तीसरी लहर से बचने के लिए पर्वों पर सतर्कता जरूरी

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आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली:
भारत में पर्वों के समय कोरोना संक्रमण की संख्या में भले ही कम हो गई हों, लेकिन यह समय आराम से बैठने का नहीं बल्कि सतर्क होने का है। आने वाले समय में एक के बाद एक पर्व हैं लोग भी प्रियजनों से मिलने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोग पहले ही एक-दूसरे से दूर रहे हैं। हालांकि त्योहारों को देखते हुए एम्स सहित कई राज्यों के एम्स के निदेशकों ने लोगों से विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप मानते हैं कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। हमें सतर्क रहने की जरूरत है। अधिक जरूरी नहीं हो तो घर से बाहर निकलने से बचें। जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क लगाकर ही निकलें। साबुन से हाथ धोते रहें। जब किसी चीज को स्पर्श करें, तब सैनिटाइजर का उपयोग जरूर करें। त्यौहार मनाते हुए इस साल जो कमियां रह जाएंगी।
उनका कहना है कि यदि हम सभी सख्ती से कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करें तो निश्चित रूप से महामारी की किसी भी लहर को रोका जा सकता है। इसके लिए लोगों को कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना होगा, सही तरीके से मास्क पहनें, हाथों को लगातार साफ करते रहें या सैनेटाइज करते रहे, भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।  सामाजिक दूरी का पालन करें आदि कोविड से बचाव के लिए प्राथमिक स्तर की कोशिशें हैं। सरकार सभी तक समान रूप से वैक्सीन पहुंचाने का प्रयास कर रही है। अगर लोग अपनी आदतों में कुछ चीजों को शामिल कर लें, तो कोरोना की अन्य लहरों को रोका जा सकता है। आप महामारी को भगा सकते हैं। आखिर यह कैसे संभव है?
टीकाकरण से जुड़ने में ही फायदा
एम्स भोपाल के निदेशक डॉ सरमन कहते हैं कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए उपचार दिशानिदेर्शों का समान रूप से पालन किया जाए। हमें बीमारी  की गंभीरता, विभिन्न निवारक उपायों और टीकाकरण के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए पंचायतों, ग्राम सभाओं और गांवों में समुदाय के प्रभावशाली लोगों को जोड़ने की जरूरत है। इन स्थानीय निकायों को भविष्य की आपदाओं को कम करने के लिए स्थानीय स्तर पर बुनियादी ढांचे के विकास पर भी जोर देना चाहिए।

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