कश्मीरी फल रखने की बात कहकर खोरी जमालपुर के पूर्व सरपंच का 3 बेडरूम, किचन, हॉल वाला मकान लिया किराये पर, यूनिवर्सिटी से सटे खेतों में बने एक कमरे 2540 किलो विस्फोटक
Delhi Blast Update, (आज समाज), नई दिल्ली/फरीदाबाद: दिल्ली ब्लास्ट के तार फरीदाबाद ही अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ने के बाद जांच में जुटी एनआईए ने एक ओर बड़ा खुलासा किया है। यह खुलासा गिरफ्तार आतंकी डॉ. मुजम्मिल को लेकर किया गया है। जांच के दौरान डॉ. मुजम्मिल के 2 और नए ठिकानों के बारे में पता चला है। जिन नए ठिकानों के बारे में पता चला है उनमें से एक तो गांव खोरी जमालपुर गांव के पूर्व सरपंच का मकान है।

वहीं दूसरे ठिकाने पर तो डॉ. मुजम्मिल ने 2540 किलो विस्फोट 12 दिन तक छिपाकर रखा था। जांच में यह भी सामने आया है कि जमालपुर गांव के पूर्व सरपंच का 3 बेडरूम, किचन, हॉल वाला मकान यह कहकर किराए पर लिया था कि कश्मीरी फलों का व्यापार करेंगे। इस मकान में मुजम्मिल कई बार डॉ. शाहीन सईद के साथ आया। दूसरा ठिकाना यूनिवर्सिटी से सटे खेतों में बन एक कमरा है। यहां पर करीब 12 दिन तक विस्फोटक रखा गया था।

8 हजार रुपए महीना तय हुआ किराया

एनआईए की जांच में पता चला है कि डॉ. मुजम्मिल शकील ने अप्रैल से लेकर जुलाई 2025 तक अल-फलाह यूनिवर्सिटी से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर तीन बेडरूम का मकान 8 हजार रुपए प्रति महीने के हिसाब से किराए पर लिया था। ये मकान गांव खोरी जमालपुर के पूर्व सरपंच जुम्मा का है। जुम्मा की रोड पर प्लास्टिक रॉ मटेरियल की फैक्ट्री है। इसी के ऊपर ये कमरे बने हुए हैं।

ज्यादा गर्मी की बात कहकर मकान कर दिया खाली

जुम्मा ने बताया कि डॉ. मुजम्मिल शकील ने उनसे कहा था कि वह कश्मीरी फलों का कारोबार यहां पर करना चाहता है। इसके लिए उनको ज्यादा जगह की जरूरत है। कश्मीर के फल मंगाकर वो यहां के बाजार में सप्लाई करेगा। लेकिन, लगभग ढाई महीने बाद उसने कमरा यह कह कर खाली कर दिया कि यहां पर गर्मी ज्यादा है।

ऐसे डॉ. मुजम्मिल के संपर्क में आया पूर्व सरपंच

जुम्मा ने एनआईए को बताया कि वह मुजम्मिल को पहले से नहीं जानते थे। उसके भतीजे की कैंसर के चलते तबीयत खराब थी, जिसको लेकर वह अल-फलाह अस्पताल में गए थे। अस्पताल में उनकी मुलाकात डॉ. मुजम्मिल से हुई थी। अस्पताल में ही उनकी मुलाकात डॉ. उमर नबी से हुई थी। इलाज के दौरान ज्यादा संपर्क मुजम्मिल से रहा था।

डॉ. शाहीन सईद भी आई कमरे पर

इसके बाद दोनों की जान-पहचान अच्छी हो गई। जुलाई के महीने में उनके भतीजे की मौत हो गई। जुम्मा ने ये भी बताया कि मुजम्मिल कई बार उनके आॅफिस पर भी आया था। जुम्मा ने बताया कि जब मुजम्मिल ने किराए पर मकान लिया, तब उसके साथ एक महिला भी आई थी। महिला को उसने अपने परिवार की सदस्य बताया था। पुलिस सूत्रों से पता चला है कि वह महिला कोई और नहीं बल्कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी की डॉ. शाहीन सईद थी।

ऐसे मुजम्मिल से हुई किसान बदरू की मुलाकात

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चारों तरफ खेत हैं। यूनिवर्सिटी की मस्जिद के पास गांव तगा के रहने वाले किसान बदरू की जमीन है। बदरू नमाज पढ़ने मस्जिद में आता था। यहीं पर डॉ. मुजम्मिल ने उससे संपर्क बना लिया और अमोनियम नाइट्रेट के कट्टों को कुछ दिन रखने के लिए राजी कर लिया। इस जगह को मुहैया कराने में इमाम इश्तियाक ने मदद की थी।

12 दिन तक रखा रहा अमोनियम नाइट्रेट

जांच में पता चला है कि बदरू के खेत में बने कमरे (कोठड़े) में करीब 12 दिन तक अमोनियम नाइट्रेट के कट्टों समेत दूसरा सामान रखा रहा। बदरू ने ज्यादा दिन होने के बाद मुजम्मिल को कहा कि सामान चोरी होने का डर है, इसलिए अपना सामान यहां से हटा लिजिए। इसके बाद मुजम्मिल ने पूरे सामान को गांव फतेहपुर तगा में इमाम इश्तियाक के घर के कमरे में शिफ्ट कर दिया।

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