Faridabad News(आज समाज नेटवर्क) फरीदाबाद। यह किसी मेडिकल थ्रिलर की कहानी जैसी लगती है, लेकिन यह सच में ही ऐसा एक वाक्य ग्रेटर फरीदाबाद में हुआ। जहां अमृता अस्पताल में, कई शिशुओं को गर्भ के भीतर रहते हुए ही हाई-रिस्क और पहली बार की गई जटिल सर्जरी के जरिये बचाया । जहां परिवारों ने उम्मीद छोड़ दी थी, वहीं डॉक्टरों ने उसे चमत्कारी पुनर्जन्म में बदल दिया।

एक परिवार के लिए दुख की शुरुआत गर्भावस्था के 23वें हफ्ते में हुई, जब डॉक्टरों ने पाया कि बच्चे के फेफड़ों के चारों ओर भारी मात्रा में तरल जमा है। 28वें हफ्ते तक बच्चा हाइड्रॉप्स फीटेलिस नामक खतरनाक स्थिति में पहुंच गया।जो अक्सर प्रसव से पहले ही घातक सिद्ध होती है। बच्चें की जिंदगी हाथ से फिसल रही थी। ऐसे में डॉ. रीमा भट्ट, हेड ऑफ फेटल मेडिसिन, ने साहसिक निर्णय लिया। गर्भ के भीतर ही थोरेको-एमनियोटिक शंट सर्जरी करने का। एक बारीक ट्यूब के जरिये बच्चे के फेफड़ों से तरल निकाला गया ताकि महत्वपूर्ण अंगों पर दबाव कम हो सके।

30वें हफ्ते में इमरजेंसी डिलीवरी करनी पड़ी। 1.8 किलो वजनी यह नन्हा शिशु पूरी तरह के साथ पैदा हुआ। तुरंत वेंटिलेटर पर रखा गया और डॉ. निधि गुप्ता, सीनियर कंसल्टेंट, नियोनेटोलॉजी के नेतृत्व में एनआईसीयू में भर्ती किया गया।

अगले सात हफ्ते सांस रोक देने वाली गहन चिकित्सा से गुजऱे। बच्चे को छाती में ड्रेन्स लगाए गए, ऑक्ट्री ओटाइड इंजेक्शन दिए गए और विशेष डाइट दी गई। धीरे-धीरे फेफड़े ठीक होने लगे।

इस कार्य को डॉक्टरों ने इसे दुर्लभ जीत बताया,क्योंकि जन्मजात चाइलोथोरैक्स की वैश्विक जीवित रहने की दर मुश्किल से 50 प्रतिशत है।

17 साल बाद मिला मातृत्व सुख, 21वें हफ्ते में बचा बच्चा

38 वर्षीय आईवीएफ मां, जिसने 17 साल इंतजार किया था, के अजन्मे शिशु को 21वें हफ्ते में ही हाइड्रॉप्स फीटेलिस का पता चला। कारण था एक दुर्लभ प्लेसेंटल कोरेंजियोमा ट्यूमर, जो बच्चे से खून खींच रहा था। बार-बार के खतरनाक ब्लड ट्रांसफ्यूजन से बचने के लिए, अमृता टीम ने नॉर्थ इंडिया की पहली इन-वूम एंबोलाइजेशन की। अल्ट्रासाउंड और डॉपलर गाइडेंस में ट्यूमर की रक्त आपूर्ति रोकने के लिए एक क्लॉटिंग एजेंट डाला गया।

इस कड़ी में डॉ. रीमा भट्ट ने कहतीं है कि हर अजन्मे शिशु को एक मौका मिलना चाहिए और हर मां को यह सुनने का हक है ‘हम हार नहीं मानेंगे’ अमृता में, यही हमारा वादा है। स्त्री रोग विशेषज्ञों, नियोनेटोलॉजिस्ट्स, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट्स, पीडियाट्रिक सर्जन्स और एनआईसीयू विशेषज्ञों के सहयोग से, अमृता अस्पताल अब उत्तर भारत का अग्रणी फेटल मेडिसिन हब बन रहा है। जहां पहले परिवारों को दिल्ली या दक्षिण भारत जाना पड़ता था, अब उन्हें उम्मीद पास ही मिल रही है।

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