नई दिल्ली। ‘रायसीना डायलॉग’ भारत के साथ 12 देशों के विदेश मंत्री भाग ले रहे हैं। बुधवार को अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत बचने की कोशिश नहीं करता, बल्कि निर्णय लेने में विश्वास रखता है। बता दें कि मंगलवार से यह तीन दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ है इनमें रूस, ईरान, आॅस्ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, एस्तोनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, लातविया, उज्बेकिस्तान और ईयू के विदेश मंत्री शामिल हैं। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री ने भारत की बदल रही भूमिका पर चर्चा की। दरअसल कई देशों ने हिंद-प्रशांत में भारत की बड़ी भूमिका का आह्वान किया है। जिससे भारत की भूमिका अहम हो रही है। अब ‘रायसीना डायलॉग’ को संबोधित कर रहे विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका-ईरान के बीच चल रहे तनाव पर कहा कि वे दो विशिष्ट देश हैं और अब जो भी होगा वह इसमें शामिल पक्षों पर निर्भर करता है। साथ ही एस. जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लिए संबंधों में संतुलन अहम है। हमें एक दूसरे के साथ चलना होगा। पड़ोसी देशों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति पर पहुंचना महत्वपूर्ण है। साथ ही उन्होंने अमेरिका-ईरान तनाव पर कहा कि ये दो विशिष्ट देश हैं और निर्णय उन्हें ही लेना है। अपने संबोधन में कहा कि एक समय था जब हम काम की तुलना में बात ज्यादा करते थे। अब ऐसा नहीं है। भारत अपनी पुरानी छवि से बाहर निकल रहा है। हम बचने की कोशिश करने वाले नहीं बल्कि निर्णय लेने वाले बनेंगे। बता दें कि ‘रायसीना डायलॉग’ के पांचवें संस्करण का आयोजन विदेश मंत्रालय और ‘आॅब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ सम्मिलित रूप से कर रहा है। इसमें सौ से अधिक देशों के 700 अंतरराष्ट्रीय भागीदार हिस्सा ले रहे हैं। इस तरह का यह सबसे बड़ा सम्मेलन है।
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