हरियाणा के 172 में से 104 सरकारी कॉलेजों में प्रिंसिपल नहीं

0
257

60 फीसद से ज्यादा कॉलेज प्रिंसिपल से मरहूम
-कुल 172 में 157 कॉलेजों में पद स्वीकृत
-15 कॉलेजों में पद ही नहीं हैं स्वीकृत
– हायर एजुकेश को दुरुस्त करने के लिए प्रिंसिपल की नियुक्ति जरूरी
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़
किसी भी राज्य की हायर एजुकेशन व्यवस्था की बात करें तो किसी यूनिवर्सिटी में वीसी या किसी कॉलेज में मुखिया का होना बेहद जरूरी है। इससे न केवल शिक्षा प्रणाली सुचारू रूप से चलती है, बल्कि संस्थान में अन्य प्रशासनिक काम भी सही तरीके से चलते हैं, लेकिन इनके न होने की स्थिति में दोनों ही काम बेहद प्रभावित होते हैं। इसी कड़ी में बात करते हैं हरियाणा के सरकारी कॉलेजों की, जहां के 60 फीसदी से ज्यादा कॉलेजों में प्रिंसिपल ही नहीं हैं जोकि बेहद चिंतनीय विषय है। ऐसे में जरूरत है कि इन कॉलेजों में तुरंत प्रभाव से प्रिंसिपल नियुक्त किया जाए, ताकि न पढ़ाई प्रभावित हो और न ही प्रशासनिक काम। हायर एजुकेशन को बेहतर करने के लिए ऐसा करना बेहद आवश्यक है।
प्रदेशभर में कुल 172 सरकारी कॉलेज
प्रदेश में कुल 172 सरकारी कॉलेज हैं। इनमें से 157 कॉलेजों में प्रिंसिपल की पोस्ट स्वीकृत हंै। 15 कॉलेज ऐसे हैं, जहां कॉलेजों में पद ही स्वीकृत नहीं हंै। ऐसे में बचे 157 कॉलेज, इनकी बात करें तो इनमें से 89 कॉलेज में प्रिंसिपल ही नहीं हैं और बचे 68 कॉलेज में ही प्रिंसिपल कार्यरत हैं। इस लिहाज से 60 फीसदी से भी ज्यादा महाविद्यालयों में प्रिंसिपल के पद खाली हैं जोकि अपने आप में बड़ा सवाल है कि ऐसा क्यों है।
शिक्षा मंत्री के गृह जिले में ही प्रिंसिपल के पद खाली पड़े
जानकारी में ये भी सामने आया कि प्रदेश के शिक्षामंत्री कंवरपाल गुर्जर के जिले यमुनानगर में किसी भी कॉलेज में प्रिंसिपल ही नहीं है। यमुनानगर में कुल 5 सरकारी कॉलेज हैं। खुद शिक्षा मंत्री के जिले में किसी भी कॉलेज में प्रिंसिपल का न होना अपने आपमें एक बड़ा सवाल है।
4 जिलों के कॉलेजों में कोई प्रिंसिपल नहीं
प्रदेश में कुल 4 जिले ऐसे हैं, जहां के कॉलेजों में प्रिंसिपल के पद खाली हैं और ये शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। यमुमनागर समेत कुरुक्षेत्र, पलवल और चरखी दादरी ऐसे कुल 4 जिले हैं, जहां उपरोक्त स्थिति है। ऐसे में जरूरत है कि इन पदों के तुरंत प्रिंसिपल नियुक्त किया जाए। इन चारों जिलों में बड़े स्तर पर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पद खाली होना शिक्षा प्रणाली के लिए ठीक नहीं माना जा सकता।
महेंद्रगढ़, हिसार, कैथल, सोनीपत और रेवाड़ी में स्थिति ठीक नहीं
प्रदेश के कई जिले ऐसे हैं, जहां इस मामले में स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं है। इन जिलों में महेंद्रगढ़, कैथल, हिसार और रेवाड़ी के कॉलेजों में ज्यादातर कॉलेजों में प्रिंसिपल के पद खाली हैं, जिनको भरे जाने की जरूरत है, ताकि वहां शिक्षा के अलावा अन्य काम प्रभावित न हों। महेंद्रहगढ़ में प्रदेश में सबसे ज्यादा 15 कॉलेज हैं, जिनमें से केवल एक में ही फिलहाल प्रिंसिपल है। इसके अलावा बाकी 14 में पद खाली हैं। सोनीपत में 8 कॉलेजों में से 6 में प्रिंसिपल नहीं हैं। वहीं हिसार में 14 सरकार कॉलेज हैं जिनमें से 8 में प्रिंसिपल के पद खाली हैं। कैथल में 5 में से 4 कॉलेजों में प्रिंसिपल नहीं हैं। रेवाड़ी की बात करें तो यहां भी चीजें सुखद नहीं हैं। वहीं 11 में से 9 कॉलेजों में प्रिंसिपल नहीं हैं। हिसार में 12 में 6 कॉलेजों में प्रिंसिपल नहीं हैं।
क्यों अहम है प्रिंसिपल का होना
किसी भी संस्थान में प्रिंसिपल का होना बेहद ही आवश्यक है। पद खाली होने की स्थिति में संस्थान के हर तरह के काम का प्रभावित होना तय है। शिक्षा तो प्रभावित होती ही है, साथ में रोजमर्रा के रुटीन के काम में भी बाधा होती है। इसके अलावा ये सवाल भी निरंतर खड़ा होता है शिक्षण संस्थानों और कॉलेजों में इमारतों का रख रखाव ठीक से नहीं हो रहा। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी पढ़ाई के काम को प्रभावित करती है। ये मामले हर बार सदन में उठते रहे हैं। सरकार चाहे कोई भी रही है, शिक्षण व्यवस्था और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
अन्य जिलों पर भी एक नजर
अंबाला में 5 से 3 कॉलेजों में प्रिंसिल नहीं हैं। इसी तरह से भिवानी के 11 में से 3 कॉलेजों में, फरीदाबाद के 7 में से 4 कॉलेजों में, करनाल के 10 में से 8 कॉलेजों, फतेहाबाद के 6 में से 2 कॉलेजोंं, गुरुग्राम के 9 में से 2 कालेजों, झज्जर के 12 में से 5 कॉलेजों, नंूह के 6 में से 4 कॉलेजों में, पंचकूला के 7 में से 2 कॉलेजों, पानीपत के 4 में से 2 कॉलेजों, रोहतक के 8 में से 2 कॉलेजों और सिरसा के 8 में से 4 कॉलेजों में प्रिंसिपल के पद रिक्त पड़े हैं। बता दें कि इस जानकारी का खुलासा दीपांशु बंसल द्वारा दायर की गई आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी में हुआ। इस तरह से प्रदेश के कुल 104 ऐसे कॉलेज ऐसे हैं जहां कोई प्रिंसिपल ही नहीं है।

SHARE