विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत चीन के बीच लंबे समय सेचले आ रहे सीमा विवाद के संबंध मेंकहा कि एलएसी पर शांति तभी संभव है जब पिछले समझौतों का पालन किया जाए। विदेश मंत्री की टिप्पणी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देशों के बीच एलएसी पर विस्थापन और डी-एक्केलेशन प्रक्रिया विवादों में पड़ गई है। चीन की ओर से कहा गया है कि चीनी सैनिकों के पीछे हटने प्रक्रिया पूरी हो गई है जबकि भारत की ओर से कहा गया है कि चीन को एलएसी पर पुरानी स्थति कायम करनी होगी। उन्होंने कहा कि पिछले समझौतों और दोनों देशों द्वारा उनका पालन करने पर ही दोनों देशों के बीच संबंध आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़े। विदेश मंत्री जयशंकर नेएक अखबार को दिए इंटरव्यूह में कहा कि “स्पष्ट रूप से, अगर हम सीमा पर शांति चाहते हैं, तो हमें पिछले समझौतों का पालन करना होगा। भारत ने सीमा पर गतिरोध से संबंधित “बकाया मुद्दों” को तेजी से हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ प्रमुख क्षेत्रों में यथास्थिति बहाल करने के लिए चीनी अनिच्छा के कारण दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों के बीच सैन्य संवाद ने एक अवरोधक उत्पन्न किया है। यहां उन्होंने अमरिका में होने वाले राष्ट्रपति च ुनावों के बारे में भी बात की और कहा कि यदि आप पिछले चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों, दो रिपब्लिकन और दो डेमोक्रेट को देखते हैं – प्रत्येक दूसरे से बहुत अलग हैं। लेकिन भारत के साथ संबंधों को देखें तो कई राजनेताओं के अलग-अलग समूह जो कई मुद्दों पर अकसर असहमत होते हैं वे भारत की कई बातों पर सहमत हैं। और मुझे लगता है कि यह अच्छी बात है। गौरतलब है कि भारत लगा चीन के साथ बढ़ रहे सीमा विवाद पर चीन के खिलाफ रणनीतिक घेराबंदी कर रहा है। आने वाले समय में में भारत चीन से आयात पर कई तरह की सख्ती के बाद अब भारतीय तेल कंपनियां वहां से कच्चा तेल खरीदना बंद करके एक बड़ा झटका देने वाली हैं।
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