन्नति की सीढ़ियां चढ़ते रहे, देश दुनिया में मयार्दा पुरुषोत्तम राम के नाम से सतत सम्बद्ध यह नगर बुनियादी सहूलियतों से महरूम रहा।
लेकिन अब हालात बदलने का दौर शुरू हो चुका है। फिलहाल विवाद मुक्त मानी जा रही अयोध्या को अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इक्ष्वाकुवंश की गौरवशाली राजधानी की तरह विकसित कर उसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के नक्शे पर सबसे पसंदीदा स्थल के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। पुराणों में वर्णित सप्तपुरी के नाम से प्रसिद्ध अयोध्या को योगी सरकार विश्व धरोहरों में शामिल करना चाहती है। इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारी कर ली गयी है। अयोध्या में दीपोत्सव आयोजित कर विश्वरिकार्ड बनाने वाले योगी इसे एक ऐसा शहर बनाना चाहते हैं जो धार्मिक पर्यटन के नजरिए से दुनिया में उत्कृष्ट हो। मुख्यमंत्री की योजना है कि नयी अयोध्या को वैष्णो देवी और तिरुपति से भी ज्यादा आधुनिक और सुविधायुक्त बनाया जाये। सरकार के आलाधिकारी बताते हैं कि राममंदिर ट्रस्ट का स्वरूप? बड़ा करके पहले से तैयार नव्य अयोध्या के लिए लंदन की कंसल्टेंट एजेंसी प्राइस वाटर हाउस कूपर्स को शामिल करने की योजना है।
योगी आदित्यनाथ की योजना इस धर्मनगरी को विश्वप्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनाने की है। इसके लिए योगी सरकार अयोध्या में कंबोडिया के अंकोरवाट की तर्ज पर नयी नगरी बसाएगी। इक्ष्वाकुपुरी के नाम से बसाए जाने वाले इस क्षेत्र से अयोध्या में न केवल अंतरराष्ट्रीय बल्कि उच्च वर्ग के देशी पर्यटकों को भी आकर्षित करने की योजना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट माने जा रहे इक्ष्वाकुपुरी के निर्माण के बाद पर्यटन की दृष्टि से यह लोगों की सबसे पसंदीदा जगह बनेगी। प्रदेश सरकार का मानना है कि आध्यत्म और पर्यटन के अनूठे आकर्षण वाली इक्ष्वाकुपुरी से अयोध्या में न केवल व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ेंगी बल्कि रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। समूची परियोजना पर 3000 करोड़ रुपए का व्यय होने का अनुमान है। योगी सरकार अपने बूते यहां आधारभूत सुविधाएं ही बिछाएगी जबकि बाकी का सारा निर्माण व ढांचा सहित सुविधाएं तैयार करने की जिम्मेदारी किसी विश्वस्तरीय संस्था की होगी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल अयोध्या में हर साल 1.5 से दो करोड़ तक पर्यटक आते हैं। हाल ही में अयोध्या विवाद का फैसला आने के बाद इनमें से अधिकांश अयोध्या में कुछ देर बिताकर हनुमानगढ़ी व रामजन्मभूमि के दर्शन कर वापस चले जाते हैं। इक्ष्वाकुपुरी के बन जाने के बाद भारतीय आध्यत्म, दर्शन व धर्मशास्त्र की जानकारी के इच्छुक पर्यटक न केवल यहां कुछ दिन बिता सकेंगे बल्कि एक अनुभव भी ले सकेंगे। इन नयी धर्मनगरी का विकास अयोध्या में 1900 एकड़ क्षेत्र में किया जाएगा जिसमें महज 10 फीसदी ही कंक्रीट का निर्माण होगा जबकि बाकी क्षेत्र में हरियाली होगी। भगवान राम की जलसमाधि वाले स्थान सरयू के गुप्तारघाट से लेकर रामजन्मभूमि तक इक्ष्वाकुपुरी बसायी जाएगी। इसके लिए उपलब्ध सरकारी, नजूल, उद्यान व वन भूमि का उपयोग किया जाएगा। योजना के मुताबिक प्रस्तावित इक्ष्वाकुपुरी में आने वाले वन क्षेत्र से लेकर जल स्त्रोतों को जस का तस रखते हुए उसका सौंदर्यीकरण कर उसे परियोजना में शामिल कर लिया जाएगा।
इक्ष्वाकुपुरी की परियोजना का हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रस्तुतिकरण किया गया था। इसके मुताबिक अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग से गुप्तारघाट को 4 लेन सड़क बनायी जाएगी जो इक्ष्वाकुपुरी को जोड़ेगी। इसमें एक तरफ सरयू नदी के किनारे रिवर फ्रंट का विकास किया जाए जहां एक पूरी आध्यत्म नगरी बनायी जाएगी। इक्ष्वाकुपुरी को दो भागों में बांटा गया है। पहले भाग में वेदों, पुराणों, धर्मशास्त्रों के नाम से अलग-अलग संकुल होंगे जहां प्रवेश करते ही पर्यटक को इसके बारे में आडियों विजुअल के माध्यम से बताया जाएगा। आध्यत्म नगरी में अलग-अलग मुनियों को आश्रम बनाए जाएंगे जहां लोग योग साधना, कर्मकांड देख व कर सकेंगे साथ ही प्रवास भी कर सकेंगे। समूचे क्षेत्र में प्रवेश के साथ ही एप आधारित गाइड के माध्यम से लोगों को हर तरह की जानकारी मिलती रहेगी। यह योजना लगभग एक साल पहले ही बना ली गयी थी लेकिन लाखों रुप खर्च करके तैयार इस रिपोर्ट को इसलिए रोक दिया गया था ताकि पहले अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाए। नयी अयोध्या में प्रस्तावित श्रीराम एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने के साथ सरयू में क्रूज, आधुनिक बस अड्डा, विश्व की सबसे ऊंची प्रभु राम की प्रतिमा, अंतरराष्ट्रीय स्तर के होटल-रिजॉर्ट्स के साथ प्रभुराम से जुड़े स्थलों को वाया प्रयागराज-चित्रकूट से लेकर रामेश्वरम और लंका तक श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन और अध्यात्म से जोड़ने की योजना पर काम शुरू हो रहा है। योगी सरकार की योजना अयोध्या में ही प्रदेश का पहला राजय सरकार द्वारा संचालित वैदिक विश्वविद्यालय खोलने की है। उक्त विश्वविद्यालय सरयू के उस पार अयोध्या की दूसरी ओर होगा पर इक्ष्वाकुपुरी में योग व कर्मकांड के कई एसे पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे जो इससे संचालित होंगे। विदेशियों के आकर्षण के लिए आध्यत्मनगरी में कई शार्टटर्म कोर्स चलेंगे जो भारतीय संस्कृति से परिचय कराएंगे। प्रस्तावित इक्ष्वाकुपुरी को ग्रीन ईको टूरिज्म की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इस उपनगरी के भीतर किसी तरह की गाड़ियां नहीं बल्कि विशेष बैटरी चालित गोल्फ कार्ट चलेंगी। हालांकि 2.5 किलोमीटर में फैले इस परिसर में ज्यादातर पर्यटकों को पैदल ही चलने को प्रोत्साहित किया जाएगा। योगी सरकार अयोध्या पहुंचने के रास्ते में गोरखपुर की ओर रामपुर मांझा में प्रभु राम की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा की स्थापना करने जा रही है। इसी प्रतिमा के आसपास प्रदेश सरकार नयी अयोध्या भी बसाएगी। नयी अयोध्या बसाने के लिए भी प्रदेश सरकार विश्व प्रसिद्ध सलाहकार संस्थाओं की सेवाएं ले रही है। जहां पहले से रजिस्टर हो चुके कई बड़े प्रोजेक्ट विवाद के चलते मूर्त रूप नहीं ले पा रहे थे, वहीँ अब राजा अयोध्या के राजसदन को पांच करोड़ से अधिक खर्च करके हेरिटेज होटल बनाने का प्रस्ताव है। इसी के साथ फैजाबाद शहर में कोहिनूर पैलेस भी हेरिटेज होटल विकसित होगा। इसके अलावा दो करोड़ से दस करोड़ की लागत से आठ होटल और रिजॉर्ट्स जल्द बन जाएंगे। इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए पर्यटन विभाग सारी औपचारिकताएं पूरी करा रहा है। इसके अलावा श्रद्धालुओं-पर्यटकों के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करीब छह सौ करोड़ से राम की पैड़ी, गुप्तारघाट, आधुनिक बस अड्डा, क्वीन हो पार्क, रामकथा पार्क समेत शहर में लाइटिंग से आदि सजा रही है। हाल ही में दीपावली के अवसर पर दिव्य दीपोत्सव मनाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगर निगम से सरकारी धन खर्च करके मरम्मत का प्रस्ताव मांगा था। अब सारा मामला मोदी के अधीन जाने से ऐसे भवनों और गलियों के सुंदरीकरण का अनुपम उदाहरण देने वाले जापान के क्योटो शहर की योजना भी साकार होती दिखेगी। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अयोध्या विवाद के कारण अयोध्या अंतरराष्ट्रीय स्तर का पर्यटन हब बनने से पहले सिर्फ अयोध्या थी, लेकिन अब नयी अयोध्या को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप मिलने जा रहा है। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार की योजना अगले साल रामनवमी के मौके पर बड़ा जमावड़ा कर अयोध्या में एक साथ कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का शिलान्यास करने की है। अगले दो सालों में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले अयोध्या को नया रुप देकर योगी सरकार जनता के बीच जाना चाहती है।

-हेमंत तिवारी

SHARE