जानें डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Bhaum Pradosh Vrat, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित किया गया है। प्रदोष व्रत के दिन महादेव और देवी पार्वती की पूजा और व्रत किया जाता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से महादेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। महादेव के आशीर्वाद से जीवन में धन-धान्य की कमी कभी नहीं होती।
प्रदोष व्रत के दिन जो वार पड़ता है, उसी के नाम से प्रदोष व्रत रखा जाता है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भौम प्रदोष व्रत पड़ेगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि भौम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा? साथ ही जानते हैं भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
कब है भौम प्रदोष व्रत?
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि अगले महीने दो दिसंबर को दोपहर 3 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन तीन दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर होगा। ऐसे में भौम प्रदोष व्रत दो दिसंबर को रखा जाएगा। इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि ये प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ेगा।
प्रदोष व्रत पूजा शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन प्रदोष काल में यानि सूर्यास्त के बाद शाम को किया जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव का पूजन करने से विशेष लाभ मिलता है। ऐसे में 2 दिसंबर के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा। पूजा का ये शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठें और स्नान करना चाहिए। फिर साफ कपड़े पहनने और शिव जी का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प करना और पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा चौकी पर रखनी चाहिए।
फिर गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करना चाहिए। फिर भगवान को खीर और ठंडई का भोग लगाना चाहिए। प्रदोष व्रत की कथा सुननी चाहिए। आरती करके पूजा को संपन्न करना चाहिए।
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