• कार्यक्रम में तेलंगाना, पटना, सिक्किम, जयपुर, दिल्ली, मेरठ, अवध, हरियाणा और अन्य राज्यों से आए हुए गणमान्य व्यक्तियों ने लिया भाग

Indian History-Culture And Constitution Program, (आज समाज), पानीपत : अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के द्वारा भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान के माधव सेवा न्यास केंद्र पट्टीकल्याणा समालखा पर आयोजित किए गए तीन दिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मूल सिद्धांत जनजातीय विमर्श और अन्य विषयों पर शिक्षाविदों के द्वारा चर्चा की गई।

इन्होंने की शिरकत

सेमिनार संयोजक डॉ. प्रशान्त गौरव के निर्देशन में चले इस कार्यक्रम के दूसरे दिन इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर प्रवेश भारद्वाज ने की। इस कार्यक्रम में तेलंगाना, पटना, सिक्किम, जयपुर, दिल्ली, मेरठ, अवध, हरियाणा और अन्य राज्यों से आए हुए गणमान्य व्यक्तियों में कैलाश चंद गुर्जर, युतिका मिश्रा, रामगोपाल शर्मा, डॉ. नरेंद्र शुक्ला, प्रोफेसर दयानंद कादियान, डॉ. रत्ना सिंह, डॉ. कुलदीप त्यागी, डॉ. रत्नेश कुमार त्रिपाठी, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. जयंतीलाल खंडेलवाल, डॉ. उमेश कुमार सिंह, प्रोफेसर वीनू पंथ, डॉ. प्रतीक कुमार प्रोफेसर रमाकांत शर्मा, प्रोफेसर अरविंद कुमार ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।

कार्यक्रम के दूसरे दिन सौरभ शुक्ला ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मूल सिद्धांत, शिबा प्रसाद दश ने कांस्टीट्यूशनल प्रोटक्शन एंड ट्रिबल डेवलपमेंट, डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने भारतीय संविधान सभा एवं जनजातीय विमर्श, डॉ शारदा कांत मिश्रा ने पर्सनेलिटीज फ्रॉम ओडीशा इन मेकिंग ऑफ़ भारतीय संविधान, रश्मि भारती ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और भारतीय संविधान का निर्माण, डॉ. मनीष श्रीमाली ने संविधान सभा प्राचीन भारतीय ग्रंथ और संदर्भ, अमन सोनी ने राम राज्य की दृष्टि से आधुनिक भारतीय संविधान शासन में उसका प्रतिबिंब, प्रिंस दहिया ने अंबेडकर कांसेप्शन ऑफ़ सोशल जस्टिस ट्रांसलेट आइडल्स इन कांस्टीट्यूशनल प्रोविजंस, डॉ. संतोष आनंद मिश्रा ने द विजन ऑफ राम राज्य एंड इट्स डिफलेक्शन इन मॉडर्न इंडिया कांस्टीट्यूशनल गवर्नेंस ए क्रिटिकल एनालिसिस, रानी कुमारी ने स्त्री विमर्श और डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. रेखा रानी ने विजनरी थॉट्स ऑफ़ डॉ. भीमराव अंबेडकर पर अपना वक्तव्य दिया।

ऐतिहासिक योगदान का विश्लेषण

डॉ. माया ने भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा में राम राज्य और संविधान, डॉ. प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने भारतीय संविधान सभा और समान नागरिक संहिता सिमरन, अंशु व आकाशदीप ने संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में सच्चिदानंद सिन्हा एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद की भूमिका, नीतू कुमारी ने आधुनिक संवैधानिक संरचनाओं पर भारतीय नैतिकता का प्रभाव, रोशनी कुमारी ने आधुनिक भारतीय संवैधानिक संरचनाओं पर भारतीय नैतिकता का प्रभाव एक ऐतिहासिक अध्ययन, अंश कुमार ने भारतीय संविधान और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की लोकतांत्रिक दृष्टि, डॉ. अश्वनी देवी ने भारतीय संविधान में राम राज्य का आदर्श, डॉ. अमृता कुमारी ने भारतीय संविधान में आदिवासी अधिकारों का समावेश–जयपाल सिंह के ऐतिहासिक योगदान का विश्लेषण पर अपना वक्तव्य दिया।

शिक्षा संबंधित अधिकारों में संस्थात्मक स्वायतता विषय पर अपना वक्तव्य

अर्पित द्विवेदी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान निर्माण में उनका योगदान, डॉ. दयानंद ने हिंदी एस ए मीडियम का कम्युनिकेशन का कांस्टीट्यूशनल अवेयरनेस, प्राची प्राकृत ने भारतीय संविधान और उसके निर्माण में शामिल प्रमुख व्यक्तित्व, डॉ. रविंद्र कुमार श्रीवास्तव ने सरदार पटेल और संविधान का निर्माण, राजकुमार ज्ञानोबा चाते ने डॉ. बाबासाहेब का संविधान एवं लोकतंत्र में योगदान एक ऐतिहासिक अध्ययन, डॉ. शशांक मिश्रा ने भारतीय संवैधानिक मूल्यों के सापेक्ष धर्म की स्वतंत्रता तथा सांस्कृतिक और शिक्षा संबंधित अधिकारों में संस्थात्मक स्वायतता विषय पर अपना वक्तव्य दिया।

भारतीय संविधान में राजभाषा हिंदी की भूमिका

अभिलाष कुमार ने गांधी का सतत विकास दृष्टिकोण और भारतीय राज धर्म एक तुलनात्मक अध्ययन, डॉ. बमबम यादव ने भारतीय संविधान में वनवासी प्रतिबिंब, हजीरा कुजूर ने जनजातीय प्रशासनिक संगठन और संविधान, डॉ. शत्रुघन कुमार पांडे ने समान नागरिक संहिता और झारखंड की जनजातियां एक सामाजिक कानूनी विश्लेषण, डॉ. रविंद्र प्रताप सिंह, डॉ. सचिंद्र, डॉ चंद्रशेखर ने न्याय और शासन में धर्म की भूमिका एक सर्वेक्षण, डॉ. सुजीत कुमार तिवारी ने अशोक के अभिलेखों में वाचुकुटी की अवधारणा बनाम आधुनिक भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, डॉ राजेंद्र प्रताप राय ने भारतीय कला में प्रतीक पवन कुमार ने भारतीय संविधान में राजभाषा हिंदी की भूमिका विषय पर अपना उद्बोधन दिया।

सुबह 9:30 बजे से शुरू हुआ दोपहर बाद तक सेशन चला

कार्यक्रम में डॉ. आरती पांडे एवं डॉ. प्रिया तिवारी ने अमृत संस्कृत विरासतों के संरक्षण में विधि की भूमिका एक विश्लेषण भारतीय इतिहास में संप्रभुता की अवधारणा और संविधान में इसका प्रतिबिंब, डॉ. रुचि श्रीवास्तव ने महाभारत में जनजातीय शासन, डॉ. निलेश कुमार झा ने महाभारत में वर्णित राज धर्म का आधुनिक संविधान में प्रतिबिंब तृप्ति भारती ने भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय के सिद्धांत ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वैचारिक आधार।

डॉ. हिमांशु शेखर ने भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास एवं कार्य प्रणाली सचिन तिवारी ने धर्म और न्याय भारतीय दर्शन में न्याय की धर्म सम्मत अवधारणा एवं पाश्चात्य न्याय सिद्धांत का तुलनात्मक अध्ययन, डॉ. रतन सिंह ने भारतीय इतिहास में संप्रभुता की अवधारणा एवं उसका संविधान में प्रतिबिंब, हसमुख भाई जोशी ने भारतीय इतिहास संस्कृति और संविधान भारतीय राज दर्शन में धर्म की संकल्पना विषय पर अपना उद्बोधन दिया। सुबह 9:30 बजे से शुरू हुआ और दोपहर से पहले और दोपहर बाद तक इसका सेशन चला।

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