नई दिल्ली। दिल्ली दंगों के बाद लगातार लाशें मिल रही हैं। इस हिंसा में 45 लोगों की मौत हो चुकी है और दो सौ से ज्यादा घायल हैं। इस मामले को लेकर दंगा पीड़ितों ने उच्चतम न्यायालय में दिल्ली में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने वाले नफरत भरे भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का अनुरोध किया। इस याचिका पर अब 4 मार्च को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ दंगा पीड़ितों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने को सहमत हुई। दंगा पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्जाल्विस ने इस याचिका का उल्लेख तत्काल सुनवाई के लिए किया था। गोन्जाल्विस ने कहा दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में दंगों से जुड़े मामलों की सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी जबकि दंगों में मारे गए लोगों की लाशें लगातार मिल रही हैं। चीफ जस्टिस बोबड़े ने कहा कि हम रोज अखबार पढ़ते हैं जिसमें हमपर आरोप लगते हैं। हमपर बहुत दवाब होता है। हम नहीं चाहते कि लोग मरें… हम शांति चाहते हैं। लेकिन कोर्ट कभी भी इस तरह की हिंसा को नहीं रोक सका है। बता दें कि हेट स्पीच मामले में भाजपा के दो नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाली याचिका पर दिल्ली की अदालत ने 23 अप्रैल तक सुनवाई टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने दंगा पीड़ितों द्वारा हेट स्पीच के लिए नेताओं पर एफआईआर दर्ज करने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई चार हफ्तों के लिए टाल दी थी। माकपा नेता वृंदा करात ने भाजपा के अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ शिकायत की थी। इन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान कथित नफरत भरे भाषण और नारे दिए थे। वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगे फैलाने में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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