नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से आज राजनीति में अपराधियों की समाप्ति करने के लिए चुनाव आयोग को आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को शुक्रवार को भारतीय राजनीति के अपराधीकरण को समाप्त करने को लेकर फ्रेमवर्क तैयार करने को कहा। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट की पीठ ने आयोग से कहा, ‘राजनीति में अपराध के वर्चस्व को खत्म करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाए।’ कोर्ट ने इसके लिए आयोग को एक सप्ताह का समय दिया। आज सुप्रीम कोर्ट की ओर से देश की राजनीति में बढ़ रहे अपराधीकरण पर कठोर टिप्पणी की गई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि देश में राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए कुछ तो करना ही होगा। आयोग ने न्यायालय के वर्ष 2018 में दिए गए उस फैसले की याद दिलाई जिसके तहत उम्मीदवारों से उनके आपराधिक रिकार्ड को इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में घोषित करने को कहा गया था। आयोग ने कहा कि राजनीति का अपराधीकरण रोकने में उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक रिकॉर्ड से कोई मदद नहीं मिली है। आयोग ने सुझाव दिया कि उम्मीदवारों से आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया में घोषित करने के बजाए ऐसे उम्मीदवारों को टिकट से वंचित कर दिया जाना चाहिए जिनका पिछला रिकॉर्ड आपराधिक रहा हो। बता दें कि इस बार संसद में 43 फीसदी सांसद दागी हैं जिन पर आपराधिक मामालों में केस चल रहे हैं। 542 सांसदों में से 233 यानि 43 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। हलफनामों के हिसाब से 159 यानि 29 प्रतिशत सांसदों के खिलाफ हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर मामले लंबित है। भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। कांग्रेसी सांसद कुरियाकोस पर 204 मुकदमे : 204 लंबित मामलों वाले केरल से नवनिर्वाचित कांग्रेसी सांसद डीन कुरियाकोस हैं सूची में प्रथम। कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं।
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