- कनाडा की 4 लाख महीने की नौकरी छोड़ करनाल के नितिन ललित बने पर्यावरण उद्यमी
- वेस्ट प्लास्टिक से बना रहे गमले, सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़
- वेस्ट प्लास्टिक से गमले बनाकर पानी की 80% बचत, करनाल के नितिन ललित का स्टार्टअप देशभर में मचा रहा धूम
Business From Waste Plastic, (आज समाज), इशिका ठाकुर-करनाल : कनाडा में चार लाख रुपए प्रति महीना इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर करनाल के युवक ने वेस्ट प्लास्टिक से गमले बनाने का काम किया शुरू, साल में डेढ़ करोड़ का ले रहा टर्नओवर। पानी संरक्षण के साथ वेस्ट प्लास्टिक नियंत्रण पर कर रहे काम, इनके बनाए हुए गमले में 80% होती है पानी की बचत। देश के लगभग आधे से ज्यादा राज्यों के साथ अंडमान निकोबार में भी इनके बनाए हुए गमले हो रहे सप्लाई।
आज के समय में ऐसे बहुत से युवक है जो विदेश में जा रहे हैं ताकि वहां जाकर वह अच्छे पैसे कमा सके लेकिन करनाल का रहने वाला नितिन ललित एक ऐसा युवक है जिन्होंने विदेश के हाई लाइफस्टाइल और हाई प्रोफाइल नौकरी को छोड़कर अपने वतन वापस आया और यहां पर अपना स्टार्टअप शुरू करके दूसरे युवाओं के लिए एक मिसाल बन रहा है।
कनाडा में चार लाख प्रति महीना कर रहा था इंजीनियरिंग की नौकरी
करनाल के रहने वाले नितिन ललित ने बताया कि वह अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करके कनाडा में एक ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करने लगा। हर किसी का सपना होता है कि वह विदेश में रहकर अच्छा पैसा कमाए । यह सब नितिन के काबिलियत के चलते संभव हो पाया और उन्होंने इंजीनियरिंग के तौर पर कनाडा में चार लाख रुपए प्रति महीना की नौकरी की, विदेश में रहकर जहां वह वहां की लाइफस्टाइल जीने लगा तो वहां के लोगों की लाइफ स्टाइल भी उन्होंने देखी जहां पर लोग पर्यावरण संरक्षण पर काम करते हैं। और उन्होंने कई साल नौकरी करने के बाद अपने वतन वापस लौटने का निश्चय किया। और 2016 में वह नौकरी छोड़कर अपने देश भारत लौट आए।
पर्यावरण संरक्षण पर स्टार्टअप शुरू करने का किया प्लान
नितिन ललित ने बताया कि उन्होंने कनाडा में रहकर वहां की हरियाली पर्यावरण सभी को बारीकी से समझा है इसमें सबसे बड़ा योगदान वहां के लोगों का रहा है क्योंकि वह पानी की बचत करते हैं और प्लास्टिक जैसे कचरा का बहुत कम प्रयोग करते हैं। और भारत में पानी की बड़ी समस्या है और प्लास्टिक का वेस्ट भारत में सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है और उन्होंने इसका हल निकालने के लिए अपना खुद का स्टार्टअप शुरू किया।
वेस्ट प्लास्टिक और कचरे से गमले बनाना किया शुरू
उन्होंने बताया कि आज के समय में जहां पानी की समस्या होती जा रही है तो वही वेस्ट प्लास्टिक भी एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आ रही है। लेकिन इसके साथ-साथ जो लोग शहरों में रहते हैं उनके बागवानी के लिए भी काफी समस्या है क्योंकि उनके पास बड़े-बड़े शहरों में जगह कम होती है लेकिन हर कोई चाहता है कि कम से कम अपने लिए हरियाली लगाएं और सब्जी लगाए। ऐसे में उन्होंने प्लान किया कि वह वेस्ट प्लास्टिक से गमले तैयार करेंगे। और फिर उन्होंने 2017 में अपनी कंपनी को रजिस्टर करवाया और वेस्ट प्लास्टिक और कचरे से गमले बनाने का काम शुरू किया।
गमले बनाने की मशीन 3 साल में हुई तैयार
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी कंपनी को एक प्लान के तहत रजिस्टर करवा लिया लेकिन अभी उनके सामने एक बड़ी समस्या है थी कि वह वेस्ट प्लास्टिक से गमले कैसे तैयार करें क्योंकि मार्केट में ऐसी कोई मशीन नहीं फिर उन्होंने अपना इंजीनियरिंग वाला दिमाग लगाया, और कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने 3 साल में खुद गमले बनाने की मशीन तैयार की।
वेस्ट प्लास्टिक और अन्य कचरा से बना रहे गमले
उन्होंने कहा कि आजकल हर किसी के सामने प्लास्टिक कचरा सबसे बड़ी समस्या है और इसी पर उन्होंने काम करने की सोची ताकि पर्यावरण संरक्षण हो सके और वह अपना स्टार्टअप शुरू कर सके। मशीन तैयार करने के बाद गमले बनाने का काम शुरू किया और उन्होंने किसी भी प्रकार की वेस्ट प्लास्टिक जैसे की बोतल , बोतल के ढक्कन, दूध इत्यादि में प्रयोग किए जाने वाली पॉलिथीन की पन्नी इस प्रकार की प्लास्टिक और पॉलिथीन उन्होंने रिसाइकल करके गमले तैयार किया जो तैयार होने के बाद काफी सुंदर दिखाई देने लगे और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगे।
पानी की होती है 80% बचत
उन्होंने बताया कि इन गमलों की खास बात यह है कि यह बहुत कम पानी सिंचाई के लिए लेते हैं आजकल हर किसी की लाइफ काफी व्यस्त है और उनके पास किचन गार्डनिंग में पानी देने के लिए बहुत कम समय होता है और हर रोज कोई भी पानी नहीं दे पाता लेकिन इन गमलों की खास बात यह है कि इसमें एक बार पानी देने से 7 से 10 दिन तक दोबारा पानी देने की आवश्यकता नहीं होती। जिसे पानी की भी काफी बचत होती है और समय की भी बचत होती है।
वेस्ट प्लास्टिक से बना रहे कई प्रकार के गमले
उन्होंने बताया कि वह वेस्ट प्लास्टिक का प्रयोग करके कई प्रकार के गमले तैयार कर रहे हैं इसमें छोटे गमले से लेकर बड़े जिसमें बागवानी या सब्जियां आसानी से की जा सकती है वह बना रहे हैं। इनका रेट करीब ₹50 से शुरू होकर अलग-अलग साइज का अलग-अलग रेट रखा गया है जो वजन में भी काफी हल्के होते हैं सबसे बड़ी बात इनमें अगर कोई फूल या सजावट के पौधे या सब्जी लगाना चाहे तो बिना मिट्टी के भी कोकोपीट में उसकी बागवानी आसानी से कर सकते हैं।
देश के लगभग हर राज्य में हो रहा सप्लाई
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा तैयार किए गए गमले की अब इतनी डिमांड बढ़ गई है कि वह अब देश के हर राज्य में सप्लाई हो रहे हैं अल्फा प्लांटर के नाम से अपनी कंपनी बनाई हुई है जिसकी वेबसाइट भी है लोग उनकी वेबसाइट पर ऑनलाइन प्रोडक्ट देखकर उसको खरीदने हैं ज्यादातर इसमें ऐसे लोग होते हैं जो अपने घरों पर हरियाली रखना काफी पसंद करते हैं वहीं बड़े मेट्रो शहरों से भी किचन गार्डन करने वाले लोगों के बहुत ऑर्डर आते हैं क्योंकि यह गमले भजन में काफी हल्के होते हैं और उनकी लाइफ भी सालों तक की होती है जिसके चलते वह कम पैसों में अपने घर पर किचन गार्डन कर सकते हैं।
करीब 25 लाख से शुरू किया था स्टार्टअप, अब साल का डेढ़ करोड़ है टर्नओवर
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने 2017 में इस काम की शुरुआत की तो उन्होंने 3 साल मशीन बनाने में लग गए फिर कोरोना का कहर टूट कर पड़ा कोरोना के बाद ही उनका सही काम शुरू हुआ है उन्होंने शुरू में करीब 25 लख रुपए इन्वेस्ट किए थे। हरियाणा बागवानी विभाग को भी उनका यह प्रोजेक्ट काफी अच्छा लगा जिसके चलते उनको 2021 में सरकार के द्वारा 24 लाख रुपए की ग्रांट में दी गई थी। शुरुआती सालों में उनका टर्नओवर एक महीने का करीब ₹200000 तक था।। लेकिन जैसे-जैसे लोग उनके इस प्रोडक्ट को देख रहे हैं और उसको समझ रहे हैं ऐसे ही उनका काम बढ़ता जा रहा है। इस साल उनका टर्नओवर करीब डेढ़ करोड़ साल का रहा है। और उम्मीद है कि आने वाले समय में यह और भी ज्यादा जाने वाला है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ कमा रहा करोड़ों
यह एक युवा की सोच है जिन्होंने विदेश की एक अच्छी हाई प्रोफाइल नौकरी छोड़कर पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन में अपना कर अपना स्टार्टअप शुरू किया था छोटे से स्तर से काम शुरू किया लेकिन वह इसमें करोड़ों रुपए कमा रहे हैं जिसमें पानी की बचत, प्लास्टिक के कचरे का प्रबंध करके पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रहे हैं तो वही अपना एक अलग स्टार्टअप शुरू करके दूसरे युवाओं के लिए मिसाल बन रहे हैं। उसमें वह करीब 18 से 20 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं और हजारों लोगों तक अपने वेस्ट प्लास्टिक से बनाए गए गमले पहुंचा चुके हैं। अगर इंसान की सोच सही हो तो वह कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है ऐसे ही कहानी नितिन ललित की है जिन्होंने अपने देश के समस्या को समझा और उसको ही अपना व्यवसाय बनाया।