Farmer Movement- Supreme Court imposes ban on all three agricultural laws till further order, committee constituted: किसान आंदोलन- सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों पर रोक, कमेटी का गठन

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार और किसानों के बीच तीनों कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध जारी है। लगभग सवा महीनेसे हजारों किसान सड़क पर हैंऔर वह केंद्र सरकार से नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहेथे। दिल्ली बार्डर पर हजारों किसानों ने सवा महीने से अपना मंच लगाकर आंदोलन चला रखा है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की एंट्री हुई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आज कोर्ट ने अगले आदेश तक कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में कल भी सुनवाई हुईथी और आज इस पर दोबारा सुनवाई केसमय सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी की रिपोर्ट आने और अगले आदेश तक कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। इसके अलावा किसानों और सरकार केसाथ बातचीत के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस कमिटी में कृषि विज्ञानी अशोक गुलाटी, हरसिमरत भी सदस्य होंगे। बता दें कि देश के सर्वोच्य अदालत ने कल ही संकेत दे दिया था कि वह इस मसले को कमेटी के पास भेजेगी। कोर्ट में जब आज सुनवाईप्रारंभ हुई तो किसानों ने कमेटी के पास जाने से मना कर दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि दुनिया की कोई ताकत उसे कमेटी बनाने से नहीं रोक सकती। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दुनिया की कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती और उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है। उसने किसानों के प्रदर्शन पर कहा, हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं। न्यायालय ने साथ ही किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे। कोर्ट ने किसान संगठनों से कहा कि यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये यहां तक संकेत दिया था कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है।

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