सांपला: नौ साल में 30 युवाओं ने 1800 मवेशियों का किया इलाज

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प्रवीण दतौड़, सांपला:
रोहतक के सांपला लावारिस पीड़ित मवेशियों और जानवरों को उचित इलाज के लिए सांपला क्षेत्र में युवाओं की टोली काम कर रही है। इस टोली के सदस्यों ने बिना सरकारी सहायता से करीब 1800 मवेशियों का इलाज कराया है। गोसंगठनों से जुड़े युवाओं ने सोशल मीडिया पर ग्रुप बना रखा है। जिसमें पशु प्रेमी महिला व पुरूषों को सदस्य बनाया गया है। जो आपसी सहयोग कर पीड़ित मवेशियों व जानवरों की दवा आदि का खर्च स्वंय वहन करते है।
संगठन में करीब 100 सदस्य जुड़े हुए है,जिनमें से करीब 30 सदस्य सक्रिय रूप से काम कर रहे है। बाकि पार्ट टाइम संगठन को अपनी सेवाएं दे रहे है। गंभीर रूप से घायल मवेशी को रोहतक सहित लोकेशन अनुसार बहादुरगढ़,दादरी तोवा व आस पास के लावारिस पीड़ित पशु संगठनों के पास उचित इलाज के लिये भेजा जाता है। हालांकि संगठन से जुड़े युवाओं ने कोई पशु चिकित्सा की डिग्री या कोर्स नहीं कर रखा है, लेकिन अपने तुर्जबे के चलते मवेशियों और जानवरों का इलाज कर रहे है। अब तो आलम ये हो गया कि कहीं भी कोई पीड़ित मवेशी दिखाई देता तो इसकी तत्काल सूचना संगठन से जुड़े सदस्यों को लोग देते है।

आचार्य ने बदली जीवन की राह: गोसेवक
आचार्य बलदेव ने बदली जीवन जीने की शैली गोसेवक सूर्यदीप आजाद ने बताया कि आचार्य बलदेव ने उसके जीवन जीने का मकसद ही बदल दिया। आचार्य से प्ररेणा लेकर वह पीड़ित गोवंशों की सेवा में जुट गया। साल 2012 में लाइनपार स्थित अपने घर पर ही उसने अपने साथियों के साथ मिलकर पीड़ित मवेशियों व जानवरों का प्राथमिक इलाज करना शुरू किया। शुरुआती दौर में मवेशियों की दवा पर खर्च होने वाले पैसों की भी दिक्कते कई बार आई, लेकिन हौसला नहीं टूटने दिया। कुछ समय बाद उनकी इस मुहिम में क्षेत्र के कई पशु प्रेमी व दवा विक्रेता भी जुड़ गए।

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