आज सुप्रीम कोर्टने सेना में महिलाओं के परमानेंट कमीशन को लेकर टिप्पणी की। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को परमाानेंट कमीशन को लेकर आर्मी के मानक बेतुके और मनमाने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 650 शॉर्ट सर्विस कमिशन की महिला अधिकारियों की अर्जी पर सुनवाई की। देश की सर्वोच अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत के समाज का ढांचा ऐसा है, जो पुरुषों के द्वारा और पुरुषों के लिए बना है। अपनी टिप्पणी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेना को दो महीने के भीतर 650 महिलाओं की अर्जी पर पुनर्विचार करते हुए परमानेंट कमीशन देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 137 पन्नों के अपने फैसले में सेना द्वारा अपना जा रहे मापदंडों को मनमाना तर्कहीन बताया। देश की सबसे बड़ी अदात नेअपने फैसले में कहा, ‘हमें यहां यह स्वीकार करना होगा कि हमारे समाज का ढांचा है, जिसे पुरुषों के द्वारा और पुरुषों के लिए तैयार किया गया है। यहां तक कि कुछ ऐसी चीजें हैं, जो कभी हार्मलेस नहीं लगती हैं, लेकिन पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कपट संकेत मिलते हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने सेना को निर्देश दिया है कि वह दो महीने के भीतर महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन देने पर विचार करे और नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए 2 महीने के भीतर इन्हें स्थायी कमीशन दे। सुप्रीम कोर्ट ने परमानेंट कमीशन के लिए महिला अफसरों के लिए बनाए गए मेडिकल फिटनेस मापदंड मनमाना और तर्कहीन बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना द्वारा अपनाए गए मूल्यांकन मापदंड महिलाओं के भेदभाव का कारण बनते हैं।
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