Rishabh Pant is the right choice for Dhoni: ऋषभ पंत हैं धोनी के सही विकल्प 

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किरण मोरे

हर कोई खिलाड़ी समय के साथ अपने खेल में सुधार करता है। जब महेंद्र सिंह धोनी टीम इंडिया में आए थे, तब उनकी विकेटकीपिंग का स्तर उतना अच्छा नहीं था लेकिन वक्त के साथ-साथ उन्होंने अपने खेल के स्तर में सुधार किया और उनकी विकेटकीपिंग टीम इंडिया के लिए एक बड़ा हथियार साबित हुई।

अब धोनी जल्द ही आईपीएल में चेन्नई सुपरकिंग्स की ओर से खेलते नज़र आएंगे लेकिन टीम इंडिया से रिटायरमेंट लेने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर उनके बाद कौन ?  इस समय ऋद्धिमान साहा और ऋषभ पंत इस होड़ में सबसे आगे हैं। साहा विश्व क्रिकेट में अपना अलग महत्व रखते हैं। उनके पास अच्छा खासा अनुभव होने के अलावा विकेटकीपिंग का हुनर भी है लेकिन इसके बावजूद मैं ऋषभ पंत के साथ जाना चाहूंगा। पंत की उम्र कम है और उनके पास एक लम्बा करियर है। अगर उनकी कीपिंग में कुछ कमियां हैं तो वह वक्त के साथ उन्हें दूर कर लेंगे। धोनी ने भी वक्त के साथ अपनी कमज़ोरियां दूर की थीं। हालांकि पंत ने अपनी कीपिंग में पहले से काफी सुधार किया है। वह टीम को बल्लेबाज़ी में संतुलन देते हैं। बाकी अब पंत के हाथ में है कि वह इस चुनौती को किस तरह से लेते हैं। उन्हें पहले तो बाकी भारतीय विकेटकीपरों को पीछे छोड़ना है और फिर दुनिया का नम्बर वन विकेटकीपर बनना है। उनमें ज़बर्दस्त उत्साह है और वह काफी मेहनती भी हैं। मुझे विश्वास है कि पंत उस भरोसे पर खरे उतरेंगे। उनके प्रति मेरे भरोसे की बड़ी वजह यह है कि वह एक मैच विनर बल्लेबाज़ हैं। इतनी छोटी उम्र में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में सेंचुरी बना चुके हैं। अगर वह अपने विकेटकीपिंग के ग्राफ को ऊपर उठा देते हैं तो इससे ज्यादा और क्या चाहिए।

आज वक्त बदल रहा है। टीम में ज़रूरतें भी बढ़ रही हैं। आज विकेटकीपर के लिए खाली बल्लेबाज़ी से काम नहीं चलता। अगर किसी विकेटकीपर को अच्छी बल्लेबाज़ी आती है तो उसका टीम इंडिया में आने का अवसर बढ़ जाता है। एंडी फ्लावर से लेकर एडम गिलक्रिस्ट और श्रीलंका के तमाम विकेटकीपर बल्लेबाज़ों ने इस धारणा को और भी पुख्ता किया है। विकेटकीपिंग में अच्छी बल्लेबाज़ी टीम में एक ऑलराउंडर की कमी को पूरा करती है। बटलर का उदाहरण आपके सामने है, जिनके पास विकेटकीपिंग का कौशल औसत दर्जे का है लेकिन इसके बावजूद वह अपनी आला दर्जे की बल्लेबाज़ी के दम पर अपनी टीम के लिए मैच विनर साबित हो रहे हैं।

(लेखक टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर हैं और 49 टेस्ट और 94 वनडे खेल चुके हैं)

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