कपास उत्पादन में 63.48 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई
Punjab Breaking News (रोहित रोहिला), चंडीगढ़। कभी कपास की खेती के लिए पंजाब जाना-पहचाना नाम था। देश के कुल कपास उत्पादन में इसका काफी ज्यादा योगदान रहता था। लेकिन समय गुजरने के साथ् और बीमारियों पर लगाम न लग पाने के चलते कपास किसानों के लिए घाटे के सौदा बनकर रह गया। जिसके चलते पंजाब में वर्तमान समय में कपास उत्पादन में काफी ज्यादा कमी आई है। इसी का नतीजा है कि इस साल प्रदेश में कपास उत्पादन में 63.48 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। एक साल के अंदर कपास के उत्पादन में बड़ी कमी आने से सरकार के फसल विविधीकरण के प्रयासों को झटका लगा है।
यह है कपास से मोहभंग का मुख्य कारण
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनिश्चितता व गुलाबी सुंडी व सफेद मक्खी का प्रकोप किसानों के कपास की खेती छोड़ने का प्रमुख कारण माना जा रहा है। काटन एसोसिएशन आफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट में कपास का उत्पादन कम होने की बात सामने आई है। मालवा क्षेत्र कपास उत्पादन के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यहां का किसान धान और गेहूं की फसलों का रुख कर रहे हैं।
118 ब्लाक रेड जोन में चले गए
प्रदेश के भूजल का स्तर पहले ही गिर रहा है। 118 ब्लाक रेड जोन में चले गए हैं और इस रिपोर्ट ने सरकार की चिंता अब और भी बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार कपास का उत्पादन 2023-24 में 6.09 लाख से घटकर 2024-25 में 2.52 लाख गांठों तक रह गया है। इसी तरह एरिया भी 2.14 लाख से घटकर 1 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हरियाणा और राजस्थान में भी कपास का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले गिरा है लेकिन फिर भी स्थिति वहां थोड़ी बेहतर है।
कपास की एमएसपी पर खरीद में गिरावट दर्ज की
2024-25 में हरियाणा ने 5.78 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की और 11.96 लाख गांठों का उत्पादन किया, जबकि राजस्थान ने 6.27 लाख हेक्टेयर में खेती की और 17.79 लाख गांठों का उत्पादन किया। पंजाब में कपास की एमएसपी पर खरीद में गिरावट दर्ज की गई है। मार्च में काटन कारपोरेशन आफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में वर्ष 2024-25 में सिर्फ 2 हजार गांठों की एमएसपी पर खरीद हुई, जबकि वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा 3.56 लाख गांठों का था।
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