• लंबे कदम व गति स्वास्थ्य गतिविधियों के लिहाज से बड़ा फैक्टर

Daily 7000 Steps Reduce Risk Of Chronic Diseases, (आज समाज), नई दिल्ली: वर्तमान में भारत में लगातार स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं और हाल ही में सामने आई स्टडी रिपोर्ट्स में बताए गए तरीके को अगर हर व्यक्ति अपना ले तो वह कई रोगों के खतरों को कम कर सकता है। रिपोर्टों के अनुसर अगर व्यक्ति प्रतिदिन 7000 कदम चल ले तो वह कई क्रोनिक रोगों के खतरे को कम कर सकता है। मेडिकल जर्नल लांसेट (medical journal lancet) में हाल ही में इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दावा किया है कि हर रोज सिर्फ 7000 कदम चलने से कई क्रोनिक बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।

आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी आफ सिडनी की रिपोर्ट

आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी आफ सिडनी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 1.60 लाख लोगों पर 57 स्टडीज की गई और प्रतिदिन इंसानी गतिविधियों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में सामने आया है कि डेली 7000 कदम चलना हेल्थ को बेहतर रखने का एक मानक है। यह ह्रदय रोगों के साथ ही कैंसर (cancer) व डिमेंशिया (dementia) जैसे गंभीर स्वास्थ्य खतरों से बचाने में कारगर है। स्टडी का नेतृत्व करने वाली विशेषज्ञ डॉक्टर मेलोडी डिंग (Dr. Melody Ding) का कहना है कि रोज 7000 कदम चलने से न केवल कई रोगों का खतरा कम होता है, बल्कि यह शारीरिक प्रणाली को फायदा पहुंचाने वाला मानक भी है। उन्होंने कहा है कि चलने के दौरान लंबे कदम व गति को स्वास्थ्य गतिविधियों के लिहाज से बड़ा फैक्टर माना जाता है।

डब्ल्यूएचओ के मानकों में एक्सरसाइज पर ज्यादा जोर

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों में स्वास्थ्य जोखिमों को घटाने के लिए चलने की जगह शारीरिक गतिविधियों, विशेषतौर पर एक्सरसाइज पर अधिक जोर दिया गया है। इस संबंध में डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार वयस्कों को हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम अथवा 75 मिनट जबरदस्त व्यायाम करना चाहिए। यह चलने के साथ ही तैराकी साइकलिंग, दौड़ने अथवा अन्य तरीके से भी हो सकता है। मतलब डब्ल्यूएचओ के मानक केवल दौड़ने अथवा चलने तक सीमित नहीं हैं।

किशोरों-वयस्कों में रोग का कारण सक्रिय जीवनशैली न अपनाना

हाल के वर्षों में भारत में कैंसर, ह्रदय रोगों व डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ा है। वैसे तो पूरी दुनिया में क्रोनिक रोगों का खतरा बढ़ा है, पर बड़ी आबादी होने के कारण भारत में ऐसी बीमारियों का आंकड़ा ज्यादा रहता है। पिछले वर्ष डालबर्ग एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में किशोरों व वयस्कों में ऐसी क्रोनिक बीमारी का सबसे बड़ा कारण उनका सक्रिय जीवनशैली न अपनाना है। कई लोगों में शारीरिक सक्रियता डब्ल्यूएचओ के तय मानक से भी कम है।

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