Traffic Rules (आज समाज) : सड़क पर गाड़ी चलाते समय, अक्सर देखा जाता है कि ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर चालान काटती है, और गंभीर मामलों में तो ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड या रद्द भी कर देती है।

हालांकि, कलकत्ता हाई कोर्ट के हाल के एक महत्वपूर्ण फैसले ने इस मामले में स्थिति साफ कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस के पास ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने या सस्पेंड करने का कोई अधिकार नहीं है। वे कुछ खास परिस्थितियों में ही ड्राइविंग लाइसेंस ज़ब्त कर सकते हैं।

रद्द करने की शक्ति केवल लाइसेंसिंग अथॉरिटी के पास

एक ऐतिहासिक फैसले में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों के पास ड्राइविंग लाइसेंस ज़ब्त करने या रद्द करने की शक्ति नहीं है। यह शक्ति केवल लाइसेंसिंग अथॉरिटी के पास है।

कोर्ट ने साफ किया कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 206(4) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत, पुलिस अधिकारी केवल तभी ड्राइविंग लाइसेंस ज़ब्त कर सकते हैं जब ड्राइवर खतरनाक ड्राइविंग, शराब पीकर गाड़ी चलाने, या तेज़ गति से गाड़ी चलाने जैसे गंभीर अपराधों का दोषी पाया जाए।

जस्टिस पार्थसारथी चटर्जी ने अपने फैसले में कहा कि ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के मामलों में भी, अधिकारियों के पास ड्राइवर का लाइसेंस ज़ब्त करने के ठोस कारण होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी कार्रवाई कानून के दायरे में ही की जानी चाहिए।

क्या था मामला ?

यह मामला कोलकाता के एक वकील सुभ्रांशु पांडा से जुड़ा है। उन्हें तेज़ गति से गाड़ी चलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने रोका था। वकील ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पहले उनका ड्राइविंग लाइसेंस ज़ब्त कर लिया और फिर ऑनलाइन चालान जारी करने के बजाय मौके पर ही कैश पेमेंट की मांग की। इस घटना के बाद, वकील ने कोर्ट में याचिका दायर की।

जांच के बाद, कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ सभी आरोप खारिज कर दिए। कोर्ट ने संबंधित ट्रैफिक पुलिस अधिकारी को चेतावनी भी दी और वरिष्ठ अधिकारियों को सभी ट्रैफिक कर्मियों को मोटर वाहन अधिनियम और अन्य कानूनी प्रावधानों पर ट्रेनिंग देने का निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2(20) के अनुसार, केवल “लाइसेंसिंग अथॉरिटी” के पास ही ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने या सस्पेंड करने की शक्ति है। ट्रैफिक पुलिस के पास केवल लाइसेंस को अस्थायी रूप से ज़ब्त करने की शक्ति है ताकि उसे आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित अथॉरिटी को भेजा जा सके।

इस फैसले से अब यह साफ हो गया है कि कोई भी ट्रैफिक पुलिस अधिकारी सीधे तौर पर ड्राइवर का लाइसेंस रद्द या सस्पेंड नहीं कर सकता है। इस फैसले से न सिर्फ कानून का पालन मज़बूत होगा, बल्कि आम जनता भी अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होगी।

पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश

कोर्ट ने इस मामले में राज्य पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे सभी ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को कानून के बारे में बताएं और उन्हें उन हालातों के बारे में भी बताएं जिनमें ड्राइविंग लाइसेंस ज़ब्त किया जा सकता है। उम्मीद है कि इस फैसले से भविष्य में ट्रैफिक पुलिस के मनमाने फैसलों पर रोक लगेगी और ट्रैफिक सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी।

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