The Home Minister presented the Citizenship Amendment Bill in the Lok Sabha: लोकसभा में गृहमंत्री ने नागरिकता संशोधन विधेयक सदन में पेश किया

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नई दिल्ली। लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करेंगे। इस विधेयक के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। आज इस बिल पर दिनभर इस पर चर्चा होगी। वहीं दूसरी ओर गृहमंत्री ने कहा कि यह बिल एक प्रतिशत भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं इस बिल पर एक- एक सवाल का जवाब दूंगा। किसी सवाल को नहीं टालूंगा। लेकिन आप सब वॉकआउट मत कर जाना। बता दें कि लोकसभा में सोमवार को होने वाले कार्यों की सूची के मुताबिक गृह मंत्री दोपहर में विधेयक पेश करेंगे जिसमें छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात है और इसके बाद इस पर चर्चा होगी और इसे पारित कराया जाएगा। बता दें कि इस विधेयक को लेकर विरोध जताया जा रहा है। बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है। प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।

अपडेट
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1971 में श्रीमति इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को नागरिकता दी तो पाकिस्तान से आए लोगों को मान्यता क्यों नहीं दी। कांग्रेस ने रीजनेबल कलासिफिकेशन के तौर पर मान्यता दी। क्यों यूगांडा से आए लोगो को मान्यता दी गई लेकिन इंग्लैंड से आए लोगों को मान्यता नहीं दी गई। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि कांग्रेस ने देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया। इस बिल में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित लोगों को मान्यता मिलेगी। पाकिस्तान में मुस्लिम पर प्रताड़ना नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि नागरिकता पर दोहरा मापदंड क्यो? उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि देश का विभाजन कांग्रेस पार्टी ने किया था हमने नहीं आपने क्यों धर्म के आधर पर विभाजन किया। इसी वजह से यह बिल लाने की जरूरत पड़ी। उन्होंने कहा कि आर्टिकल के किसी भी प्रोविजन को यह बिल वायलेट नहीं किया जाएगा। सभी आर्टिकल को ध्यान में रखकर ही इस बिल को पेश किया गया है। अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बिल के पुन:स्थापन की अनुमति दी। अब इसके लिए मतदान हो रहा है।

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