National webinar organized on Raga Basant Hindol by Gurmati Music Department: गुरमति संगीत विभाग द्वारा राग बसंत हिंडोल पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजित

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पटियाला  पंजाब सरकार साहिब गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पुरव को समर्पित कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन कर रही है, जिसमें दुनिया के विभिन्न संगठनों द्वारा सेमिनार, प्रस्तुतियां, प्रकाशन और प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं । इन प्रगोरामोन् में पंजाबी युनीवरसिटी दवारा डॉ. बीएस के नेतृत्व में विशेष योगदान दिया जा रहा है। गुरमति संगीत विभाग के प्रभारी डॉ. कंवलजीत सिंह ने पत्रकारों को बताया  कि गुरू तेग बहादर साहिब द्वारा गुरुमति संगीत के संदर्भ से बानी में इस्तेमाल किए जाने गए सभी रागों पर चर्चा के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिस के अंतरगत तीन अंतर-राशटरीय वैबीनार करवाए जा चुके हैं । इन कारयक्रमों में भारत के साथ साथ यूरोप, अमेरिका और कनाडा के विद्वान अैर श्रोता शामिल हुए। राग बसंत हिंडोल : गुरू तेग बहादर बाणी संदर्भ विषय पर आधारित इस वैबीनार में विश्व प्रसिद्ध संगीतकार डॉ. हरविंदर सिंह चंडीगढ़, पंडित देविंदर वर्मा, दिल्ली, डॉ. अर्शप्रीत सिंह रिदम, डॉ. परमवीर सिंह और भूपिंदरपाल सिंह शामिल हुए। पंडित देविंदर वर्मा ने बताया कि भारतीय संगीत में राग बसंत के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जा रहा है लेकिन संयोजन के रूप में राग बसंत हिंडोल का प्रयोग केवल गुरुमति संगीत परंपरा में किया जा रहा है, इस प्रकार यह गुरुमति संगीत का मूल राग है। डॉ. हरविंदर सिंह ने राग बसंत की बात करते हुए सिख पाठों ने पूर्वी व मारवा थाटों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि वसंत हिंडोल मानव मन को जीवन का एक अच्छा और उचित तरीका

प्रदान करता है। डॉ. यशपाल शर्मा ने राग बसंत के सकेल को पूरीया धनासरी, श्री, पू्रवी, मारवा जैतश्री तथा सकेलों और कर्नाटक संगीत के राग हिंडोलम के संदर्भ में आगे शोध करने हेतु सुझाव दिया। डॉ. निवेदिता सिंह ने कहा कि गुरूघर में इस्तेमाल होने वाले शुद्ध वसंत को हवेली और हिंदुस्तानी संगीत में 'बसंत' के नाम से जाना जाता रहा है।

कुलपति बी एस वुमन ने वेबिनार में बड़ी संख्या में श्रोताओं और विद्वानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उच्च गुणवत्ता वाली विशेषज्ञता वाले संगीतकारों को साधारण पाठकों और दर्शकों के लिए विशेष प्रकाशन करने चाहिए ताकि समाज का हर वर्ग इसका लाभ उठा सके। उन्होंने घोषणा की कि इस काये हेतु विदवानों को पंजाबी विश्वविद्यालय में उपलब्ध सुविधाएं दी जा सकती हैं। डॉ. पंकज माला ने कहा कि कुलपति साहब के इस सुझाव का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि इससे संगीत के प्रचार हेतु सहायता मिलेगी। इस अवसर पर ਡਾ . जसवंत सिंह कनाडा, डॉ. कुणाल इंगले, मुंबई, प्रो. काले अमरावती, प्रो. ज्योति शर्मा, प्रो. सवरलीन कौर, प्रो. नरेंद्रजीत कौर, प्रो. दलजीत सिंह, प्रो. राजेंद्र कौर हैदराबाद, स्वर्ण सिंह नूर असाम, डॉ. परमजीत सिंह मानसा विशेष रूप से शामिल हुए।

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