संपूर्ण विश्व के 210 देशो की लोग, संस्थाएँ और सरकारें कोविड -19 के संक्रमण से जूझ रहे हैं। दुनिया के इतिहास में शायद ही पहले ऐसा हुआ होगा जब इतने व्यापक स्तर पर मेडिकल विशेषज्ञ, वैज्ञानिक , सरकारी और स्वास्थ्य एजेंसियां, गैर सरकारी संगठन, अर्थव्यवस्था से जुड़े लोग, नीति निर्माता, जन प्रतिनिधि, सब इस ऐतिहासिक चुन्नौती से निपटने के लिए अनवरत काम कर रहे है । कोरोनावायरस संक्रमण की वैश्विक महामारी दुनिया भर में तेजी से फैल रही है। जब कि यह लेख लिखा जा रहा है, वैश्विक स्तर पर 4.5 मिलियन से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं। । अच्छी बात यह है कि इलाज के बाद स्वस्थ हुए लोगो की संख्या 1.6 मिलियन से अधिक है और स्वस्थ होने वालो का प्रतिशत बाद रहा है । कहीं न कहीं इस चुन्नौती ने मानव को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम प्रकृति कि समक्ष कितने असहाय है ।। इस विकट स्थिति के मध्य यह हमारा सौभाग्य है कि भारत अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति वाली नेतृत्व क्षमता के कारण इस महामारी से काफी हद तक बच रखा है । विश्व के अत्यंत विकसित एवं शक्तिशाली राष्ट्रों की तुलना में हमने इस सक्रमण के खिलाफ संघर्ष में सफलता पायी है ।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में पूरा देश सामाजिक बंधन, समन्वय , सामंजस्य, सहयोग की भावना से इस चुन्नौती का मुकाबला कर रहा है । प्रधान मंत्री जी की प्रेरणा से प्रत्येक भारत वासी यह पूरी शिद्दत से महसूस करता है कि मुसीबत के इस समय में “हम एक साथ हैं” की भावना हमें अपने सामाजिक पक्ष को फिर से जोड़ने का साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करती है । इसी क्रम में देश के आर्थिक रूप से पिछड़े, उपेक्षित लोगो, कृषको के कल्याण को समर्पित प्रधान मंत्री द्वारा घोषित पैकेज देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने का समर्पित प्रयास है ।
कोरोना वायरस संक्रमण के संकट के दृष्टिगत देश की अर्थ व्यवस्था को नयी गति देने के लिए घोषित किया गया यह प्रोत्साहन पैकेज लॉक डाउन के 50वें दिन और 17 मई को लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होने के मात्र चार दिन पहले आया है। यह आर्थिक पैकेज देश के उस मजदूर, श्रमिक, उस किसान के लिए है, जो कठिन से कठिन परिस्थिति में, हर हाल में देशवासियों के लिए दिन-रात समर्पित भाव से कड़ा परिश्रम करता है । यह पैकेज जहाँ कठिनाई के इस दौर में भारतीय उद्योग जगत में विकास के नए युग का सूत्रपात करेगा वहीं ईमानदारी से टैक्स अदा करने वाले मध्यम वर्ग, देश के अन्नदाता हमारे किसान और नव भारत के निर्माण में जुटे हमारे श्रमिक, मज़दूर भाइयों के हितों की रक्षा हो सकेगी इस पैकेज से कारोबार करने वालों विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को नयी ऊर्जा और गति मिलेगी। अगर देखा जाए तो 20 लाख करोड़ रुपये का यह अत्यंत महत्वपूर्ण प्रोत्साहन पैकेज भारतीय अर्थव्यवस्था में जान फूंकने और सूक्ष्म, मध्यम और छोटे उद्योगों के साथ-साथ निजी नियोक्ताओं और कर्मचारियों की मदद करने के उद्देश्य से दिया गया है इस पैकेज के माध्यम से साहसिक आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके इन सुधारों में कृषि के लिए आपूर्ति श्रृंखला सुधार, तर्कसंगत कर प्रणाली और उसका सरलीकरण शामिल हैं मुश्किल की इस घड़ी में देश को आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने हेतु सरकार स्पष्ट कानून, सक्षम मानव संसाधन और एक मजबूत वित्तीय प्रणाली विकसित करने हेतु कृतसंकल्पित है इन सुधारों से जहाँ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, निवेश आकर्षित होगा वहीँ ‘मेक इन इंडिया’ की भावना को और मजबूती मिलेगी। यह पैकेज जहाँ भूमि, श्रम, तरलता के चुन्नौतियों के समाधान देगा वहीं , कुटीर उद्योगों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) सहित, कामकाजी वर्ग, मध्यम वर्ग और उद्योग, की मुश्किलों को दूर करने में सहायक होगा ।
देश के विकास में संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की व्यापक भूमिका है । पैकेज द्वारा उपलब्ध आर्थिक संसाधानों से गरीब मजदूरों और प्रवासी कामगारों को सशक्त बनाने के साथ उद्योग जगत की दक्षता बढ़ाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के कदम उठाये जाएंगे ।
पूरा देश आश्वस्त है कि प्रधान मंत्री के नेतृत्व में देश में ढांचागत अवस्थापना , बुनियादी अर्थव्यवस्था और मांग पर ध्यान केंद्रित कर हम सक्षम और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर पाएंगे सरकार द्वारा घोषित कदमों से नकदी बढ़ेगी, उद्यमियों को सशक्त किया जा सकेगा और उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाई जा सकेगी। महामारी के कारण लाखों प्रवासी कामगार भी बेरोजगार और बेघर हो गए हैं, आर्थिक पैकेज से भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी और यहां स्थानीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा। एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत भारतीय एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपए तक के ठेकों के लिए कोई वैश्विक निविदा जारी नहीं की जाएगी।इस कदम से भारतीय उद्योग जगत के भीतर एक नए आत्मविश्वास का संचार सुनिश्चित हो सकेगा
अगर देखा जाए किसी भी सरकार नेतृत्व के लिए विषम कालीन परिस्थितियों में समस्या को स्पष्ट रूप से राष्ट्र और जनता के सम्मुख ले जाना और आबादी को एकजुट कर राष्ट्र हितमें निर्णय लेकर, प्रभावी नीतियों का सृजन कर सक्षम क्रियान्वयन सुनिश्चित करना बड़ी चुन्नौती है । संकट का समय देश के नेतृत्व, वहां की जनता की परीक्षा का समय होता है । कठिन परिस्थितियों में सही रास्ते का चयन कर जनता को पूर्णतः आश्वस्त करने और उन्हें सरकार के फैसलों को पालन करने के लिए प्रेरित करना एक दुष्कर कार्य है । किसी भी प्रभावी संकट का समाधान प्रबल इच्छाशक्ति से और जमीन पर सही काम करके ही हो सकता है । भारत के प्रधान मंत्री ने इन विषमकालीन परिस्थितियों में जिस धैर्य, नेतृत्व क्षमता का , समर्पण, दूरदर्शिता का परिचय दिया है उसकी न केवल भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में सराहना हो रही है । सबसे अच्छी बात यह है कि प्रधान मंत्री जी की विकास यात्रा में सबको साथ लेकर चलने का संकल्प और “अनुमेय सर्वसम्मति” प्राप्त करना उन्हें एक अत्यंत कुशल नेतृत्व के में स्थापित कर अलग पहचान प्रदान करता हैं ।
संकट के प्रबंधन में संपूर्ण विश्व ने प्रधानमंत्री मोदी की उत्कृष्ट भूमिका को स्वीकार किया है । ऐसे समय में जब वैश्विक नेतृत्व की शिथिलता दुनिया भर में फैल रही है, निर्विवाद रूप से मोदी एक ऐसे नेता रहे हैं जो अपनी घरेलू आवश्यकताओं और वैश्विक जिम्मेदारियों के बीच अद्भुत सामंजस्य लाने में कामयाब रहे हैं। वह शुरू से ही नियमित रूप से और सीधे भारतीयों के साथ संवाद करते रहे हैं । यह पहला मौका था जब इस संकट के दौरान दुनिया ने अपने तत्काल राष्ट्रीय सरोकारों से परे एक राष्ट्र को देखा। अपनी नेतृत्व क्षमता के चलते प्रधान मंत्री मोदी की पहल हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त आयी । मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जी 20 शिखर सम्मेलन के लिए आह्वान करने वाले पहले वैश्विक नेता बने, चाहे सार्क देशो को एकजुट करने की कवायद हो , 55 से अधिक देशों को क्लोरो हाइड्रो क्विनीन देने का विषय हो या कई मित्र देशो को मेडिकल उपकरण देने की बात हो प्रधान मंत्री जी ने वसुधेव कुटुंबकम के मूल मंत्र को यथार्थ में पालन किया है । यह सच है भारत जैसे विशाल देश के लिए इतना बड़ा संकट एक विषम चुन्नौती है जब कोरोना संकट प्रारंभ हुआ तो देश की स्वस्थ्य तैयारियों के सम्बन्ध में कई सवाल किया गए जिसका मुख्य कारण यह था कि देश में पीपीई किट नहीं बनती थी. एन-95 मास्क का भारत में उत्पादन न के बराबर था होता था. आज सरकार द्वारा प्रत्यक्ष धन और संसाधनों के प्रवाह को आसान बनाने की कवायद के नतीजे नवाचार को अनुसंधान गतिविधियों में तेजी के रूप में दिखाई देने लगे हैं । अनुसंधान संस्कृति में सुधार को निर्देशित करने वाली नीतियों के साथ-साथ निवेश को मदद उद्योग जगत को प्रोत्साहित करने में सफल रही है । । संकट आया तो चिंता व्यक्त की जा रही थी कि हम अपनी हर आवश्यकता के लिए विदेशो पर निर्भर थे। पर दो महीने से कम समय में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है । निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई), कम लागत वाले वेंटिलेटर, टेस्टिंग तकनीक और विश्लेषणात्मक उपकरणों की बात हो तो हमारे शीर्ष संस्थानों के स्टार्ट-अप और संकाय / विद्यार्थी नयी नयी सफलता अर्जित कर रहें हैं ।आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं. आपदा को अवसर में बदलने की भारत का यह महान संकल्प हमे वैश्विक शक्ति बनाने में सक्षम है , मेरा मानना है कि भारत के लोगो में अद्भुत क्षमता है अगर हम सब मिलकर इस संकट का सफलता पूर्वक मुकाबला कर सकने का संकल्प ले तो कोई मुश्किल नहीं है । संकट के समाधान की प्रक्रिया में उद्योग जगत के साथ शिक्षा जगत उत्प्रेरक की भूमिका में सदैव अग्रणी रहेगा । प्रधान मंत्री जी के अगुवाई में आत्मनिर्भर भारत का हमारा लक्ष्य इसी दृढ़ निश्चय और संकल्प से पूरा होगा । भारतीय नेतृत्व ने अभी तक उत्कृष्ट कार्य किया है, लेकिन अभी हमें एक लम्बी यात्रा करनी है । प्रधान मंत्री के नेतृत्व में भारत समूचे विश्व समुदाय को एक सन्देश दे पाया कि भारत एक जिम्मेदार और महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति है जो साझा खतरों का का मुकाबला करने हेतु वैश्विक सहयोग में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है ।
देश में भारत ने चुपचाप, संकल्पित और प्रभावी रूप से, कई स्तरों पर इस महामारी का जवाब दिया डटकर मुकाबला किया है मुश्किलों के बावजूद सरकार का यह प्रयास रहा है कि जनता का मनोबल बना रहे और वे बिना किसी घबराहट के समस्या का मुक़ाबला कर सके । स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी । हर देश वासी नए उत्साह, नए आत्मविश्वास के साथ कड़ी मेहनत कर रहा है क्योंकि सब इस बात को जानते हैं कि संघर्षो के इस कठिन दौर से भारत अधिक सशक्त, आत्मनिर्भर और सक्षम बन कर उभरेगा ।
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रमेश पोखरियाल “निशंक”