Deepak Sathe sacrificed himself but saved many lives with 36 years of experience: दीपक साठे खुद कुर्बान हो गए लेकिन 36 साल के अनुभव से बचा ली कई जानें

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कोझिकोड मेंविमान हादसे में बीस लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। जस तरह से यह हादसा हुआ उसमें और जाने जा सकती थी लेकिन विमान के पायलट एक्स एयरफोर्समैन रहेदीपक साठे नेअंतिम सांस तक लड़ाई जारी रखी। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक कोशिश की कि कम से कम लोग मारे जाएं। अपनी सूझबूझ सेदीपक साठे ने बहुत सारी जानें बचा ली। भलेही इस हादसे में दीपक साठे ने अपनी कुर्बानी दे दी लेकिन कई परिवारों को उजड़ने से बचा गए। उनका 36 साल का अनुभव और बहादुरी के कारण ही कई जानें बच गर्इं। सबसे अच्छी बात इस हादसे मे ंयह रही कि विमान में आग न हीं लगी जिससे अधिक नुकसान नहीं हुआ। विमान में अगर आग लग जाती तो निश्चित ही और कई लोग मारे जाते। दीपक के चचेरे भाई और दोस्त नीलेश साठे ने फेसबुक पोस्ट के जरिए बताया कि दीपक ने किस तरह प्लेन को आग लगने से बचाया। नीलेश साठे ने अपनी पोस्ट में दिवंगत पायलट के बारे में जानकारी देते हुए लिखा कि उन्होंने लोगों की जान बचाने के लिए अंत समय तक अपनी बहादुरी और अनुभव का परिचय दिया। ‘प्लेन के लैंडिंग गियर्स ने काम करना बंद कर दिया था। दीपक ने एयरपोर्ट के तीन चक्कर लगाए, ताकि फ्यूल खत्म हो जाए। प्लेन द्वारा तीन चक्कर एयरपोर्ट के लगाने के बाद लैंड करवा दि या। उसका राइट विंग टूट गया था। दीपक ने प्लेन क्रैश होने से ठीक पहले इंजन बंद कर दिया जिसके कारण एयरक्राफ्ट में आग नहीं लगी। दीपक को 36 साल का अनुभव था। वे एनडीए पासआउट और स्वॉर्ड आॅफ आॅनर अवॉर्डी थे। 2005 में एयर इंडिया ज्वाइन करने से पहले 21 साल तक एयरफोर्स में रहे थे।’

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