सी ग्रेड में रखा, आंकड़ों के हिसाब से यह दूसरा सबसे निचल स्तर
Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को लेकर अंतरराष्टÑीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने सख्त टिप्पणी की है। आईएमएफ ने स्पष्ट किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को लेकर जो आंकड़ें दर्शाए जा रहे हैं उनमें काफी ज्यादा खामियां हैं और ये वास्तविकता से परे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों में गंभीर खामियां बताते हुए इन्हें सी ग्रेड में रखा है, जो आंकड़ों की गुणवत्ता के लिहाज से दूसरा सबसे निचला स्तर माना जाता है।
आईएमएफ के वार्षिक मूल्यांकन के अनुसार भारत के राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों में जीडीपी और जीवीए जैसे प्रमुख संकेतक शामिल हैं। इसमें पद्धतिगत कमियां मौजूद हैं। संस्था का कहना है कि आंकड़े पर्याप्त आवृत्ति और समय पर उपलब्ध होते हैं, लेकिन कार्यप्रणाली संबंधी कमजोरियां आर्थिक निगरानी की गुणवत्ता को कुछ हद तक प्रभावित करती हैं। इसी आधार पर राष्ट्रीय लेखा प्रणाली को सी ग्रेड दिया गया है।
इसलिए भारतीय मानकों पर उठे सवाल
भारत सरकार लंबे समय से आय आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से जीडीपी का अनुमान लगाती है। इस मॉडल में सरकार, उद्योगों और लोगों की आय के आधार पर सकल घरेलू उत्पाद निकाला जाता है। सरकार खर्च आधारित मॉडल के अनुमान भी प्रस्तुत करती है, लेकिन दोनों में अक्सर अंतर देखने को मिलता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि विभिन्न स्रोतों और कवरेज के अंतर के कारण यह विसंगति पैदा होती है।
सीपीआई को भी दिया गया बी ग्रेड
आईएमएफ ने कहा कि तिमाही राष्ट्रीय लेखा प्रणाली में मौसमी रूप से समायोजित आंकड़ों का अभाव है, जिसे सुधारने की आवश्यकता है। वहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) को बी ग्रेड दिया गया है। संस्था के अनुसार यह सूचकांक महीने में एक बार जारी होने के कारण निगरानी के लिए उपयोगी है, लेकिन इसका आधार वर्ष पुराना होने के कारण वर्तमान उपभोग पैटर्न को सही तरीके से प्रतिबिंबित नहीं कर पाता। कुल मिलाकर, आईएमएफ ने भारत को सभी आंकड़ा श्रेणियों में बी ग्रेड दिया है। संस्था का कहना है कि भारत के आंकड़े बड़े पैमाने पर पर्याप्त हैं, लेकिन कई जगह तकनीकी और कार्यप्रणालीगत सुधार की आवश्यकता है।
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