‘Help Ever, Heart Never’ and Human Services, Madhav Seva: ‘हैल्प एवर, हर्ट नैवर’ और मानव सेवा, माधव सेवा

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चंडीगढ़, ‘सेवा परमो धर्मः’ के सिद्धांत हम टंडन परिवार नेे मात्र उच्चारण तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि असल मायनों में उसका अनुसरण कर जरुरतमंदों तक लाभ पहुंचाने का भी निरंतर प्रयास रखा है ।
मैं आज गुरुवार को अपनी 57वें जन्मदिन के अवसर पर शहर में ट्राईसिटी के समस्त ब्लड बैंकों और विभिन्न समाजसेवी संगठनों के सहयोग से नौ विभिन्न जगहों पर रक्तदान शिविर आयोजित करवा रहा हूं जिसमें कोरोना महामारी के दौरान एक ही अवसर पर एक हजार से अधिक रक्त यूनिट्स एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है। मैनें अपने पिता स्वर्गीय बलरामजी दास टंडन के अनुरोध पर 18वें जन्मदिन के अवसर पर पीजीआई में रक्तदान किया था। व्यक्तिगत तौर पर मैंने अब तक 35 बार रक्तदान किया है परन्तु इस दिशा में असंख्य लोगों को प्रेरित कर चुका हूं । इस ‘महादान’ अभियान को मैं आप लोगों के सहयोग से इतनी मजबूती दे चुका हूं  कि अब तक विभिन्न ब्लड बैंकों के लिये 6300 से भी अधिक रक्त युनिट्स जुटा चुका हूं और भविष्य में भी ऐसे ही सहयोग की कामना करता हूं।
2008 में मैंनें अपने जन्मदिन के अवसर पर अपने आफिस में रक्तदान शिविर आयोजित करवाया था जिसमें 326 युनिट्स खून इक्कठा हुआ जबकि अगले वर्ष 2009 में इसी परम्परा को कायम रखते हुये उनके जन्मदिन पर 401 युनिट्स रक्त एकत्रित हुआ। पीजीआई ने इन शिविरों की आपार सफलता के बाद मुझ से वर्ष में दो बार रक्तदान शिविर आयोजित करने का अनुरोध किया जिसका सम्मान करते हुये उन्होंनें मार्च-अप्रैल मे आने वाले पावन पर्व – हनुमान जयंती पर कोम्पिटेंट फाउंडेशन के सहयोग से 2010 में रक्तदान शिविर की शुरुआत हुई। इसमें 316 लोगों ने रक्तदान किया था।
हमारा रक्तदान अभियान को मजबूती देने का सिलासिला यहीं तक ही नहीं थमा। 2014 से मैंनें अपने सेक्टर 8 स्थित डीएवी स्कूल और डीएवी काॅलेज, गर्वमेंट काॅलेज, चंडीगढ़ में रक्तदान शिविर आयोजित कर युवाओं को रक्तदान के प्रति प्रेरित किया। अन्य प्रोफेशनल्स संगठन जैसे प्रैस कल्ब और बार कौंसिल आॅफ इंडिया के सहयोग रक्तदान शिविर आयोजित किये और साथ ही बालाजी प्रचार मंडल, लघु उद्योग भारती, भारतीय मजदूर संघ, ट्रैडर्स ऐसोसियेशनों सहित अन्य संगठनों के साथ मिलकर कोम्पिटेंट फाउंडेशन ने ट्राईसिटी में रक्तदान अभियान को एक नई दिशा प्रदान की।
रक्तदान जैसे महत्वपूर्ण अभियान के अलावा मैं स्वयं ही नहीं बल्कि मेरी धर्मपत्नी प्रिया टंडन ने मिलकर प्रेरणात्मक कहानियों का प्रसार कर लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इस कड़ी की शुरुआत 2000 में की थी जब मैं पुटापर्थी से साई बाबा का टेबल कलैंडर लाया और लोगों को चुटकलों की बजाय शुभ विचारों से भरे ईमेल भेजने शुरु किये। मेरी इस पहल से लोगों ने मुझे ‘मिस्टर गुड थोट’ की संज्ञा तक दे डाली। साल भर बाद ही पांच हजार लोगों तक मेरे यह संदेश और प्रेरणादायी कहानियां ईमेल के माध्यम से पहुंचने लगे।
2004 में मैंने प्रेरणादायक कहानियों को – ‘सनरेज आॅफ संडेज’ नामक किताब में पिरोया और पाठकों को तक पहुंचाई जिसकी दस हजार से भी अधिक कापियां बिकी। इस उत्साह से प्रेरित हमारा मनोबल ओर बढ़ा और परिणामस्वरुप हम दोनों ने दो वर्षो के नियमित अंतराल पर छह ओर पुस्तकें सनरेज आॅफ सटरडेज तक अपने पाठकों को समर्पित की। इन पुस्तकों के फारवर्ड स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, पीयूष गोयल, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, नितिन गड़करी, राजनाथ सिंह आदि दिग्गजों ने लिखे है। इन पुस्तकों की सीरिज अंग्रेजी के अलावा पहली तीन किताबें हिन्दी और तेलुगू में भी उपलब्ध है। पुस्तकों की बिक्री से होने वाली आय से कोम्पिटेंट फाउंडेशन समाज सेवा के कार्यो पर खर्च करती है। लाॅकडाऊन के दौरान भी हम दोनो रोजाना एक कहानी पर अधारित वीडियो को बनाकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया।
गोयल परिवार से हमारी बचपन से घनिष्ठता रही है। मेरी सौ किताबें केबिनेट मंत्री पीयूष गोयल ने खरीद कर अपने मित्रों में वितरित की। वे मेरी पहली रचना से ही जुड़े हुये हैं और आज रक्तदान शिविर के उद्घाटन अवसर पर वैबिनार के माध्यम से रेल और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल हमारे के इस नेक प्रयास को एक नया आयाम देंगें जब वे ‘सनरेज डाॅट मी’ वैबसाईट का शुभारंभ करेंगें । वैबसाईट में हर वर्ग के लिये हर विषय संबंधी प्रेरणा मिलेगी।
साई बाबा की प्रचलित कहावत ‘हैल्प एवर, हर्ट नैवर’ को सार्थक करते हुये हमारी कोम्पिटेंट फाउंडेशन ने पीजीआई और जीएमसीएच 32 में उपचाराधीन असहाय मरीजों के उपचार के लिये तत्पर तैयार रहती है। गत वर्षो में फांउंडेशन ने दस जरुरतमंद मरीजों की आई सर्जरी भी करवाई थी। जीएमसीएच 32 में जरुरतमंदों को व्हीलचियर्स भेंट करना, मंदिरों में लंगरों का नियमित आयोजन, चार नंबर काॅलोनी में बच्चों की निशुल्क स्कूलिंग, लाॅकडाऊन अवधि में एक लाख से भी अधिक मास्क, पांच हजार सैनिटाईजर्स की बोतलें और एक हजार से भी अधिक पीपीई किट्स का वितरण आदि शामिल है। बलरामजी दास चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत हर महीने जरुरतमंद विधवाओं को राशन भी दिया जाता है।
अपने स्वर्गीय पिता की यादों को जीवित रखने की दिशा में मैंने पंजाब युनिवर्सिटी के सहयोग से बलरामजी दास टंडन मैमोरियल लैक्चर की शुरुआत की जिसमें उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू और जगत प्रकाश नड्डा ने भी भाषण दिया।
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