मध्य पूर्व और अफ्रीका के बाजार के लिए भारत का प्रवेश द्वार है ओमान

Business News Update (आज समाज), बिजनेस डेस्क : पिछले लगभग छह माह से विश्व व्यापार की दशा व दिशा तेजी से बदली है। अमेरिका की टैरिफ नीति ने सभी बड़े देशों को अपने व्यापार के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव जिन देशों के व्यापार पर सबसे ज्यादा पड़ा है भारत भी उनमें से एक है। अमेरिका ने जैसे ही अगस्त में भारत पर उच्च टैरिफ लगाए तो भारत ने भी बिना समय गवाए अपने व्यापारिक रिश्तों में विस्तार करना शुरू कर दिया।

भारत ने अपने उन व्यापारिक समझौतों पर काम किया जो पिछले कई साल से लंबित पड़े थे। यही वजह है कि भारत वर्तमान में विश्व के करीब 50 से ज्यादा देशों से व्यापार वार्ता कर रहा है। इनमें से बहुत से देश ऐसे हैं जिनसे मुक्त व्यापार समझौता होने की उम्मीद है। इन देशों में ओमान भी शामिल है। गत दिवस भारत और ओमान के बीच उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए। जिस समय यह समझौता किया गया उस समय भारत के प्रधानमंत्री व ओमान के सुल्तान भी मौजूद थे।

भारतीय निर्यातकों को मिलेंगे भरपूर अवसर

यह समझौता न केवल भारतीय निर्यातकों के लिए भारी अवसर लेकर आया है, बल्कि 2006 में अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद ओमान की ओर से किसी भी देश के साथ किया गया यह पहला द्विपक्षीय व्यापार समझौता है। ओमान मध्य पूर्व और अफ्रीका के बाजारों के लिए भारत का एक महत्वपूर्ण गेटवे (प्रवेश द्वार) है। ओमान में 6,000 से अधिक भारतीय प्रतिष्ठान काम कर रहे हैं। ब्रिटेन के बाद पिछले 6 महीनों में यह भारत का दूसरा बड़ा व्यापारिक समझौता है, जो भारत की आक्रामक वैश्विक व्यापार रणनीति का उदाहरण है। दोनों देशों ने भविष्य में ओमान की अंशदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली लागू होने पर ‘सामाजिक सुरक्षा समन्वय’ पर चर्चा करने पर भी सहमति जताई है।

दोनों देशों में हुए समझौते पर ये बोले मादी

भारत-ओमान व्यापक आर्थिक साझेदारी (सीईपीए) द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के मामले में नई ऊर्जा का संचार करेगी और साथ ही पारस्परिक विकास के अवसर बढ़ेंगे। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मस्कट में भारत-ओमान व्यापार मंच को संबोधित करते हुए यह बात कही। अपने संबोधन में मोदी ने मांडवी से मस्कट तक दोनों देशों के बीच सदियों पुराने समुद्री व्यापारिक संबंधों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यही संबंध आज जीवंत वाणिज्यिक आदान-प्रदान की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि 70 वर्षों के राजनयिक संबंध सदियों से निर्मित विश्वास और मित्रता का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को नई गति देगा, निवेश में नया विश्वास पैदा करेगा और हर क्षेत्र में अवसरों के नए द्वार खोलेगा।

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