Three wrestlers became national champions for the first time in Grecroman: तीन पहलवान बने ग्रीकोरोमन में पहली बार नैशनल चैम्पियन

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जालंधर : आम तौर पर देखा गया है नैशनल ग्रीकोरोमन कुश्ती चैम्पियनशिप में जो एक बार चैम्पियन बन जाता हैवही अगले वर्षों में भी वही कमाल करता चला जाता है लेकिन इस बार जालंधर में हुई नैशनल ग्रीकोरोमन रेसलिंग चैम्पियनशिप में तीन पहलवान पहली बार नैशनल चैम्पियन बनने में सफल रहे। 63 किलो में दिल्ली के नीरज67 किलो में उत्तर प्रदेश के गौरव और 97 किलो में एसएससीबी के दीपांशु ने यह कमाल किया।

60 किलो में एशियाई चैम्पययनशिप के पदक विजेता ज्ञानेंद्र का इस बार ब्रॉन्ज़ पर संतोष करना भी चौंकाने वाली घटना रही क्योंकि वह मध्य प्रदेश के पहलवान सन्नी जाधव से हार गए। सन्नी ने दो मौकों पर ढाक की तकनीक लगाकर मुक़ाबले को खत्म कर दिया। यह तो ज्ञानेंद्र की खुशकिस्मती थी कि सन्नी फाइनल में पहुंच गए जिससे ज्ञानेंद्र के लिए ब्रॉन्ज़ मेडल की राह खुल गई। यहां गौरतलब है कि फाइनल में मनीष से हारने वाले सन्नी जाधव बेहद गरीब हैं और झुग्गी में रहते हुए अपना जीवन यापन कर रहे हैं।

इसी तरह पिछले दो आयोजनों में सिल्वर और ब्रॉन्ज़ मेडल जीत चुके 130 किलो वर्ग के पहलवान दीपक पूनिया को इस बार खाली हाथ लौटना पड़ा। वजन घटाकर 97 किलो में लड़ना उनके प्रदर्शन में गिरावट का एक कारण हो सकता है। वह पंजाब के नरेंद्र चीमा के खिलाफ चार-चार अंकों की तकनीक दो बार खा गए। 67 किलो में आशु ने पिछले साल सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप में मेडल जीता था लेकिन इस बार वह सचिन के हाथों उलटफेर के शिकार हो गए। सचिन ने थ्रो की चार-चार अंकों की तकनीक उनके खिलाफ दो बार लगाई।

बाकी छह वजन वर्गों में वही हुआ जो आमतौर पर ग्रीकोरोमन शैली की कुश्ती में होता है। यानी पिछले चैम्पियन ही अपना खिताब बचाने में सफल रहे। 55 किलो में अर्जुन हालाकुर्की60 किलो में मनीष77 किलो में ग्रुरप्रीत82 किलो में हरप्रीत87 किलो में सुनील और 130 किलो में नवीन ने अपने गोल्ड मेडल बरकरार रखे। इनमें सुनील ने पिछले साल एशियाई चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया था। इनमें गुरप्रीतहरप्रीत और नवीन का तो राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतना एक तरह से उनका कॉपराइट बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये तीन पहलवान कई पदक देश को दिला चुके हैं। सेना दल  ने टीम खिताब जीता जबकि रेलवे रनर्स अप रहे और मेजबान पंजाब के लिए बड़ी बात यह रही कि कई वर्षों के बाद वह तीसरे स्थान पर आने में सफल रहा।  

 गौरतलब है कि अभी तक भारत का कोई भी ग्रीकोरोमन पहलवान टोक्यो ओलिम्पिक के लिए क्वॉलीफाई नहीं कर सका है। फ्रीस्टाइल वर्ग में ज़रूर चार पहलवानों ने क्वॉलीफाई किया है। इन दोनों शैलियों सहित महिला वर्ग के लिए अभी दो ओलिम्पिक क्वॉलिफाइंग मुक़ाबले होने हैं। पहला अप्रैल में कज़ाकस्तान के शहर अलमाटी में और दूसरा बुल्गारिया के शहर सोफिया में मई में आयोजित किया जाएगा।

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