नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर लगातार सुनवाई चल रही है। आज सुनवाई का नौंवा दिन था। इसके पहले सुनवाई में कहा गया कि विवादित स्थल पर मगरमच्छ और कछुए की आकृतियां मिली थीं। यह आकृतियां शिला पट्टों पर मिलीं थी। इन तस्वीरों का इस्लाम से कुछ भी नहीं लेना-देना है। इसके साथ ही बुधवार को यहां सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि रामलला नाबालिग हैं। उन्होंने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, लोगों की आस्था होना काफी है जो यह साबित करता है कि वही रामजन्म स्थान है। उन्होंने आगे कहा कि हिंदुओं ने हमेशा इस स्थान पर पूजा अर्चना करने की इच्छा जताई है। स्वामित्व का सवाल नहीं है, यह जमीन भगवान राम की है। राम का जन्मस्थान यहीं है। वैद्यनाथन ने आगे कहा कि अगर वहां पर कोई मंदिर नहीं था, कोई देवता नहीं है तो भी लोगों की जन्मभूमि के प्रति आस्था ही काफी है। उस स्थान पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है। अयोध्या के रामलला नाबालिग है। नाबालिग की संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और न ही कोई छीन सकता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर भी शामिल हैं।
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